Tuesday, October 15, 2024
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जिस मॉडल का ढोल पीटती है AAP, दिल्ली हाई कोर्ट ने उसका बैंड बजाया: कहा- स्कूलों की हालत खराब, प्रचार की जगह काम करो

दिल्ली हाई कोर्ट ने शिक्षा सचिव से कहा, "आपका काम यह नहीं है कि आप बैठ कर अखबारों में विज्ञापन दें और बताएँ सरकारी स्कूलों में सब कुछ एकदम बढ़िया चल रहा है, एक कक्षा में 144 बच्चे बैठ रहे हैं, यह बड़ी खराब स्थिति है।"

दिल्ली हाई कोर्ट ने केजरीवाल सरकार के शिक्षा मॉडल की बखिया उधेड़ दी है। हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार को स्कूलों की स्थिति को लेकर कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा है कि मात्र विज्ञापन देकर ये ना बताओ कि सब कुछ बढ़िया है बल्कि असल में जमीन पर उतर कर काम करो।

दिल्ली हाई कोर्ट सोमवार (8 अप्रैल, 2024) को राजधानी के स्कूलों की स्थिति में एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए केजरीवाल सरकार पर प्रश्न उठाए। दिल्ली हाई कोर्ट के कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस प्रीतम सिंह अरोड़ा की बेंच ने केन्द्रशासित प्रदेश के शिक्षा सचिव को कड़ी फटकार लगाई। हाई कोर्ट ने शिक्षा सचिव से कहा, “आपका काम यह नहीं है कि आप बैठ कर अखबारों में विज्ञापन दें और बताएँ सरकारी स्कूलों में सब कुछ एकदम बढ़िया चल रहा है, एक कक्षा में 144 बच्चे बैठ रहे हैं, यह बड़ी खराब स्थिति है।”

हाई कोर्ट के समक्ष लगाई गई याचिका में बताया गया था कि राजधानी के कई स्कूलों में बच्चों के बैठने की सभी बेंच टूटी हुई हैं, उनके बैठने की व्यवस्था सही नहीं है। कहीं कहीं स्कूल टिन की बिल्डिंग में चल रहे हैं, कहीं पर एक स्कूल में 6000 बच्चे हैं। एक कमरे में दो अलग क्लास के बच्चे बैठाए जा रहे हैं। स्कूलों में बच्चों को समय से किताबें ना मिलने की बात भी सामने आई। जिन स्कूलों में यह समस्याएँ हैं, उनमें से अधिकांश उत्तरपूर्वी दिल्ली में स्थित हैं।

स्कूलों में कमियों की यह कहने वकील अशोक अग्रवाल ने बताई। इस पर शिक्षा सचिव ने कोर्ट के सामने माना कि यह सभी कमियाँ स्कूलों में मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि वह पिछले महीने स्वयं इन स्कूलों के दौरे पर गए थे और उन्हें ये गड़बड़ियाँ दिखी थीं। इस पर कोर्ट ने उनकी जम कर क्लास ली।

हाई कोर्ट ने शिक्षा सचिव से कहा, “आप शिक्षा सचिव हैं और आपको यह सब जानकारी होनी चाहिए। जमीन पर जाना आपका काम है। इस रिपोर्ट के मुताबिक स्कूलों की हालत बहुत ही गड़बड़ है। असली दिक्कत यह है कि बड़े अधिकारियों के बच्चे इन स्कूलों में नहीं पढ़ रहे हैं। इसीलिए आपको यहाँ से कोई शिकायत नहीं मिलती।”

कोर्ट ने शिक्षा में गड़बड़ी की वजह से बढ़ें वाले अपराधों को लेकर कहा, “ताज्जुब की बात नहीं है कि दिल्ली की जेलें भरी हुई हैं। तिहाड़ जेल की क्षमता 10,000 है, लेकिन इसमें 23,000 कैदी हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि स्कूल ठीक से काम नहीं कर रहे हैं, क्या आप इसके बीच के संबंध को समझ रहे हैं।”

हाई कोर्ट ने दिल्ली के शिक्षा विभाग से कहा कि वह स्कूल में सामने लाई गई इन कमियों को जल्द सही करें। कोर्ट ने शिक्षा सचिव से प्रश्न पूछा कि अगर यह सभी गड़बड़ियाँ हैं तो वह शिक्षा विभाग के लोगों पर कार्रवाई क्यों नहीं कर रहे हैं। कोर्ट ने शिक्षा सचिव से स्कूल में किए गए काम और कार्रवाई को लेकर एक हलफनामा दाखिल करने को कहा है।

गौरलतब है कि दिल्ली की अरविन्द केजरीवाल की अगुवाई वाली आम आदमी पार्टी की सरकार शिक्षा को लेकर काफी जोर शोर से प्रचार करती रही है। केजरीवाल सरकार का दावा रहा है कि उनके सत्ता में आने के बाद से शिक्षा विभाग में बदलाव आए हैं। हालाँकि, हाई कोर्ट ने दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था की पोल खोल दी है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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