भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-कानपुर (IIT-K) के मैकेनिकल विभाग ने संस्थान के निदेशक को एक लिखित शिक़ायत दी है। इस शिक़ायत में कैंपस में आयोजित एक कार्यक्रम ‘solidarity with Jamia students’ के दौरान भारत विरोधी नारे और साम्प्रदायिक बयानों पर आपत्ति जताई गई है।
स्वराज्य में प्रकाशित ख़बर के अनुसार, इस कार्यक्रम का आयोजन 17 दिसंबर को संस्थान के ओपन एयर थिएटर (OAT) में किया गया था।
शिक़ायतकर्ता डॉ वाशी शर्मा, मैकेनिकल विभाग से हैं। उन्होंने मोबाइल पर बने विरोध-प्रदर्शन की वीडियो क्लिप को दिखाते हुए निर्देशक से दोषियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई किए जाने की अपील की। इस वीडियो क्लिप की एक कॉपी स्वराज्य की संवाददाता और सीनियर एडिटर स्वाति गोयल के साथ भी शेयर की गई है।
इस वीडियो क्लिप में OAT में सौ से अधिक लोगों की भीड़ दिखाई दे रही है। इनमें से एक ने अपनी तख़्ती पर लिख रखा था, “तुम्हारी लाठी और गोली से तेज़ हमारी आवाज़ है।” वहीं, दूसरे ने अपनी तख़्ती पर लिखा था, “IIT कानपुर जामिया और एएमयू छात्रों पर पुलिस की बर्बरता की निंदा करता है। दिल्ली पुलिस पर शर्म करो।”
एक जगह पर, भीड़ में शामिल एक दंगाई अपने मोबाइल फ़ोन पर रिकॉर्ड की गई कुछ पंक्तियों को सुनाता है, जिसकी पंक्तियाँ इस प्रकार हैं:
लाज़िम है कि हम भी देखेंगे
जब अर्ज-ए-ख़ुदा के काबे से
सब बुत उठवाए जाएँगे…
सब ताज उछाले जाएँगे
सब तख़्त गिराए जाएँगे
बस नाम रहेगा अल्लाह का…
यह फैज़ अहमद फैज़ की एक कविता की पंक्तियाँ हैं।
IIT निदेशक को दी गई शिक़ायत में कहा गया है कि ये पंक्तियाँ “सभी मूर्तियों को नष्ट करने का आह्वान करती हैं” (जैसा कि मूर्ति पूजा इस्लाम में निषिद्ध है) और इस बात पर ज़ोर दिया गया है, “केवल अल्लाह की पूजा होनी चाहिए।“
A faculty at IIT Kanpur has submitted this video and a complaint to director, alleging anti-India & communal statements made at a recent event held in ‘solidarity with Jamia’ & that event held without permission.
— Swati Goel Sharma (@swati_gs) December 21, 2019
“When All Idols Will Be Removed…
Only Allah’s Name Will Remain” pic.twitter.com/fbmNFwVBiw
शिक़ायत के अनुसार, “कविता की पंक्तियाँ कश्मीर में भारत-विरोधी उग्रवाद का अभिन्न अंग हैं और आतंकवादियों और प्रदर्शनकारियों द्वारा इस्तेमाल की जाती है।” इन पंक्तियों का हिन्दी अनुवाद इस प्रकार है:
“हम गवाह हैं
यह निश्चित है कि हम भी गवाह होंगे
जब अल्लाह की जगह से
जब सभी मूर्तियों को हटा दिया जाएगा
जब मुकुट उछाले जाएँगे
जब सिंहासन लुप्त हो जाएँगे
केवल अल्लाह का नाम रहेगा…”
निदेशक के साथ शेयर किए गए एक वीडियो में एक छात्र दंगाईयों के कार्यक्रम को रोकते हुए बार-बार रोते हुए यह कहता दिखा, “ये नहीं चलेगा”। उस दौरान छात्र के साथ शिक़ायतकर्ता डॉ वाशी शर्मा भी मौजूद थे। इसके अगले कुछ मिनटों में उस छात्र और डॉ शर्मा को कविता पढ़ने के दौरान ही सुरक्षाकर्मियों ने हूटिंग करती भीड़ से अलग कर दिया। इसके बाद विरोधियों की सभा जल्द ही भंग हो गई।
डॉ शर्मा की शिक़ायत, जिस पर संस्थान के 15 छात्रों ने हस्ताक्षर किए हैं, उन्होंने कहा, “मैं हैरान था क्योंकि इन पंक्तियों का इस्तेमाल पाकिस्तान में अक्सर एक साम्प्रदायिक हिंसा फैलाने के रूप किया जाता है। इन पंक्तियों को पाकिस्तान के पीएम इमरान ख़ान की कट्टरपंथी भारत-विरोधी पार्टी, पीटीआई द्वारा लोकप्रिय किया गया है। यह कविता ख़ान की आधिकारिक वेबसाइट पर प्रकाशित होती हैं।”
उन्होंने कहा कि यह बात स्पष्ट है कि सभा में अराजक तत्व दकियानूसी हरक़तों को अंंजाम दे रहे थे। इसका उद्देश्य निर्दोष छात्रों को कट्टरपंथी बनाना, भारत के ख़िलाफ़ नफ़रत फैलाना, आपसी विश्वास को ख़त्म करने और संस्थान के वातावरण को साम्प्रदायिक रंग में रंगने का था।
डॉ शर्मा अपनी शिक़ायत में उन छात्रों की तत्काल सुरक्षा की माँग की, जिन्होंने अराजक तत्वों के बयानों पर आपत्ति दर्ज की थी। उन्होंने एक छात्र का सन्दर्भ लेते हुए अपनी शिक़ायत में लिखा कि जब वो छात्र अपने घर लौट रहा था तो मुस्लिम भीड़ के एक सदस्य ने उसे पहचानते हुए उस पर ऊँगली उठाते हुए कहा कि अच्छा तो ‘यह यहाँ रहता है’। ऐसा करने के पीछे उसकी मंशा छात्र को डराने-धमकाने से था, इसका अर्थ यह भी हो सकता है कि अराजक तत्वों से उसकी जान को ख़तरा है।
शिक़ायतकर्ता डॉ वाशी शर्मा ने IIT प्रशासन से “नफ़रत फैलाने वाली भीड़ के ख़िलाफ तत्काल अनुशासनात्मक और क़ानूनी कार्रवाई” करने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम के आयोजकों और मास्टरमाइंड की पहचान की जानी चाहिए और उन्हें तुरंत निष्कासित कर दिया जाना चाहिए।
वहीं, संस्थान के उप निदेशक डॉ मणींद्र अग्रवाल ने स्वराज्य की संवाददाता स्वाति गोयल को बताया कि आयोजकों को प्रशासन द्वारा एक बड़ी सभा आयोजित करने की कोई अनुमति नहीं दी गई थी।
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