Friday, April 26, 2024
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पुलिस की गाड़ी के कारण गई जान, फिल्म निर्माता ने परिवार को दी ₹4 लाख की मदद: कभी थे रेस्टॉरेंट मैनेजर, कोरोना ने बना दिया डिलीवरी बॉय

अभय रावल नाम के एक व्यक्ति ने लिखा, "मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने, अपने बच्चे के लिए इकट्ठा किए थे, पर यह उससे भी अधिक महत्वपूर्ण है।" उन्होंने इसे एक छोटा सा योगदान बताया।

दिल्ली की रोहिणी से एक मामला सामने आया है, जहाँ बतौर रेस्टॉरेंट मैनेजर काम करने वाले 38 वर्षीय सलिल त्रिपाठी की मौत हो गई। आरोप है कि दिल्ली पुलिस कॉन्स्टेबल ने उनके ऊपर SUV चढ़ा दी, जिस कारण उनकी मौत हुई। परिवार का खर्च उठाने के लिए वो फूड एग्रीगेटर कंपनी ‘Zomato’ में डिलीवरी एग्जीक्यूटिव के रूप में भी काम करते थे। ये घटना शनिवार (8 जनवरी, 2022) की है। फिल्म निर्माता मनीष मुंद्रा पीड़ित परिवार की मदद के लिए सामने आए हैं।

‘इंडियन एक्सप्रेस’ ने अपनी खबर में बताया कि सलिल त्रिपाठी हडसन लेन स्थित ‘Ricos’ में बतौर मैनेजर काम करते थे। अतिरिक्त आय के लिए उन्होंने ‘Zomato’ के डिलीवरी एग्जीक्यूटिव के रूप में काम करना शुरू किया। बाबा साहब आंबेडकर हॉस्पिटल के पास जाईल सिंह नाम के एक दिल्ली पुलिस के कॉन्स्टेबल ने कथित रूप से अपनी गाड़ी से उनकी बाइक को टक्कर मार दी। इसके बाद वो कार एक DTC बस से जा टकराई। सलिल त्रिपाठी हवा में उछल गए और फिर एक डिवाइडर के पास नीचे जा गिरे।

उन्हें अस्पताल में ले जाया गया, लेकिन उससे पहले ही उनकी मौत हो चुकी थी। स्थानीय लोगों का कहना है कि कॉन्स्टेबल खराब तरीके से गाड़ी चला रहे थे और काफी रफ़्तार में भी थे। सोशल मीडिया पर डाले गए वीडियोज में घटना के बाद वहाँ लोगों को जमा देखा जा सकता है। वहीं पुलिस कॉन्स्टेबल अपनी यूनिफॉर्म में बैठे हुए हैं। कोरोना की पहली लहर में उनकी नौकरी चली गई थी। वहीं दूसरी लहर में उनके पिता चल बसे थे। ‘होटल मैनेजमेंट’ में स्नातक होने के बावजूद उन्हें बतौर डिलीवरी एग्जीक्यूटिव काम करना पड़ा।

रोहिणी की DCP प्रणव तायल ने बताया कि कॉन्स्टेबल को उसी रात गिरफ्तार कर लिया गया था। उन्होंने बताया कि पुलिस स्थानीय लोगों के उस दावे की भी पड़ताल कर रही है, जिसमें कॉन्स्टेबल सिंह को शराब के नशे में बताया गया था। परिवार का कहना है कि वो रोज 7-8 घंटे डिलीवरी एग्जीक्यूटिव के रूप में काम कर के प्रति महीने 8-10 हजार रुपए कमा लेते थे, जो ऑर्डर्स और वर्कलोड पर निर्भर था। कोरोना से पहले वो रेस्टारेंट से 40-50 हजार रुपए प्रति महीने तक की आय कमा लेते थे।

उनकी पत्नी सुचित्रा का कहना है कि बेटा लगातार उनसे सवाल पूछ रहा है, अब उसे क्या बताएँ। उन्होंने कहा कि अब परिवार को देखने वाला कोई नहीं है। ऐसी स्थिति में ‘आँखों देखी (2014)’, ‘मसान (2015)’, ‘ढंक (2016)’ और ‘न्यूटन (2017)’ जैसी फ़िल्में बना चुके मनीष मुंद्रा ने सुचित्रा त्रिपाठी के बैंक खाते के बारे में पता लगाया और उन्हें 4 लाख रुपए की मदद की। अगर आप भी पीड़ित परिवार की मदद करना चाहते हैं तो बैंक खाते के विवरण इस प्रकार हैं:

Suchitra Tripathi
Bank of Maharashtra
Bank account : 00000068006999689
IFSCode: MAHB0001342

मनीष मुंद्रा कोरोना की पहली और दूसरी लहर के दौरान भी लोगों की मदद कर के चर्चा में आए थे। ताज़ा मामले पर ऑपइंडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा, “इस पूरे घटनाक्रम को जान कर मुझे दुःख हुआ। मैं पीड़ित परिवार के लिए कुछ करना चाहता था। ये किसी के साथ भी हो सकता है। एक मनुष्य के रूप में हमें ऐसे समय में मदद करनी चाहिए और जितना हो सके, योगदान देना चाहिए। यद्यपि ये ज़रूर है कि हम कितना कुछ भी कर लें, सलिल त्रिपाठी के परिवार को उन्हें लौटा नहीं सकते।”

अयोध्या में रहने वाले सलिल के बड़े भाई मनोज ने बताया कि एक ऐसा समय था जब वो अच्छी कमाई कर रहे थे और न सिर्फ खुद सुविधाजनक ज़िन्दगी जी रहे थे, बल्कि घर पर भी रुपए भेजते थे। लॉकडाउन के बाद सब बदल गया। मनोज पेशे से किसान हैं और उनके परिवार के पास बचत के रूप में कुछ नहीं है। उन्होंने मेरठ के ‘जेपी इंस्टिट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट एंड कैटरिंग टेक्नोलॉजी’ से स्नातक की डिग्री ली थी। 2003 से उन्होंने काम करना शुरू किया और पार्क होटल और सूर्या होटल जैसे प्रतिष्ठानों में काम किया था।

मनीष मुंद्रा की पहल के बाद कई अन्य लोग भी मदद के लिए सामने आए। अभय रावल नाम के एक व्यक्ति ने लिखा, “मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने, अपने बच्चे के लिए इकट्ठा किए थे, पर यह उससे भी अधिक महत्वपूर्ण है।” उन्होंने इसे एक छोटा सा योगदान बताया। आशुतोष पाठक और गौरव सहित कुछ अन्य लोगों ने भी इस खाते में रुपए डाले। लोगों ने झारखंड (तब बिहार) के देवघर में जन्मे 48 वर्षीय मनीष मुंद्रा की प्रशंसा भी की और उन्हें धन्यवाद दिया।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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