छत्तीसगढ़ की श्रृंखला यादव की निर्मम हत्या को एक साल हो चुका है। शृंखला की उम्र मात्र 17 साल थी, जब कई दिनों से उसका पीछा कर रहे उन्हीं के इलाके में रहने वाले इशांत ठाकुर नामक युवक ने खेती में इस्तेमाल किए जाने वाली कुदाल से शृंखला यादव पर हमला कर दिनदहाड़े उसकी हत्या कर दी थी। जून 15, 2019 को रिसाली निवासी शृंखला यादव का अस्पताल में निधन हो गया था।
मृतक की माँ ममता यादव ने ऑपइंडिया से बातचीत में बताया कि जब उनकी बेटी के हत्यारे इशांत ठाकुर से दिनदहाड़े की गई इस हत्या का कारण पूछा गया तो उसने सीधा सा जवाब जवाब दिया – “क्योंकि वो पट नहीं रही थी।”
शृंखला यादव की माँ का कहना है कि आरोपित पक्ष ने पूरी सामर्थ्य लगाकर इशांत को जमानत पर रिहा करने का काम किया है। उन्होंने कहा कि उनकी बेटी के हत्यारे को यह अच्छी तरह से पता था कि वह नाबालिग है और वह न्यायिक प्रक्रिया के इस कमजोर पक्ष का फायदा उठाकर आसानी से बाहर भी हो जाएगा, और यही बात ध्यान में रखते हुए उसने इतना जघन्य अपराध करने की योजना भी बनाई थी।
शृंखला के परिजन आज भी न्याय की गुहार लगा रहे हैं जबकि नाबालिग हत्यारा अब बालिग हो चुका है। उनकी बेटी का हत्यारा आज भी खुलेआम घूम रहा है जबकि शृंखला के माँ-बाप अपनी व्यथा के साथ अकेले छोड़ दिए गए हैं।
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जिस दिन यह हत्या की गई, उस दिन शृंखला यादव की हत्या का आरोपित इशांत ठाकुर की उम्र तब 17 साल 11 महीने और 19 दिन थी, यानी वह शृंखला यादव को क्रूरता से मारने के कुछ ही दिन बाद वह बालिग़ होने वाला था। इशांत ठाकुर आज जमानत पर बाहर घूम रहा है।
नतीजा यह हुआ कि मृतक शृंखला यादव की माँ आज तक भी न्याय व्यवस्था में विश्वास कर रही है, और उन्हें यकीन है कि उनकी बेटी के हत्यारे को जेल की सलाखों में भेजा जाएगा।
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दिनदहाड़े की थी शृंखला यादव की हत्या
सत्रह वर्षीय शृंखला डॉक्टर बनना चाहती थी। जून 13, 2019 की दोपहर 3 बजे जब वो स्कूटी से सिविक सेंटर कोचिंग जा रही थी तभी पहले से उसका पीछा कर रहे आरोपित इशांत ठाकुर ने घर से करीब एक किलोमीटर दूर छत्रपति शिवाजी नगर गाँधीपुरम के पास उसका रास्ता रोका और शृंखला के सिर पर कुदाली (खेत में मिट्टी खोदने वाले हथियार) से हमला कर दिया।
इस हमले से शृंखला का सर फट गया और उसका एक हिस्सा बाहर आ गया। इसके बाद लहूलुहान शृंखला को करीब 85 फीट घसीटते हुए एक मकान के पीछे छोड़कर फरार हो गया। इस हमले से घायल शृंखला यादव 2 दिन तक जिंदगी और मौत से जूझती रही और आखिरकार उसने दम तोड़ दिया।
बेटी की मौत को एक वर्ष पूरा होने पर ऑपइंडिया से बातचीत में शृंखला की माँ ने बताया कि उनकी बेटी की हत्या करने वाला इतना शातिर और परिपक्व था कि उनकी बेटी की हत्या करने के बाद जब शृंखला का शव घर पर आया था और लोग जानना चाह रहे थे कि क्या हुआ, तब उसके बारे में पूछताछ करने वालों में उसका हत्यारा इशांत ठाकुर भी शामिल था।
जून 13, 2019 को जिस दिन आरोपित इशांत ठाकुर को गिरफ्तार किया गया, तब उसकी उम्र 17 साल 11 महीना थी। 19 जून को उसका जन्मदिन था और वह 18 साल का हो गया। इसका फायदा उठाकर ही वह कुछ ही दिनों में जमानत पर रिहा हो गया और आज बाहर घूम रहा है।
अपनी बेटी के लिए न्याय की उम्मीद लगा रही ममता यादव का कहना है कि 5 नवम्बर को हत्यारोपित इशांत को सेशन कोर्ट से जमानत मिल गई थी। उन्होंने बताया कि बाल न्यायालय से जमानत खारिज होने के बाद दिवाली के ठीक एक दिन बाद कोर्ट खुलते ही पहले ही दिन सेशन कोर्ट में आरोपित पक्ष द्वारा एप्लीकेशन लगाईं गई। फौरन तकरीबन 300 पन्नों की फ़ाइल बाल न्यायालय से मँगाई गई और मजिस्ट्रेट ने एक ही दिन में उसे जमानत भी दी, और 6 नवम्बर को इशांत ठाकुर रिहा भी हो गया।
