भगवान श्रीकृष्ण यादवों की बीवियों के संग नाचते थे, बाद में उन्हें शक्तिशाली मान कर सालियाँ भी दे दी। 9/11 का हमला ओसामा बिन लादेन की बड़ी उपलब्धि थी। जब पूरी दुनिया में अँधेरा था, इस्लाम ने प्रकाश फैलाया। ये तीनों ही बयान अवध प्रताप ओझा, यानी ‘ओझा सर’ के हैं। इस पर बवाल मचा हुआ है। सोशल मीडिया में उनकी आलोचना हो रही है। अब ऑपइंडिया से बात करते हुए UPSC कोचिंग कराने वाले ओझा सर ने इन मुद्दों पर सफाई दी है।
जब हमने उनसे पूछा कि भगवान श्रीकृष्ण को लेकर उन्होंने जो बयान दिया था, क्या वो किसी साहित्य-धर्मग्रंथ में है, तो अवध प्रताप ओझा ने कहा कि उन्होंने तो बस उदाहरण दिए थे। उन्होंने कहा कि जो बड़े लोग होते हैं, उनके मित्र नहीं होते। उदाहरण के रूप में उन्होंने महात्मा गाँधी का नाम गिनाते हुए कहा कि शक्तिशाली लोगों की मित्रता नहीं होती, सब उससे चिढ़ते हैं। इसीलिए, उन्होंने कहा कि बलराम भी श्रीकृष्ण से चिढ़ते थे।
इसके लिए उन्होंने सूरदास की पंक्ति ‘गोरे नंद जसोदा गोरी, तू कत स्यामल गात।’ को गिनाया। अवध प्रताप ओझा ने आगे कहा कि बलराम ये कहते थे कि वृन्दावन के यादव श्रीकृष्ण को मारने की योजना बना रहे हैं, जिस पर श्रीकृष्ण ने पूछा कि क्यों मारेंगे? बलराम ने जवाब दिया कि आप उनकी बीवियों संग नाच रहे हैं तो क्या मारेंगे नहीं? बकौल अवध प्रताप ओझा, उन्होंने उदाहरण दिया था कि जब श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठा लिया तो यादवों ने कहा कि आप हमारी पत्नियों के साथ नाच रहे हो, अब सालियों के साथ भी नाचो – ये संदर्भ है।
हालाँकि, वो ये नहीं बता पाए कि इसका जिक्र कहाँ है। उन्होंने दावा किया कि जब आप किसी चीज का उदाहरण देते हैं, बचपन में लोगों ने ‘Reference & Context (सन्दर्भ एवं प्रसंग)’ पढ़ा होगा, जिसके अनुसार कॉन्टेक्सट को ध्यान में रख कर रिफरेन्स दिए जाते हैं और एक ही कॉन्टेक्सट को कई रिफरेन्स में दिए जा सकते हैं। उन्होंने इस कहानी को अपना एक उदाहरण बताया। वहीं इस्लाम रोशनी लेकर आया, इस बयान पर भी उन्होंने सफाई दी।
अवध प्रताप ओझा से हमने पूछा गया कि क्या इस्लाम के आने से पहले सनातन धर्म वगैरह सब अँधेरे में थे, तो उन्होंने कहा कि जब इस्लाम आया तब उससे पहले वहाँ भी बड़े-बड़े पैगंबर आ चुके थे। उन्होंने कहा कि एक शिक्षक सारे क्लास में नहीं पढ़ा सकता, वैसे ही जैसे हमारे यहाँ राम, कृष्ण, नानक और दादू आए, समय-समय पर पैगंबर आए। उन्होंने 7वीं शताब्दी के भारत की स्थिति की बात करते हुए अलबरूनी की ‘किताबुल हिंद’ पढ़ने की सलाह दी।
साथ ही दावा किया कि उस समय देश सामंतवाद से पीड़ित था। ओझा सर का कहना है कि यूरोप भी सामंतवाद से परेशान था। हालाँकि, जब हमने पूछा कि क्या आप भगवान श्रीराम को भी पैगंबर के रूप में ही देखते हैं, तो उन्होंने कहा कि वो भगवान थे और हमारे देश में भगवानों ने अवतार लिया, जबकि पैगंबर बाहर का कॉन्सेप्ट है। ओझा सर ने याद दिलाया कि भगवद्गीता में श्रीकृष्ण ने कहा कि मैं हमेशा आता रहता हूँ, जबकि दूसरे देशों में पैगंबर आते रहे।
उन्होंने कहा कि फ़्रांसिसी क्रांति ने कह दिया कि Liberty, Equality & Fraternity (स्वाधीनता, समानता एवं बंधुत्व) हम लेकर आए, फिर सवाल दागा कि समुद्रगुप्त पहले आया तो उसे इतिहास लिखने वालों ने ‘भारत का नेपोलियन’ कह दिया, जबकि नेपोलियन को वहाँ का समुद्रगुप्त कहा जाना चाहिए था। इस्लाम को रौशनी बताने के सवाल पर ओझा सर ने कहा कि लोग कुछ-कुछ सोच रहे हैं और बहस में अपने पक्ष रख रहे हैं, उसमें जो साक्ष्य रखता है उसकी बात मजबूत हो जाती है।
बता दें कि अवध प्रताप ओझा ‘IQRA’ में पढ़ाने के कारण भी आलोचना का सामना करते रहे हैं, क्योंकि इस शब्द का ही अर्थ कुरान, इस्लाम और पैगंबर के अध्ययन से सम्बंधित है। इस सवाल पर उनका कहना है कि वो दिल्ली स्थित ‘Next IAS’ में भी पढ़ाते हैं, लेकिन सब इक़रा का ही नाम लेते हैं और वहाँ का कोई नाम ही नहीं लेता। इस्लाम का झंडा उठाने के आरोपों पर ओझा सर ने दावा किया कि पंडित हरिनारायण शास्त्री उत्तर प्रदेश के अमरोहा में कुरान पढ़ाया करते थे।
