दुष्कर्म जैसी घटनाओं को आधार बनाकर अक्सर योगी सरकार को घेरना अब जैसे कॉन्ग्रेस की आदत हो गई है। अभी बीते दिनों कॉन्ग्रेस पार्टी के अखबार नेशनल हेराल्ड ने अपनी खबर छापी जिसमें 7-8 रेप की घटनाओं के साथ शीर्षक में लिखा था- ‘योगी के उत्तर प्रदेश में बेटी सुरक्षित नहीं है।’ इस खबर में अंदर बताया गया कि योगी आदित्यनाथ प्रदेश में राम राज्य की बात करते हैं लेकिन 4 साल में नतीजे आपके सामने हैं।
नेशनल हेराल्ड की यह खबर, योगी सरकार पर सवाल उठाने के लिए कितनी सटीक थी या नहीं, बहस आज उस पर नहीं है। प्रश्न ये है कि जब सामाजिक कुकृत्यों पर किसी एक प्रदेश की सरकार को इतनी छानबीन करके सवालों के कटघरे में खड़ा किया जा सकता है तो फिर कॉन्ग्रेस शासित राज्यों में हो रही घटनाओं पर पार्टी सवालों से अछूती क्यों है।
आज मुंबई, जहाँ शिवसेना और एनसीपी के साथ कॉन्ग्रेस महागठबंधन में एक बड़ी पार्टी है, वहाँ एक महिला अधिकारी ने एक पुलिसकर्मी के खिलाफ बलात्कार की शिकायत लिखवाई है। अभी मामला ताजा है इसलिए केस में जाँच हो रही है।
लेकिन, मालूम हो कि पिछले कुछ समय में ये अकेला केस नहीं है, जहाँ प्रशासन से जुड़ा कोई व्यक्ति महिला की इज्जत से ख़िलवाड़ करता नजर आया और कॉन्ग्रेस इस पर पूरी तरह चुप रही। राजस्थान में भी कॉन्ग्रेस की सरकार है। यहाँ पिछले माह ही कैलाश बोहरा नाम के एक पुलिस अधिकारी पर रेप करने का आरोप लगा।
कैलाश बोहरा के पास एक महिला अपने साथ हुए दुष्कर्म की शिकायत करने आई लेकिन वहाँ सुनवाई करने की जगह बोरा ने 50 हजार रुपए की रिश्वत माँगी और जब महिला उसे देने में असमर्थ नजर आई तो वह उससे शारीरिक संबंध बनाने को कहने लगा।
मामले में महिला की थोड़ी समझदारी के कारण बोहरा पकड़ा गया। एंटी करप्शन ब्यूरो और विभाग ने उसे रंगे हाथ पकड़ा। हर जगह खबर चली। बोहरा को सस्पेंड किया गया। लेकिन किसी भी पार्टी नेता ने अपने प्रशासन या उनकी कार्यशैली पर सवाल उठाए? नहीं।
मामला यही खत्म नहीं होता राजस्थान के ही अलवर में खड़ेली थाना में एक महिला 2 मार्च को शिकायत लिखवाने गई। मगर, मामला सुनने की बजाय वहाँ के एसआई ने उसका फायदा उठाया और थाना परिसर में ही उसके साथ कई दफा रेप किया। बाद में जब महिला अपनी पहली परेशानी की जगह एसआई के ख़िलाफ़ शिकायत लेकर पहुँची तो टालमटोल करके उन्हें भगा दिया गया।
इससे पहले रावली विहार थाने में पोस्टेड एएसआई रामजीत गुर्जर के खिलाफ भी एक महिला ने रेप का मामला दर्ज कराया था, जिसके बाद उसे लाइन हाजिर तो किया गया लेकिन गिरफ्तारी का कुछ पता नहीं चल।
फिर साल 2019 की बात करें तो राजस्थान के ही चुरु जिले में एक दलित युवक की पुलिस हिरासत में हुई संदिग्ध मौत के मामले में भी पुलिस पर रेप के आरोप लगे थे। मृतक की 35 वर्षीय भाभी और परिजनों ने आधा दर्जन से अधिक पुलिसकर्मियों पर सामूहिक बलात्कार का आरोप लगाया था।
इसी तरह छत्तीसगढ़ में भी हाल में एक सब इंस्पेक्टर के खिलाफ़ रेप और धमकाने का मामला दर्ज हुआ था। कृष्ण कुमार साहू पर आरोप लगा था कि उसने पीड़िता की मदद के बहाने उसके साथ दुष्कर्म किया और बाद में लगातार पीड़िता को धमकाता रहा।
ये केवल चंद मामले हैं। ऐसे न जाने कितने केस हों, जहाँ राज्यों की पुलिस पर तमाम तरह के दाग लगे और राज्य से रेप की घटनाएँ भी नियमित तौर पर आई। लेकिन तब भी पार्टी के अखबर ने सवाल उठाया तो दूसरे प्रदेश पर। शायद, सच्चाई यही है कि कॉन्ग्रेस के लिए दुष्कर्म, एक अपराध तभी तक है जब तक वह उत्तर प्रदेश या भाजपा शासित प्रदेश में हो। उनका इससे कोई सरोकार नहीं है कि उनके राज्यों में स्वयं वही लोग औरतों की अस्मत से खिलवाड़ करने में लगे हैं जिन्हें उनकी सुरक्षा का जिम्मा सौंपा गया।