दिल्ली निजामुद्दीन मरकज को पूरी तरह से खोलने की माँग वाली अर्जी पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट में दिल्ली पुलिस ने कहा कि वह मरकज यानी तब्लीगी जमात के मुख्यालय की चाभी मौलाना साद को सौंपेगी। ‘दिल्ली वक्फ बोर्ड’ की अर्जी पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को मरकज की चाबी उस व्यक्ति को सौंपने की हिदायत दी, जिससे ली गई थीं।
दिल्ली पुलिस के वकील रजत नायर ने दलील दी कि उसे इसको लेकर दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए गए हैं कि निजामुद्दीन बंगलेवाली मस्जिद का वास्तविक मालिक कौन है और वह सिर्फ उसी व्यक्ति को चाबियाँ सौंप सकती है जिससे उन्होंने कब्जा लिया था, जो मौलाना मुहम्मद साद है। पुलिस ने अदालत के सामने दावा किया कि साद फरार है, इसपर मरकज की प्रबंध समिति के एक सदस्य ने दावा किया कि साद फरार नहीं है वह परिसर में ही मौजूद है और चाबी लेने के लिए एजेंसी के सामने पेश हो सकता है।
सुनवाई के दौरान, न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने कहा कि पुलिस ने जिस व्यक्ति से कब्जा लिया है, उस व्यक्ति को कब्जा वापस करें। जज ने कहा, “मैं यहाँ संपत्ति के मालिकाना हक को लेकर फैसला नहीं कर रहा हूँ। आप पता लगाएँ कि आपको क्या करना है, लेकिन चाबी दे दीजिए। आप इसे अपने पास नहीं रख सकते।” दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस से पूछा कि क्या आप अभी वहाँ कब्जे में हैं? आपने किस क्षमता से कब्जा लिया है? महामारी रोग अधिनियम के तहत प्राथमिकी पंजीकृत की गई थी, वह अब समाप्त हो गया है।
Delhi High Court grills Delhi Police for continuing with its restrictions at Markaz Nizamuddin premises since March 2020, says the case was registered under Epidemic Diseases Act. “I am not adjudicating the FIR for tile. You will handover the keys,” the court directed the police. pic.twitter.com/cAulmYnxEw
— Live Law (@LiveLawIndia) November 28, 2022
दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा पुलिस से सवाल किए जाने के बाद दिल्ली पुलिस के वकील नायर ने कहा कि उन्हें क्षतिपूर्ति मुचलके पर संपत्ति सौंपने में कोई आपत्ति नहीं होगी। न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने नायर का बयान दर्ज किया कि साद द्वारा क्षतिपूर्ति मुचलका भरने के बाद चाभियाँ सौंप दी जाएँगी।
निजामुद्दीन मरकज में मस्जिद, मदरसा काशिफ-उल-उलूम और एक छात्रावास है। निजामुद्दीन मरकज को मार्च 2020 में कोविड-19 महामारी के बीच तबलीगी जमात द्वारा कार्यक्रम आयोजित करने के लिए बंद कर दिया गया था। आपको बता दें मौलाना साद को दिल्ली पुलिस ने मार्च 2020 में दर्ज एफआईआर में मुख्य आरोपित बनाया है। उन पर जमात के सदस्यों के साथ कोरोना संबंधी मानदंडों के उल्लंघन का आरोप है।
कोरोना महामारी के समय निजामुद्दीन मरकज में बड़ी संख्या में तबलीगी जमात के लोग ठहरे हुए थे। मरकज में ठहरे लोगों में जब कोरोना के मामले पाए गए, तब मामला खुला। दिल्ली पुलिस ने इसके बाद मरकज को सील कर दिया था। इतना ही नहीं जब मरकज के लोगों को अस्पतालों में ले जाया जा रहा था तो उनमें से कइयों ने अस्पताल परिसर में थूकना शुरू कर दिया था कुछ तो अस्पताल स्टाफ पर भी थूक रहे थे।