वामपंथियों, लिबरल गिरोह और संप्रदाय विशेष के उकसाने और भारी दबाव के बाद ब्लूम्सबरी इंडिया ने हाल ही में दिल्ली दंगों पर आधारित किताब ‘दिल्ली रायट्स 2020: द अनटोल्ड स्टोरी’ का प्रकाशन रद्द करने का फैसला लिया था। वहीं, अब इसी तरह कुछ संप्रदाय विशेष के लोगों और वामपंथी गिरोह के सदस्यों ने बुधवार को पशु हिंसा पर अपनी राय व्यक्त करने वाले ब्लूम्सबरी से जुड़े एक लेखक को निशाना बनाया है।
सायरा शाह हलीम नाम की एक सोशल मीडिया यूजर ने बुधवार को एक ट्वीट किया जिसमें दावा किया गया कि शाकाहार और अहिंसा का आपस मे कोई सम्बन्ध नहीं हैं। बता दें कि सायरा दावा करती हैं कि वह TEDx (टेडेक्स) अध्यक्ष हैं। जबकि सायरा हलीम ने अपने दावों को पुख्ता करने के लिए नाज़ी नेताओं का उदाहरण भी दिया। जो उनके अनुसार, पालतू जानवरों और अन्य जानवरों के प्रति प्यार के लिए जाने जाते हैं।
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हलीम ने दावा किया कि हिटलर एक शाकाहारी और शिकार से नफरत करने वाला था। साथ ही वह कुत्तों को पसंद करता था। उन्होंने आगे कहा कि लोगों को सुप्रीम लीडर का जानवरों के प्रति प्रेम को देखते हुए उनकी प्रशंसा करना बंद कर देना चाहिए। सोशल मीडिया यूजर ने कहा, “ऐसे नाजियों पर सवाल खड़ा करना चाहिए।”
बता दें कि हलीम द्वारा शाकाहार, नाज़ियों और जानवरों के प्रति प्रेम को दर्शाने वाला ट्वीट हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा साझा किए गए वीडियो के संदर्भ में था। जिसमें पीएम मोदी को मोर के साथ समय बिताते और उन्हें अपने घर पर भोजन कराते देखा गया था।
वहीं हलीम द्वारा किए गए पोस्ट पर लेखक अल्पेश पटेल ने एक मजाकिया तौर पर जवाब दिया। उन्होंने उनकी पोस्ट पर एक बकरी को काटने के लिए सही प्रक्रिया साझा करने के लिए कहा। बकरीद पर बकरे को ‘बलिदान’ के हिस्से के रूप में वध किया जाता है।
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अल्पेश पटेल द्वारा दिए गए जवाब के बाद, सायरा शाह हलीम ने उन्हें इसका जवाब देने के बजाय ब्लूम्सबरी को विवाद में घसीटने की कोशिश की। ब्लूम्सबरी को टैग करते हुए सायरा ने पब्लिशिंग हाउस से पूछा कि क्या अल्पेश उनके लेखक है?
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सायरा द्वारा ब्लूम्सबरी को टैग किए गए ट्वीट पर जल्द ही कई लोग उनकी टाइमलाइन पर आकर लेखक अल्पेश पटेल को उनके कमेंट के लिए धमकाने लगे। एक यूजर ने अल्पेश पटेल को कट्टर व्यक्ति कहा। इसके साथ ही उन्होंने ब्लूम्सबरी पर कट्टर विचारधारा के लेखकों को नियुक्त करने का आरोप भी लगाया।
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एक अन्य ट्विटर यूजर ने ब्लूम्सबरी को इस मुद्दे पर लेखक के खिलाफ कदम उठाने की माँग भी की।
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ये सभी वामपंथी गिरोह के सदस्य और संप्रदाय विशेष के लोग हालिया ब्लूम्सबरी द्वारा दबाव बनाने पर बुक को प्रकाशित नहीं करने के फैसले को देखते हुए दोबारा से ऐसा ही कदम अल्पेश के साथ उठाने का दबाव बना रहे है। वामपंथी अक्सर इसी तरह अपनी दकियानूसी बातों पर जवाब दिए जाने पर मचल उठते है। और इनका गिरोह तुरंत एक्टिव हो जाता है।
गौरतलब है कि कुछ हफ़्ते पहले प्रकाशक ब्लूम्सबरी इंडिया ने संप्रदाय विशेष के लोगों और वामपंथी गिरोह के लोगों के दबाव में आकर मोनिका अरोरा, सोनाली चितलकर और प्रेरणा मल्होत्रा की की पुस्तक ‘Delhi Riots 2020: The Untold Story’ के प्रकाशन को वापस लेने का फैसला किया था। उन्होंने इसके पीछे का एक कारण उनकी जानकारी के बिना लेखकों द्वारा आयोजित किए गए वर्चुअल प्री-पब्लिकेन इवेंट लॉन्च करने को बताया था।
दिल्ली दंगों पर यह किताब इसके लेखकों द्वारा की गई जाँच और इंटरव्यू के आधार पर लिखा गया था। जिसे सितंबर 2020 में पुस्तक को जारी करने की योजना बनाई थी।
वहीं पब्लिशिंग हाउस ब्लूम्सबरी द्वारा ‘Delhi Riots 2020: The Untold Story’ पुस्तक का प्रकाशन रद्द करने के बाद ‘गरुड़ प्रकाशन’ ने इसे प्रकाशित करने का फैसला किया था। पुस्तक के लिए अभी तक 30,000 से अधिक प्री बुकिंग ऑर्डर आ चुके हैं।