क्लबहाउस चैट रूम में कुछ ईसाई समूहों द्वारा समुदाय विशेष के लोगों पर विवादस्पद टिप्पणी किए जाने के बाद मामले ने तूल पकड़ लिया है। ये विवाद सोमवार और मंगलवार को ‘क्रिश्चियन यूथ्स, दिस वे’ शीर्षक से आयोजित चर्चा को लेकर है। कहा जा रहा है कि चर्चा के एक सत्र में लव जिहाद जैसे मुद्दों पर बात कर मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाया गया।
ईसाइयों को मानते हैं बिरादर: सुन्नी स्कॉलर
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार मामले में सुन्नी स्कॉलर बशीर फैजी देशमंगलम ने कहा, “सत्र की कुछ बातें न केवल मुस्लिम विरोधी थीं, बल्कि मानव विरोधी भी थीं। सार्वजनिक स्थलों पर ऐसी टिप्पणियों को सुनना बेहद चौंकाने वाला है।” उन्होंने चर्चा में उठे मुद्दों पर बोलते हुए कहा, “वक्ताओं ने प्रोफेसर टीजे जोसेफ के हाथ काटने जैसी घटनाओं का जिक्र किया, जिसकी सभी मुस्लिम संगठनों ने निंदा की थी। वे ‘लव जिहाद’ जैसे आरोप पर बात कर रहे थे जिसे कोर्ट और जाँच अधिकारी सब खारिज कर चुके हैं।”
फैजी के मुताबिक इस चर्चा के बाद ईसाई समुदाय के कई लोग सामने आकर बयानों की निंदा कर रहे हैं। एक पादरी ने इस तरह की टिप्पणियों पर माफी माँगी है और उनके साथ एकजुटता दिखाई है। उनके मुताबिक इन बातों के सामने आने के बाद सुन्नी स्कॉलरों के संगठन समस्त केरल जाम अय्यातुल उलेमा ने मुद्दों को सुलझाने के लिए ईसाइयों से बातचीत शुरू करने के प्रयास तेज कर दिए हैं। वह कहते हैं, “हम ईसाई समुदाय के लोगों को ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से बिरादर मानते हैं।”
तय पैटर्न को देख हुई लव जिहाद पर चर्चा
वहीं फादर नोबल थॉमस का कहना है कि चर्चा में उठा लव जिहाद का मुद्दा निराधार नहीं था। लेकिन हाँ, सभी अंतर्धार्मिक विवाहों को इस श्रेणी में नहीं रखा जा सकता है। वह एक पैटर्न का हवाला देते हुए कहते हैं कि पूरे राज्य में नजर आया एक तय पैटर्न उन्हें लव जिहाद पर संदेह करने को मजबूर करता है।
बता दें कि फादर नोबेल मनंतवाडी सूबा के जनसंपर्क अधिकारी हैं। उनका कहना है कि वर्तमान में हुई चर्चा को ऐतिहासिक पृष्ठभूमि में देखा जाना चाहिए। अपनी बात रखते हुए उन्होंने अर्मेनिया में ईसाइयों के नरसंहार और इस्लामिक स्टेट द्वारा की गई क्रूरताओं जैसी घटनाओं का जिक्र किया। उन्होंने कहा, “इसके अलावा, एमएम अकबर जैसे उपदेशक पिछले दो दशकों से हमारे धर्म का अपमान कर रहे हैं।”
वह कहते हैं, “ऐसा मानना है कि पूरे मुस्लिम समुदाय ने हादिया (विवाह) मामले में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) का समर्थन किया। इसके अलावा पनक्कड़ सादिक अली थंगल का अखबार में हागिया सोफिया को मस्जिद में बदलने का लेख भी भड़काऊ था।”
मुस्लिम समुदायों में क्लबहाउस चर्चा के बाद आपसी बातचीत का मुद्दा गरमाने के बाद फादर नोबल कहते हैं कि वह इस मुद्दे पर गंभीरता से बात करेंगे अगर आगे भड़काऊ बयानबाजी न हो। उन्होंने ताजा उदाहरण देते हुए 80:20 के मुद्दे को उठाया और कहा कि सबको मालूम है न्याय उनके साथ होना है। लेकिन मुस्लिम समुदाय फर्जी दावे कर उन्हें लगातार ताना दे रहे हैं।
केरल कैथोलिक यूथ मूवमेंट ने ईसाई समूहों के बयान से किया किनारा
एक ओर जहाँ कुछ ईसाई समुदाय खुलकर समुदाय विशेष के ख़िलाफ़ अपने बयान दे रहे हैं। वहीं केरल कैथोलिक यूथ मूवमेंट इन समूहों द्वारा कही बातों का विरोध कर रहा है। एक बयान में, केसीवाईएम राज्य समिति ने उन समूहों की आलोचना की जो ‘कुछ राजनीतिक दलों के सांप्रदायिक एजेंडे को चलाने के लिए काम कर रहे हैं।’ ईसाई समूहों की चर्चा से किनारे करते हुए बयान में कहा गया है कि उत्तर भारत में ईसाई मिशनरियों पर अत्याचार और केंद्र सरकार की सांप्रदायिक नीतियाँ भी कैथोलिक चर्च की चिंताएँ हैं। लेकिन ये ईसाई समूह सिर्फ एक धर्म से संबंधित मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं।
विधायक नजीब का CM को पत्र
इस मामले में विधायक नजीब कंथापुरम ने मुख्यमंत्री पिनराई विजयन से उन लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने को कहा है जो सोशल मीडिया के जरिए सांप्रदायिक बँटवारा करने की कोशिश कर रहे हैं। एक पत्र में, नजीब ने कहा कि सोशल मीडिया पर पोस्ट, वीडियो और ऑडियो शेयर हो रहे हैं। जिनका उद्देश्य पिछले कुछ महीनों से ईसाई और मुस्लिम समुदायों के बीच दरार पैदा करना है।
पूरे मामले में किसी साजिश की ओर इशारा करते हुए विधायक ने कहा कि ऐसी हरकत का मकसद सिर्फ सांप्रदायिक सौहार्द और शांति को नष्ट करना है। पत्र में कहा गया, “केरल में सदियों से मौजूद शांति के माहौल को खराब नहीं किया जाना चाहिए और दोषियों को पकड़ने के लिए सभी प्रयास किए जाने चाहिए।”