ममता यादव ने कहा कि बाल न्यायलय में जहाँ उनकी बात अच्छी तरह से सुनी गई, वहीं सेशन कोर्ट में उनकी बात रखने का मौका तक नहीं दिया गया और ना ही उनका पक्ष सुना गया। यहाँ तक कि आरोपित को भी वकीलों जैसा लुक देकर, अपने साथ बातचीत करते हुए छुपाकर कोर्ट लाया गया था।
ममता यादव ने कहा कि जब उन्होंने मजिस्ट्रेट से इस बारे में कहा तो उन्होंने परिजनों को फैसला पसंद न आने की सूरत में हाईकोर्ट जाने की सलाह भी दी। ममता यादव का कहना है कि दिल्ली में निर्भया के बलात्कार और हत्याकांड के बाद फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट की व्यवस्था की गई थी लेकिन वो आज तक न्याय के लिए भटक रहे हैं।
न्याय के लिए जंग लड़ रही ममता यादव का कहना है कि न्याय प्रणाली के कारण जिस सत्रह साल की लड़की की हत्या की गई, उसके माँ-बाप का मनोबल टूटना स्वाभाविक है फिर भी वो लोग न्याय की उम्मीद में अपनी लड़ाई जारी रख रहे हैं।
शृंखला यादव का कहना है कि उनकी लड़ाई अब सिर्फ अपनी बेटी को न्याय दिलाने तक सीमित नहीं है, बल्कि हर उस माँ को हौंसला देने के लिए है जिनकी बेटियों को इस तरह से सरेआम क्रूरता से मार दिया जाता है।
शृंखला की माँ का कहना है कि जब उन्होंने सोशल मीडिया के जरिए न्याय की माँग को आगे बढ़ाना चाहा तो आरोपित युवक अपने साथियों के जरिए उन्हें ऐसे संदेश दे रहा है कि ‘न्याय तो हो चुका है, अब आपको कौन सा न्याय चाहिए?’
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ऑपइंडिया से बात करते हुए ममता यादव ने कहा कि इन्स्टाग्राम पर भेजे गए उन्हें इस सन्देश के पीछे उसी युवक का हाथ हो सकता है और ‘न्याय हो गया’ के रूप में उसका अर्थ शृंखला की हत्या से है।
वहीं, शृंखला के लिए न्याय माँग रहे उसके परिजनों का कहना है कि उसके हत्यारे इशांत ठाकुर को मिली जमानत के पीछे राजनीतिक कारण भी हैं। यदि छत्तीसगढ़ में कोई चुनाव आने वाला होता तो शायद उन्हें सुनने वाले कई लोग मिल जाते लेकिन क्योंकि ऐसी फिलहाल कोई सम्भावना नहीं है इस कारण किसी को उनकी परवाह भी नहीं है। उनका कहना है कि छत्तीसगढ़ जैसे राज्य की घटनाएँ कभी मुख्यधारा की मीडिया में चर्चा में नहीं होती हैं, इसका फायदा यहाँ पर कुछ लोग मनमाने तरीके से उठा रहे हैं।
शृंखला यादव के जैसे देशभर में न जाने कितने ही ऐसे मामले हैं, जिनमें लोग आज भी न्याय की उम्मीद लगाए बैठे हैं जबकि उनकी आवाज तक सुनने को कोई राजी नहीं है। मृतक शृंखला की माँ ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री को कई ऐसे पत्र भी भेजे हैं, जिनमें उन्होंने न्यायिक प्रक्रिया के कारण ही न्याय ना मिल पाने का जिक्र किया है। लेकिन एक साल बीत जाने के बाद भी उन्हें कहीं से कोई जवाब और आश्वासन नहीं मिल पाया है।
Chhattisgarh’s Bhilai witnessed one of it’s most shocking and shattering crimes one year ago on 15th June 2019.
— Shhhhcularism (@shhhhcularism) June 19, 2020
Note that it’s a long thread begging for justice please make sure it reaches the concerned and the government too.
बेटी की हत्या को एक साल होने पर ममता यादव ने अब सोशल मीडिया के जरिए अपनी बात रखने का रास्ता अपनाया है। इन्स्टाग्राम से लेकर फेसबुक और ट्विटर पर वह वीडियो और लेखों के जरिए इसी उम्मीद में वास्तविकता को सबके सामने रखने का प्रयास कर रही हैं कि उनकी इस लड़ाई से और लोग भी जुड़ सकेंगे, और एक दिन उनकी बेटी के गुनहगार को जरूर सजा मिल सकेगी।
@ForShrinkhala ‘Justice’ a big sense of feeling of assurance that every victim or its belongers wants. Shrinkhala is too waiting for her turn. Very disgusting to say that our paralysed judicial system is worsening steeply. 1 yr passed but still no trial in court. We want justice. pic.twitter.com/2230d2jBbR
— Rahul Yadav (@RahulYa30442419) June 13, 2020
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