दिल्ली की सिंघु सीमा पर चल रहे ‘किसान आंदोलन’ में निहंग सिखों ने दलित लखबीर सिंह की बेरहमी से हत्या कर दी थी। उनका गला रेत कर शव को लटका दिया गया था। बगल में उनके दाहिने हाथ को काट कर टाँग दिया गया था। उनके शरीर पर जख्म के 37 निशान थे। अमृतसर के निहंग डेरे में एक हत्या आरोपित को नोटों की माला पहना कर सम्मानित भी किया गया। अब इस मामले में पंजाब की कॉन्ग्रेस सरकार पर संवेदनहीनता के आरोप लग रहे हैं।
माजरा कुछ यूँ है कि दलित लखबीर सिंह के शव का अंतिम संस्कार आनन-फानन में पुलिस की मौजूदगी में कर दिया गया, जिसमें सिर्फ परिवार के लोग ही मौजूद रहे। चीमा कलाँ गाँव का भी कोई व्यक्ति इसमें शामिल नहीं हुआ। लखबीर सिंह पंजाब के तरनतारन के रहने वाले थे। यहाँ तक कि अंतिम संस्कार के दौरान अरदास के लिए किसी सिख ग्रंथी को भी नहीं बुलाया गया। पत्नी जसप्रीत कौर, सास सविंदर कौर, बहन राज कौर और तीन नाबालिग बेटियों सहित 12 परिजन वहाँ उपस्थित रहे।
गुरु ग्रन्थ साहिब की बेअदबी के आरोप के कारण गाँव के लोग लखबीर सिंह का अंतिम संस्कार वहाँ नहीं होने देना चाह रहे थे। परिवार के किसी सदस्य को कोई भी धार्मिक रस्म अदा नहीं करने दी गई। भारी संख्या में जवान वहाँ एम्बुलेंस से शव लेकर शनिवार (16 अक्टूबर, 2021) को शाम पौने 7 बजे पहुँचे। शव पॉलीथिन में बंद था। परिजनों को चेहरा तक नहीं दिखाया गया। बिना पॉलीथिन उतारे शव को जला दिया गया।
इतना ही नहीं, लकड़ियाँ तुरंत आग पकड़े और सब कुछ जल्दी-जल्दी में निपट जाए, इसके लिए डीजल का इस्तेमाल किया गया। भाजपा आईटी सेल के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित मालवीय ने कॉन्ग्रेस पर हमला बोलते हुए लिखा, “35 वर्षीय दलित सिख लखबीर सिंह, जिनकी हत्या कर दी गई थी, उनका रात के अंधेरे में मोबाइल टॉर्च की रोशनी से आनन-फानन में अंतिम संस्कार कर दिया गया। उनके परिवार को उनके बेटे का अंतिम दर्शन भी नहीं करने दिया गया।”
अमित मालवीय ने सवाल दागा कि कॉन्ग्रेस शासित पंजाब में मरे हुए की कोई इज्जत नहीं, सिर्फ इसलिए कि वह एक दलित था? इस मामले में अब तक 4 आरोपित गिरफ्तार किए जा चुके हैं। ‘दैनिक भास्कर’ की खबर के अनुसार, लखबीर सिंह का शव पहुँचने से पहले ही लकड़ियाँ व्यवस्थित कर दी गई थीं और श्मशान घाट लाए जाने के 10 मिनट के भीतर सारी प्रक्रियाएँ निपटा दी गईं। इस दौरान मोबाइल फोन के प्रकाश में काम निपटाया गया।
Lakhbir Singh, 35 year old Dalit Sikh, who was hacked to death, was hurriedly cremated in the dark of the night, using mobile torch lights, family not even allowed to see him one last time.
— Amit Malviya (@amitmalviya) October 17, 2021
No dignity for the dead in Congress ruled Punjab, just because he happened to be a Dalit? https://t.co/zZRonby07r
‘सत्कार कमिटी’ के सदस्यों ने कहा था कि वो सिख धार्मिक रीति-रिवाज से शव का अंतिम संस्कार नहीं होने देंगे। पंचायत और ग्रामीणों ने भी इसके फैसले को माना। गाँव के लोगों को अंतिम संस्कार में जाने से मना कर दिया गया। वहीं राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष विजय सांपला ने पंजाब के DGP से कहा है कि अंतिम संस्कार की प्रक्रिया न होने देने वाले ग्रामीणों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाए।
उन्होंने कहा कि ये SC/ST एक्ट के विरुद्ध है, क्योंकि ग्रामीणों ने एक दलित का अंतिम संस्कार नहीं होने दिया। उन्होंने पंजाब के DGP से इस मामले का संज्ञान लेने को कहा है। विजय सांपला ने कहा कि इस तरह की क्रूरता और अत्याचार उन्होंने ISIS और तालिबान जैसे आतंकी संगठनों द्वारा किए जाते हुए सुना है, लेकिन हमारे देश में इस तरह की चीजें होना दिल तोड़ने वाला है। उन्होंने पंजाब के मुख्य सचिव और डीजीपी से रिपोर्ट भी तलब की है।
बता दें कि लाठी-डंडों के अलावा कई धारदार हथियारों से लखबीर सिंह पर बहुतों बार प्रहार किया गया था। ज़्यादा खून बहने की वजह से उन्होंने दम तोड़ा था। ‘संयुक्त किसान मोर्चा’ इस घटना से पल्ला झाड़ रही है। आरोपित नारायण सिंह को निहंगों के डेरे पर सम्मानित किया गया था। पीड़ित परिवार ने इस मामले में उच्च-स्तरीय जाँच की माँग की है। खेतिहर मजदूर परिवार का कहना है कि ईश्वर से डरने वाले लखबीर सिंह धार्मिक ग्रन्थ की बेअदबी के बारे में सोच भी नहीं सकते।