Saturday, September 21, 2024
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पहाड़ी से हटाई गई जीसस की प्रतिमा, अतिक्रमण और धर्मांतरण की शिकायतों के बाद कार्रवाई

"हमारे पास प्रतिमा और उसके चारों ओर क्रॉस के लिए भी सभी आवश्यक अनुमति है। हम नहीं जानते कि वास्तव में क्या अवैध है, लेकिन हमने अधिकारियों की आपत्ति के बाद इस कार्रवाई का विरोध नहीं किया।"

कर्नाटक के बेंगलुरु ग्रामीण जिले की एक पहाड़ी से जीसस की विवादित प्रतिमा हटा दी गई है। यह कार्रवाई मंगलवार को की गई (मार्च 03, 2020)। इससे पहले इसी तरह का विवाद रामनगर जिले में देखने को मिला था।डेक्कन हेराल्ड की एक रिपोर्ट के अनुसार, बारह फीट ऊँची जीसस की प्रतिमा को स्थानीय अधिकारियों ने पुलिस सुरक्षा में हटाया। इस मामले में बजरंग दल और हिन्दू रक्षा दल की आपत्ति के बाद यह कार्रवाई की गई।

पहाड़ी के ऊपर अतिक्रमण कर प्रतिमा स्थापित करने के शिकायत की गई थी। साथ ही जबरन धर्मांतरण का भी आरोप था। कुछ राइट विंग समूहों ने पिछले हफ्ते स्थानीय प्रशासन से यीशु की 12 फुट की मूर्ति को हटाने की माँग की थी। इसके बाद देवनहल्ली तहसीलदार के नेतृत्व में स्थानीय अधिकारियों ने मंगलवार को प्रतिमा हटा दी। अधिकारियों ने ग्रामीणों को सोमवार तक का समय दिया था बाद में अधिकारियों ने खुद ही इसे हटाया। इससे पहले पिछले बृहस्पतिवार (फरवरी 27, 2020) को ही गाँव में एक शांति बैठक के बाद हुई जहाँ अधिकारियों ने ग्रामीणों को बताया था कि प्रतिमा को हटा दिया जाएगा।

हालाँकि, एक ग्रामीण ने मीडिया को बताया कि मूर्ति और पास में एक क्रॉस के लिए सभी आवश्यक अनुमति प्राप्त थी। उसने कहा, “हमारे पास प्रतिमा और उसके चारों ओर क्रॉस के लिए भी सभी आवश्यक अनुमति है। हम नहीं जानते कि वास्तव में क्या अवैध है, लेकिन हमने अधिकारियों की आपत्ति के बाद इस कार्रवाई का विरोध नहीं किया। हमने उनके साथ सहयोग किया। प्रतिमा अब गाँव के चर्च में है।” अधिकारियों ने बताया कि मूर्ति और क्रॉस को कपड़े में लपेटकर चर्च के अधिकारियों को सौंप दिया गया है, जबकि अन्य सामान, जैसे फर्नीचर को बाहर स्थानांतरित कर दिया गया है।

गाँव के तहसीलदार अजित राय ने बताया कि मूर्ति ने पहाड़ी के नीचे चर्च के पास सड़क के एक हिस्से को अवरुद्ध कर दिया था। उन्होंने कहा, “जब ग्रामीणों ने सड़क चौड़ी करनी चाही तो मूर्ति हटाकर पहाड़ी पर स्थानांतरित कर दी गई थी। यह सार्वजनिक कब्रिस्तान है, इसलिए किसी विशेष धार्मिक का प्रतीक होना सही नहीं है।”

मीडिया से बातचीत में अधिकारियों ने कहा, “हमें इस मामले में कुछ हिंदुत्ववादी समूहों से ज्ञापन मिला था। हालाँकि, हमें ग्रामीणों की कोई शिकायत नहीं मिली थी। हमने ग्रामीणों के साथ इस मुद्दे पर चर्चा की और उन्होंने मूर्ति को हटाए जाने पर सहमति जताई।” साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि उन्होंने मूर्ति को हटाने के दौरान पुलिस को सहयोग लिया, ताकि कुछ भी गलत न हो।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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