Saturday, April 27, 2024
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AMU के कुलपति ने कल्याण सिंह को दी श्रद्धांजलि: विरोध में यूनिवर्सिटी में लगे पर्चे, कहा- ‘मुस्लिमों की भावना आहत की’

हिंदी, इंग्लिश और उर्दू में लगाए गए पर्चे में लिखा गया है कि एएमयू कुलपति तारिक मंसूर द्वारा कल्याण सिंह के निधन पर शोक व्यक्त करना शर्मनाक है, क्योंकि कल्याण सिंह बाबरी विध्वंस की घटना में शामिल मुख्य पात्रों में से एक थे।

यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री और राम मंदिर आंदोलन के अग्रदूत कल्याण सिंह के निधन पर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के कुलपति तारिक़ मंसूर के शोक जताने पर कैंपस में नया विवाद खड़ा हो गया। विश्वविद्यालय परिसर में कई जगह कुलपति के विरोध में पर्चे लगाए गए हैं, जिसमें कहा गया है कि उन्होंने शोक व्यक्त कर छात्रों की भावनाओं को आहत किया है।

दरअसल, कल्याण सिंह का 21 अगस्त को निधन हो गया था। 22 अगस्त को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति द्वारा उनके निधन पर शोक संवेदना व्यक्त की गई। शोक संवेदना व्यक्त किए जाने की एएमयू के छात्रों ने निंदा की है।

AMU में लगे पर्चे (साभार-दैनिक जागरण)

हिंदी, इंग्लिश और उर्दू में लगाए गए पर्चे में लिखा गया है कि एएमयू कुलपति तारिक मंसूर द्वारा कल्याण सिंह के निधन पर शोक व्यक्त करना शर्मनाक है, क्योंकि कल्याण सिंह बाबरी विध्वंस की घटना में शामिल मुख्य पात्रों में से एक थे। इतना ही नहीं शोक संवेदना व्यक्त कर कुलपति ने न सिर्फ मुस्लिम समुदाय बल्कि यूनिवर्सिटी की भावनाओं को भी आहत किया है। कुलपति की शोक संवेदना ने न केवल पूरे अलीगढ़ यूनिवर्सिटी के छात्रों को शर्मिंदा किया है बल्कि इसकी ऐतिहासिक परम्पराओं को भी ठेस पहुँचाया है जो न्याय और निष्पक्षता में यकीन रखती है। यूनिवर्सिटी के छात्र कुलपति के इस शर्मनाक व्यवहार की निंदा करते हैं। कुलपति ने एक ऐसे पार्टी के नेता को सपोर्ट किया है जो अपने निहित स्वार्थ फासिज्म का समर्थन करती है। उनका अपराध माफ़ी योग्य नहीं है।

AMU में लगे पर्चे (साभार-दैनिक जागरण)

बता दें कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. तारिक मंसूर ने कल्याण सिंह के निधन पर गहरा शोक व्यक्त हुए कहा था कल्याण सिंह ने देश के सार्वजनिक जीवन और उत्तर प्रदेश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें और उनके परिवार को इस अपार दुख को सहन करने की शक्ति प्रदान करें। कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर ने कल्याण सिंह के पुत्र राजवीर सिंह (लोकसभा सदस्य) से भी अपनी संवेदना और सहानुभूति व्यक्त की है।

यहाँ गौर करने वाली बात है कि कैंपस में जो पर्चे लगाए गए हैं, उस पर किसी संगठन या छात्र का नाम नहीं है। लेकिन कुछ छात्रों ने इसका समर्थन किया है। इस संबंध में विश्वविद्यालय के प्रॉक्टर प्रोफेसर वसीम अली का कहना है कि विश्वविद्यालय परिसर में इस समय छात्र नहीं हैं। कैंपस खाली है। इसके पीछे किसी बहरी शरारती तत्वों का हाथ हो सकता है। हालाँकि, मंगलवार को विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस तरह के पर्चे हटवा दिए हैं। लेकिन कुछ लोगों ने इन पर्चों का फोटो खींचकर सोशल मीडिया पर भी डाल दिया है। अगर वह कानून उल्लंघन के दायरे में आता है तो उसकी भी जाँच की जाएगी। 

वहीं, कल्याण सिंह के निधन पर सपा और कॉन्ग्रेस के नेताओं द्वारा उन्हें श्रद्धांजलि नहीं देने पर भी राजनीतिक हलचल तेज है। पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को अंतिम विदाई देने के लिए कॉन्ग्रेस और सपा नेताओं के नहीं आने पर भाजपा ने दोनों ही दलों पर निशाना साधा है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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