Tuesday, June 17, 2025
Homeदेश-समाज'इसमें कुछ ऐसा नहीं, जिसके दम पर बेल दी जाए': दिल्ली HC ने खारिज...

‘इसमें कुछ ऐसा नहीं, जिसके दम पर बेल दी जाए’: दिल्ली HC ने खारिज की उमर खालिद की जमानत याचिका, भाषण में कहा था – अंग्रेजों की दलाली करते थे आपके पूर्वज

दिल्ली हिंदू विरोधी दंगे के मामले में पुलिस ने खालिद को सितंबर 2020 में गिरफ्तार किया था। उसने फरवरी 2020 में दिल्ली में हुए सांप्रदायिक दंगों की व्यापक साजिश से जुड़े यूएपीए मामले में जमानत की माँग की है।

दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार (18 अक्टूबर, 2022) को दिल्ली में हुए हिन्दू विरोधी दंगों के मामले में जेएनयू (JNU) के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद (Umar Khalid) की जमानत याचिका खारिज कर दी। जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस रजनीश भटनागर की खंडपीठ ने फरवरी 2020 में हुए दंगों को लेकर यह फैसला सुनाया है। उमर खालिद के खिलाफ इस घटना को लेकर बड़ी साजिश रचने का आरोप है। इसके साथ ही उस पर IPC के साथ-साथ UAPA के तहत भी मामला चल रहा है।

अदालत ने कहा, “हमें जमानत याचिका में कुछ ऐसा खास नहीं दिखता, जिसके दम पर जमानत दी जाए। इसलिए, इस याचिका को खारिज किया जाता है।”

दिल्ली हिंदू विरोधी दंगे के मामले में पुलिस ने खालिद को सितंबर 2020 में गिरफ्तार किया था। बताया जा रहा है कि उसने फरवरी 2020 में दिल्ली में हुए सांप्रदायिक दंगों की व्यापक साजिश से जुड़े यूएपीए मामले में जमानत की माँग की थी। सुनवाई के दौरान खालिद की ओर से कोर्ट में यह दलील दी गई कि इस हिंसा में उनकी कोई आपराधिक भूमिका नहीं थी और न ही इस मामले के किसी भी आरोपित के साथ उसका कोई आपराधिक संबंध है।

कोर्ट ने 9 सितंबर 2022 को वरिष्ठ अधिवक्ता त्रिदीप पैस और स्पेशल प्रॉसिक्यूटर अमित प्रसाद की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। खालिद की ओर से त्रिदीप पैस और दिल्ली पुलिस की ओर से अमित प्रसाद पेश हुए थे। हाई कोर्ट में दलीलें 20 दिनों से अधिक समय तक चलीं। मार्च 2022 में दिल्ली की कड़कड़डूमा अदालत के जमानत देने से इनकार करने पर JNU के पूर्व छात्र नेता ने दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। तब से वह जेल में ही है।

इसके बाद अप्रैल 2022 में खालिद की जमानत पर बहस शुरू हुई थी। उमर खालिद की अमरावती में दी गई स्पीच को दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने भड़काऊ और आपत्तिजनक माना था। साल 2020 के दिल्ली दंगों के मुख्य साजिशकर्ता की जमानत याचिका को न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल व न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर की पीठ ने खारिज कर दिया था। उन्होंने सवाल किया था कि जब खालिद ‘इंकलाब’ और ‘क्रांतिकारी’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर रहा था, तब उसके लिए इसका क्या मतलब था।

अदालत ने कहा था, “क्या ये कहना कि जब आपके पूर्वज अंग्रेजों की दलाली कर रहे थे, गलत नहीं है? अभिव्यक्ति की आजादी का हवाला देकर ऐसे भड़काऊ बयान नहीं दिए जा सकते। लोकतंत्र में इसकी इजाजत नहीं है।” पीठ ने पूछा था, “क्या आपको नहीं लगता कि इस्तेमाल किए गए ये भाव लोगों भड़काने वाला है? यह पहली बार नहीं है जब आपने अपने भाषण में ऐसा कहा है। आपने यह कम से कम पाँच बार कहा। यह लगभग ऐसा है जैसे कि भारत की आजादी की लड़ाई केवल एक समुदाय ने लड़ी थी।”

पीठ ने सवाल उठाया कि क्या गाँधी जी या शहीद भगत सिंह जी ने कभी इस भाषा का इस्तेमाल किया था?

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

'द वायर' जैसे राष्ट्रवादी विचारधारा के विरोधी वेबसाइट्स को कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

भीम आर्मी वाले चन्द्रशेखर को बृजभूषण शरण सिंह ने याद दिलाया ‘घसीटकर ले जाऊँगा’ वाला बयान, पूछा- दलित बेटी पर चुप्पी क्यों: रोहिणी घावरी...

भाजपा नेता बृजभूषण शरण सिंह ने चन्द्रशेखर रावण पर केस दर्ज किए जाने की माँग की है। उन्होंने रावण पर लगे आरोपों को लेकर जवाब माँगा है।

क्या ग्रे लिस्ट में पाकिस्तान को शामिल करेगा FATF? पहलगाम में इस्लामी आतंकियों के हमले पर 55 दिन बाद तोड़ी चुप्पी, कहा- बिना फंडिंग...

FATF ने पहलगाम में हुए आतंकी हमले की निंदा की है। FATF ने कहा है कि पहलगाम जैसा हमला बिना किसी फंडिंग के नहीं हो सकता।
- विज्ञापन -