Sunday, September 1, 2024
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अभी मस्जिदों को आबाद करो, लॉकडाउन मुस्लिमो को डराने का, मिलने से रोकने की साजिश है: मरकज का मौलाना

"इस परेशानी से लड़ने के लिए, अल्लाह का आजाब हटाने के लिए घर में मत बैठो। औरतों को, बच्चों को, जानवरों को, बकरियों को, बैलों को, भैंसों को, ऊँटों को... सबको मैदान में ले आओ... और अल्लाह की मदद से इस आजाब को हटाओ।"

कहते हैं गुरु और धर्म गुरू जीवन में पथ प्रदर्शक होते हैं। मगर किसी आम इंसान को अगर इनमें से कोई भी गलत मिल जाए तो जीवन अंधकार में चला जाता है। आज कुछ यही मुसलामनों के साथ हो रहा है। मोहम्मद साद कंधालवी- जमाती प्रमुख। जिसकी बातों में आकर समुदाय के लोगों ने न केवल खुद को बल्कि पूरे भारत को खतरे में डाल दिया है। जी हाँ। दिल्ली में बढ़ते कोरोना के मामलों के पीछे निजामुद्दीन की मरकज़ का खुलासा होने के बाद तबलीग जमात के प्रमुख का एक ऑडियो वायरल हुआ है।

इस ऑडियो ने सबको झकझोर दिया है। इसमें सुना जा सकता है कि धर्मगुरू जिसके ‘उपदेश’ सुनने के लिए न केवल भारत के अलग अलग राज्यों से लोग इकट्ठा हुए बल्कि विदेशों से भी भारत आए। उसने न सिर्फ उनके बीच में गलत जानकारी फैलाई, बल्कि उन्हें गलत रास्ते पर चलने के लिए उकसाया, प्रशासन के निर्देशों का उल्लंघन करने के लिए प्रोत्साहित भी किया।

ऑडियो में कोरोना विषय पर बात करते हुए कंधालवी ने डॉक्टर, सरकार, प्रशासन, विज्ञान सबको खारिज कर दिया। मौलवी ने सिर्फ सुन्नत की बातें की। मस्जिदों को आबाद करने की बात की। साथ ही लॉकडाउन को एक प्रोग्राम बताया। पूरी ऑडियो ने वायरल होने के बाद तस्वीर साफ कर दी है। मालूम चल चुका है कि तेलंगाना में हुई मौत, आँध्र प्रदेश, यूपी, दिल्ली में अकस्मात बढ़े मामलों के लिए कौन जिम्मेदार है।

कंधालवी को ऑडियो में स्पष्ट कहते सुना जा सकता है, “ये मौका मस्जिदों को आबाद करने का है। इन बातों का नहीं कि मस्जिदों को छोड़ दो, क्योंकि हालात सही नहीं है… जिनकी अक्लों पर दूसरों का पहरा होता है, वे ऐसे मशवरे देते हैं।” मौलाना साद ये भी कहता है कि इस परेशानी से लड़ने के लिए अल्लाह का आजाब हटाने के लिए घर में मत बैठो, औरतों को, बच्चों को, जानवरों को, बकरियों को, बैलों को, भैंसों को, ऊँटों को… सबको मैदान में ले आओ… और अल्लाह की मदद से इस आजाब को हटाओ।

बता दें कि अपने हर दूसरे वाक्य में साद को बार-बार मस्जिदों को आबाद रखने के लिए कहते सुना जा सकता है और ये पूछते भी सुना जा सकता है कि आखिर लोगों को क्यों यकीन आ गया कि दूर रहने से समाधान होगा। इसका यकीन क्यों नहीं है कि इकट्ठा होंगे तो अल्लाह फरिश्ते तैनात करेंगे, जिनके करम से दुनिया में सुकून और राहत आएगी।

“लॉकडाउन और कोरोना का खौफ फैलाना सिर्फ़ एक स्कीम है। ताकि मुस्लिम दूसरे मुस्लिम से न मिल सके। एक थाली में साथ न खा सके।” वायरल ऑडियो में कंधालवी साद को यह भी कहते सुना जा सकता है कि यह सब प्रोग्राम है ताकि मुस्लिमों को बिखेरा जा सके। जिससे दिमाग में बैठ जाए कि साथ में मत बैठो वरना बीमारी लग जाएगी। वो कहता है कि अगर आज मुस्लिमों में इस बीमारी का खौफ फैल जाता है, तो बीमारी खत्म हो जाएगी, लेकिन मुस्लिम अलग हो जाएगा। ये सब एक प्रोग्राम बनाया गया है, जिससे मुस्लिम-मुस्लिम से अलग हों और इस बहाने से इन्हें अछूत बनाया जा सके। अंत में बातों में तालमेल बिठाने के बाद साद ये भी कहता है कि अगर बीमारी हो जाए तो एहतियात बरती जानी चाहिए क्योंकि ये भी सुन्नत है। मगर मुस्लिम का मुस्लिम से न मिलना जहालत है।

उल्लेखनीय है कि उक्त बातें, वो बातें हैं जो बताती है कि एक मौलाना ने किस तरह हजारों की संख्या में मुस्लिमों को भड़काया और मजहब के नाम पर डराया। उसने अपनी बात की शुरुआत में ही कुरआन की आयतों का हवाला देते हुए पूछ लिया कि मौत से भाग कर कहाँ जाओगे, वो तो तुम्हारे आगे-आगे चल रही है, पीछे नहीं। मौत इंसान के आगे रखा है अल्लाह ने, सामने, पीछे नहीं। इसीलिए, मौलाना ‘न भागने’ की सलाह देता है।

इसके अलावा ये भी समझाता है कि इस हालात में भागना अल्लाह के गुस्से को और बढ़ा देगा। इसके बाद उसने एक कहानी सुनाई। इस कहानी में एक कातिल होता है, जो खून करने के बाद अदालत में पेश किया जाता है तो जज को ही मार डालने की धमकी देता है। इसके बाद मौलाना ने पूछा कि क्या उस मुजरिम को छोड़ दिया जाएगा? फिर वो बताता है कि अदालत में अपील की जाती है, माफ़ी माँगी जाती है, जज का क़त्ल नहीं किया जाता। फिर वो समझाता है कि अल्लाह की तरफ़ से जब ऐसी कोई स्थिति आए तो ये मौका अल्लाह-ताला से माफ़ी माँगने का है।

साथ ही मौलवी लोगों को डॉक्टरों की सलाह न मानने की भी सलाह देता है। वो कहता है कि उनके कहने पर मिलना-जुलना नहीं छोड़ना चाहिए और नमाज भी जारी रखना चाहिए। मौलवी का कहना है कि अगर बीमारी है तो 70000 फरिश्तों से दुआ करो, किसी भी डॉक्टर से नहीं। वो कहता है कि अगर 70000 फ़रिश्ते साथ हैं तब बचाव नहीं हो पाया तो कोई मेडिकल विशेषज्ञ या डॉक्टर क्या कर लेगा? वो बार-बार मुस्लिमों को कहता है कि जब ऐसी आपदा आए तो अल्लाह की ज्यादा इबादत करो।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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