Sunday, September 1, 2024
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मेरे परिवार से लिया जा सकता है प्रतिशोध: CJI को क्लीन चिट के बाद ‘डरी हुई’ पीड़िता का बयान

पीड़िता ने पूछा कि उसने अपनी शिकायत में जिन लोगों के नाम लिए थे, क्या उनमें से किसी को भी जानकारी इकट्ठा करने के लिए बुलाया गया? उसने कहा कि उसकी अनुपस्थिति में उसके चरित्र पर सवाल खड़े किए गए।

सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई द्वारा गठित आतंरिक कमिटी ने उन पर लगे यौन शोषण के आरोपों से उन्हें मुक्त कर दिया। कमिटी ने गोगोई के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट की एक पूर्व कर्मचारी द्वारा लगाए गए आरोपों का कोई ठोस सबूत नहीं पाया। उन्होंने जो रिपोर्ट दी, उसे सार्वजनकि भी नहीं किया जाएगा क्योंकि कहा गया कि यह एक आंतरिक जाँच प्रक्रिया थी। इन पैनल में 2 महिला जज भी शामिल थीं। पीड़िता सीजेआई गोगोई के आवास स्थित कार्यालय में काम करती थीं। उसने जस्टिस गोगोई पर यौन शोषण के आरोप लगाए थे और कहा था कि जब उसने उनके कहे अनुसार यह सब करना बंद कर दिया, तो उसे नौकरी से ही निकाल दिया गया। अब इन-हाउस कमिटी द्वारा जस्टिस गोगोई को क्लीन चिट दिए जाने के बाद उक्त महिला ने ख़ुद को काफ़ी ‘डरी हुई और भयाक्रांत’ बताया है। उसने कहा कि वह बहुत ही भयातुर हैं और कुछ भी हो सकता है।

महिला ने कहा कि कमिटी के इस निर्णय से वह हतोत्साहित और उदास हैं। महिला ने कहा कि कमज़ोर एवं शक्तिहीन लोगों को न्याय देने की सिस्टम की क्षमता पर से उनका विश्वास उठने लगा है। एक बयान में उन्होंने कहा कि सिस्टम के अंदर ही शक्तिहीनों को शक्तिशाली लोगों के आगे खड़ा कर दिया जाता है। बता दें कि उक्त महिला ने आंतरिक कमिटी के समक्ष शामिल होने से इनकार कर दिया था और कहा था कि उन्हें कमिटी से न्याय की कोई उम्मीद नहीं है। महिला द्वारा पेश होने से इनकार करने के बावजूद कमिटी की सुनवाई चालू रही और मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई कमिटी के समक्ष पेश हुए।

पीड़िता ने पूछा कि उसने अपनी शिकायत में जिन लोगों के नाम लिए थे, क्या उनमें से किसी को भी जानकारी इकट्ठा करने के लिए बुलाया गया? उसने कहा कि उसकी अनुपस्थिति में उसके चरित्र पर सवाल खड़े किए गए और ग़लत तरीके से उसकी निंदा की गई। वहीं जस्टिस गोगोई ने कहा कि उन्हें जानबूझ कर निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि उन्हें कई अहम मुद्दों पर सुनवाई करनी है। जस्टिस गोगोई ने कहा कि इसके पीछे बहुत बड़ी ताक़तें हैं जो सीजेआई के पद को निष्क्रिय करना चाहते हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि न्यायिक व्यवस्था की स्वतन्त्रता पर भी ख़तरे हैं।

पिछले सप्ताह कमिटी से न्याय की उम्मीद को बेमानी बताते हुए महिला ने इस मामले से अपना नाम वापस ले लिया था और कहा था कि कमिटी का वातावरण काफ़ी डरावना है। महिला ने कहा था कि वह काफ़ी नर्वस महसूस कर रही थीं क्योंकि साथ में उसे काउंसल ले जाने की इज़ाज़त नहीं दी गई थी ताकि वह मामले व सुनवाई से जुड़ी चीजों पर चर्चा न कर सकें। महिला ने कहा कि उसके परिवार वालों से प्रतिशोध लिया जा सकता है और किसी भी प्रकार के हमले किए जा सकते हैं। महिला के अनुसार, कमिटी ने पीड़िता को जाँच रिपोर्ट की कॉपी देने से भी इनकार कर दिया है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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