उन्होंने कहा कि अभिनेत्री मीना कुमारी के बेटे को पंडित ने कुरान पढ़ाया था। उन्होंने कहा कि किसी के धर्मग्रंथ को पढ़ने का ये अर्थ नहीं है कि आप उसका झंडा उठा लेते हैं। ओझा सर ने कहा कि लोगों को इक़रा का अर्थ गलत नहीं लग रहा है, लगवाया जा रहा है। उन्होंने दावा किया कि भगवान श्रीकृष्ण पर उनके वीडियो को एक फेक अकाउंट ने डाला, ऐसे उनकी लीगल टीम ने रिसर्च कर के पाया। उन्होंने कहा कि ये एक साजिश के तहत किया गया है।
अवध प्रताप ओझा का दावा है कि उनके विरुद्ध दुष्प्रचार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वो देश की तरफ से बाहर भेजे जाते हैं कार्यक्रमों में, जबकि इसी देश की मीडिया उन्हें बदनाम कर रही है। ओझा सर ने यादव को अपना गुरु बताते हुए कहा कि वो पूरी गीता के ऊपर वीडियो बनाने जा रहे हैं, इसके लिए उन्हें मजबूर किया गया है। उन्होंने ऐलान किया कि अड़गड़ानंद ने जिस अर्थ में गीता समझाई है, उसी अर्थ में वो इसे लेकर वीडियो के जरिए लोगों के पास जाएँगे।
उन्होंने दावा किया कि गीता के हर एक श्लोक चित्रण कर-कर के वीडियो बनाएँगे, जो कि भारत में पहली बार होगा। उन्होंने बताया कि आश्रम से उन्हें इसके लिए आदेश मिला है। ओझा सर ने ब्राह्मणों को भला-बुरा कहने के आरोपों पर भी सफाई दी। ‘अंग्रेजों के समय ब्राह्मण जूता खाते थे, आज सीना तान कर घूम रहे’ – अपने इस बयान पर उन्होंने पूछा कि आज हमारी देश में ज़्यादा ज़रूरत क्या है, एक रहने या फिर मिलजुल कर रहने की?
उन्होंने सवाल दाग दिया कि भारत शक्तिशाली कैसे बनेगा? उन्होंने दावा किया कि जूता वाली बात उन्होंने ब्राह्मणों के लिए नहीं, बल्कि सबके लिए कही थी। उनका कहना है कि उन्होंने किसी को नहीं छोड़ा और कहा कि अंग्रेजों ने 200 वर्षों तक सबको मारा और किसी को नहीं छोड़ा, लेकिन अंत में सब एक हो गए तो आज भी सबको एक रहने की ज़रूरत है। हालाँकि, इस्लामी शासन को गुलामी वाला काल बताने पर वो नाराज़ हो गए।
अवध प्रताप ओझा ने कहा “आप बताइए इस्लामी कालखंड गुलामी वाला कैसे था, तो हम भी जाकर वही पढ़ाएँ। गुलामी मुझे समझा दीजिए। कौन कह रहा है उन्हें आक्रांता? आप NCERT में ऐसा लिखवा दीजिए, हम वही पढ़ाएँगे। सरकारी पुस्तकों में तो कहा गया है कि वो तो बड़े महान शासक थे। शिक्षक क्या पढ़ाएगा? जो मॉड्यूल आपको संस्था देगी, वही तो आप पढ़ाओगे। हम क्यों मुगलों को आक्रांता मानें? NCERT माने, तब तो हम मानें।”
फिर हमने उनसे ओसामा बिन लादेन पर उनके बयान की याद दिलाई, इस पर उन्होंने कहा कि 1980 में जब भारत लगातार चिल्ला रहा था कि हम आतंकवाद से पीड़ित हैं, तब किसी ने नहीं माना। ओझा सर का कहना है कि जब लादेन ने ट्विन टॉवर गिराया, तब पूरी दुनिया को लगा कि आतंकवाद का खतरा है। उन्होंने कहा कि जिस आतंकवाद का हम अंतरराष्ट्रीयकरण करवाना चाहते थे, वो इस घटना के बाद हुई और पूरी दुनिया हमारे साथ खड़ी हुई।
अवध प्रताप ओझा ने पूछा कि कोई गलत आदमी भी आपका साथ दे देगा तो क्या आप उसका समर्थन नहीं करेंगे? वहीं एक कहानी ये भी है कि ओझा सर ने UPSC कोचिंग शुरू होने के दौरान पहले साल केवल सद्दाम नाम के एक लड़के को शिक्षा दी थी, इस पर उन्होंने कहा कि जब एक ही लड़का कोचिंग आया तो किसका नाम लें, किसी और का नाम लें? इस्लाम को लेकर झुकाव के सवाल पर उन्होंने पूछा कि क्या आपको ये अच्छा नहीं लगता?
अवध प्रताप ओझा का कहना है कि धर्म कोई भी बुरा नहीं है, बल्कि इसके मानने वाले गलत हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूलों में जो किताबें चलती हैं और जो सरकार-राज्य का दर्शन होता है वो उसके पब्लिकेशन से बाहर आएगा, तो शिक्षक वही पढ़ाएगा। उन्होंने कहा कि इसके विपरीत पढ़ाने वाला शिक्षक गलत कर रहा है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार-राज्य नई किताबें लेकर आ जाए, तो शिक्षकों को भी वही पढ़ाना होगा।