Friday, April 19, 2024
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ToolKit पर कॉन्ग्रेस को हाई कोर्ट का झटका: रमन सिंह, संबित पात्रा के खिलाफ जाँच रोकी, कहा- राजनीतिक दुर्भावना से FIR

"तथ्यों और प्राथमिकी के अवलोकन के बाद प्रथम दृष्टया याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई मामला नहीं बनता है। स्पष्ट रूप से याचिकाकर्ता के खिलाफ दुर्भावना या राजनीतिक द्वेष के कारण कार्यवाही की गई है।"

टूलकिट (ToolKit) मामले में छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट से कॉन्ग्रेस को बड़ा झटका लगा है। अदालत ने राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रमन सिंह तथा पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा के खिलाफ जाँच पर रोक लगा दी है। दोनों ने अपने खिलाफ दर्ज प्राथमिकी (FIR) को निरस्त करने के लिए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी।

कॉन्ग्रेस की छात्र ईकाई NSUI के छत्तीसगढ़ प्रदेश अध्यक्ष आकाश शर्मा की शिकायत पर रायपुर सिविल लाइन पुलिस ने 19 मई को एफआईआर दर्ज की थी। सिंह और पात्रा को पूछताछ का नोटिस भी भेजा गया था। शर्मा ने आरोप लगाया था कि संबित पात्रा कॉन्ग्रेस के लेटरहेड के माध्यम से फर्जी दस्तावेज शेयर कर रहे हैं और टूलकिट के बहाने कॉन्ग्रेस पर झूठे आरोप लगा रहे हैं। वहीं रमन सिंह पर समुदायों के बीच तनाव उत्पन्न करने का आरोप लगाया गया था।

हाई कोर्ट के जस्टिस नरेंद्र कुमार व्यास ने सुनवाई करते हुए कहा कि दोनों के खिलाफ एफआईआर दुर्भावना और राजनीतिक द्वेष के कारण दर्ज की गई थी। उन्होंने कहा, “तथ्यों और प्राथमिकी के अवलोकन के बाद प्रथम दृष्टया याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई मामला नहीं बनता है। स्पष्ट रूप से याचिकाकर्ता के खिलाफ दुर्भावना या राजनीतिक द्वेष के कारण कार्यवाही की गई है।” इस आधार पर अदालत ने दर्ज एफआईआर के आधार पर जाँच जारी रखने पर रोक लगा दी। अदालत ने माना कि जाँच जारी रखना कानून का दुरुपयोग होगा।

एनएसयूआई प्रदेश अध्यक्ष की शिकायत के आधार पर छत्तीसगढ़ पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान), 505 (सार्वजनिक शरारत), 469 (जालसाजी) और 188 (लोक सेवक द्वारा विधिवत प्रख्यापित आदेश की अवज्ञा) के तहत मामला दर्ज किया था।

हाई कोर्ट ने कहा कि धारा 504 और 505 के तहत अपराध नहीं बनता क्योंकि ट्वीट से सार्वजनिक शांति प्रभावित नहीं हुई। धारा 469 के तहत जालसाजी के आरोप को लेकर कहा कि जो दस्तावेज इन्होंने ट्वीट किए थे वे पहले से ही पब्लिक डोमेन में थे। अब मामले की सुनवाई चार सप्ताह बाद होगी।

गौरतलब है कि पिछले दिनों कॉन्ग्रेस का कथित टूलकिट लीक हुआ था। इसमें कोरोना वायरस से पैदा हालात का फायदा उठाकर केंद्र की मोदी सरकार और उसके मंत्रियों को बदनाम करने के दिशा-निर्देश दिए गए थे। साथ ही विदेशी मीडिया से साँठ-गाँठ की बातें भी कही गई थी। इसमें कुंभ को भी बदनाम करने की साजिश रची गई थी। कॉन्ग्रेस का दावा था कि ये दस्तावेज जाली हैं। उसने दिल्ली पुलिस से भी शिकायत की थी जो बाद में यह कहते हुए वापस ले ली गई कि वह छत्तीसगढ़ में मामले को आगे बढ़ाएगी।

टूलकिट से संबंधित भाजपा नेता के ट्वीट पर ‘मैनिपुलेटेड मीडिया’ का टैग लगाने के बाद दिल्ली पुलिस ने ट्विटर को नोटिस भेजा था। पूछताछ के लिए पुलिस ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के दिल्ली और गुरुग्राम स्थित दफ्तरों में भी दबिश दी थी। दिल्ली पुलिस ने Twitter से पूछा था कि उसके पास टूलकिट को लेकर क्या सूचनाएँ हैं और किन तथ्यों के आधार पर उसने इन्हें ‘मैनिपुलेटेड मीडिया’ करार दिया।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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