Tuesday, November 12, 2024
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नेचुरल फार्मिंग क्या है, बजट में क्यों इसे 1 करोड़ किसानों से जोड़ने का ऐलान: गोबर-गोमूत्र के इस्तेमाल से बढ़ेगी किसानों की आय

गायों पर आधारित प्राकृतिक खेती में तो पानी और बिजली की भी खपत 90% कम हो जाती है। भारत में 'जीरो बजट नेचुरल फार्मिंग' लोकप्रिय है।

भारत में 1 करोड़ किसानों को नेचुरल फार्मिंग से जोड़ा जाएगा। इसके लिए उन्हें सर्टिफिकेशन एवं ब्रांडिंग के जरिए सहायता दी जाएगी। वैज्ञानिक संस्थानों एवं ग्राम पंचायतों के माध्यम से इसे लागू किया जाएगा। 10,000 नीड बेस्ड बायो इनपुट सेंटर स्थापित किए जाएँगे। इसके तहत किसानों को उनकी फसलों, मिट्टी और जलवायु के हिसाब से संसाधन एवं सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। अब लोगों के मन में सवाल उठ रहा होगा कि ये ‘नेचुरल फार्मिंग’ है क्या और इसका फायदा कैसे उठाएँ।

आपको ‘राष्ट्रीय मिशन प्राकृतिक खेती प्रबंधन एवं ज्ञान पोर्टल’ पर इससे संबंधित जानकारियाँ मिल जाएँगी। अब जानते हैं कि नेचुरल फार्मिंग है क्या। ये एक खेती की ऐसी व्यवस्था है, जिसमें केमिकल का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। ये खेती भारतीय परंपरा के हिसाब से की जाती है, लेकिन इसमें इकोलॉजी की आधुनिक समझ, तकनीक व न्यूनतम संसाधनों का इस्तेमाल और रिसाइक्लिंग पर ज़ोर दिया जाता है। इस प्रकार इसमें लागत भी कम आती है।

नेचुरल फार्मिंग से जैव विविधता बढ़ती है, पशुओं के स्वास्थ्य एवं संरक्षण को बल मिलता है, जलीय परतंत्र में शैवालों की वृद्धि रूकती है, जल संरक्षण होता है, वातावरण पर केमिकल युक्त खादों और कीटनाशकों से होने वाले दुष्प्रभाव से बचाव मिलता है, मिट्टी का कटाव कम होता है और जलवायु परिवर्तन से लड़ने में भी ये सहायक है। आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश और केरल नेचुरल फार्मिंग के मामले में अच्छा कर रहे हैं। हालाँकि, इसकी स्वीकार्यता फ़िलहाल शुरुआती चरण में है।

ये मिट्टी के स्वास्थ्य व गुणवत्ता को बनाए रखने में सहायक होता है। इसके लिए बीज की स्थानीय वेराइटी का इस्तेमाल किया जाता है, किसी बाहरी इनपुट की ज़रूरत नहीं होती, खेत में ही सूक्ष्मजीवी पैदा किए जाते हैं जो बीज की सहायता करते हैं (उदाहरण – बीजामृत), इसी तरह मिट्टी को समृद्ध करने के लिए ‘जीवामृत’ जैसे सूक्ष्मजीवी पैदा किए जाते हैं, पोषक तत्वों के पुनर्चक्रण के लिए मिट्टी में सूक्ष्मजीवियों की अधिकतम गतिविधि सुनिश्चित की जाती है और मिश्रित फसलों के अलावा पेड़ों का एकीकरण किया जाता है।

नीमास्त्र, अग्निअस्त्र, नीम अर्क, दशपर्णी अर्क जैसे प्राकृतिक फॉर्मूले का इस्तेमाल कीटनाशक के रूप में किया जाता है। अभी देश में 10 लाख हेक्टेयर से भी अधिक भूमि पर नेचुरल फार्मिंग हो रही है। इसमें कई चीजों के लिए गाय के गोबर और गोमूत्र का इस्तेमाल किया जाता है। स्थानीय स्तर पर जो पशु पाए जाते हैं, उनका इस्तेमाल होता है। भारत में ‘जीरो बजट नेचुरल फार्मिंग’ लोकप्रिय है, जिससे ग्रीनहाउस गैस नहीं निकलता है और किसानों की आय भी बढ़ती है।

इससे ग्रामीण विकास होता है, रोजगार बढ़ता है। गायों पर आधारित प्राकृतिक खेती में तो पानी और बिजली की भी खपत 90% कम हो जाती है। सीधे शब्दों में समझें तो प्राकृतिक खेती एक रसायनमुक्त व्यवस्था है जिसमें प्राकृतिक संसाधनों का इस्तेमाल किया जाता है, जो फसलों, पेड़ों और पशुधन को एकीकृत करती है। प्राकृतिक खेती प्राकृतिक या पारिस्थितिक प्रक्रियाओं, जो खेतों में या उसके आसपास मौजूद होती हैं, पर आधारित होती है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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