दिल्ली के मटियाला में किराए के गोदाम में ईसाई मिशनरी द्वारा धर्मांतरण कराने के प्रयास का मामला सामने आया है। स्थानीय निवासियों और विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने पश्चिम दिल्ली के मटियाला, द्वारका में एक गोदाम में रविवार (28 नवंबर 2021) को सामूहिक सभा को यह आरोप लगाते हुए रोक दिया कि गोदाम के मालिक को जानकारी दिए बिना ही इसे चर्च में बदल दिया गया था। वहीं, चर्च के सदस्यों ने आरोप लगाया कि बजरंग दल ने स्थानीय लोगों को उनके खिलाफ भड़काया है।
किराये का गोदाम, कर रहे थे चंगाई सभा और उसे बता रहे हैं चर्च..
— विनोद बंसल Vinod Bansal (@vinod_bansal) November 30, 2021
ये मिशनरी हैं या झूँठ, फरेब व धर्मांतरण के सरगना?? https://t.co/Bl46hDZbDa
विहिप के प्रवक्ता विजय शंकर तिवारी ने ट्वीट किया, ”दिल्ली के मटियाला में तीन लाख रुपए महीने के किराए पर हाल लेकर ईसाई धर्मांतरण का खेल खेला जा रहा था। जब स्थानीय लोगों को इसका पता चला तो हॉल मालिक ने इसे कैंसिल कर दिया। किराए का करार और स्थानीय लोगों ने उन्हें भगा दिया।” इस मामले से जुड़ी अन्य जानकारी प्राप्त करने के लिए ऑपइंडिया ने विजय शंकर तिवारी से संपर्क किया। तिवारी ने बताया गोदाम के मालिक को जानकारी दिए बिना इसे चर्च में बदल दिया गया था।
ऑपइंडिया से बात करते हुए तिवारी ने कहा कि ईसाई संगठन ने कुछ महीने पहले गोदाम किराए पर लिया था। उन्होंने कथित तौर पर गोदाम के मालिक को इसे चर्च में बदलने की अपनी योजना के बारे में सूचित नहीं किया था। करीब 15 दिन पहले स्थानीय लोगों ने मालिक को बताया कि गोदाम को चर्च में तब्दील कर दिया गया है। विहिप प्रवक्ता विनोद बंसल ने अपने एक ट्वीट में परिसर में बाउंसरों की मौजूदगी पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा, “मटियाला में माल गोदाम को धोखे से रातों-रात चर्च का नाम देकर धर्मांतरण का खेल खेलने की अनुमति किसने दी? वहाँ पर मुस्टंडे बाउंसर क्या कर रहे थे?”
मटियाला में माल गोदाम को धोखे से रातोंरात चर्च का नाम दे कर धर्मांतरण का खेल खेलने की अनुमति किसने दी? वहां पर मुस्टंडे बाउंसर क्या कर रहे थे??
— विनोद बंसल Vinod Bansal (@vinod_bansal) November 30, 2021
द हिंदू ने एक स्थानीय व्यक्ति के हवाले से कहा कि स्थानीय लोग इलाके में चर्च के निर्माण के पक्ष में नहीं थे। बता दें कि स्थानीय लोग इससे खुश नहीं थे, क्योंकि कई लोग उस चर्च में आने लगे थे। इसकी वजह से यह स्थानीय लोगों के लिए परेशानी का सबब बन गया था। जब मालिक को पता चला कि उसके गोदाम को चर्च में तब्दील कर दिया गया है, तो उसने किराया समझौता रद्द कर दिया। इसके बाद गोदाम से फर्नीचर आदि को हटाने के लिए उन्होंने उन लोगों ने 15 दिनों का समय दिया।
हालाँकि, इसके बाद भी ईसाई संगठन द्वारा परिसर में फिर से सामूहिक सभा का आयोजन किया गया, जिसके बाद स्थानीय लोगों ने इसका विरोध किया। इनमें विहिप के कुछ सदस्य भी थे।