Sunday, December 22, 2024
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खुद के शोरूम से हटा ली सभी बाइक… फिर लगाई अपनी ही दुकान में आग: दंगों से पहले Vs बाद की ग्राउंड रिपोर्ट

शाहीन बाग तो केवल दिखावे के लिए था, असली तैयारी तो हिंदुओं के खिलाफ यहाँ (जाफराबाद-करावलनगर में) की गई, क्योंकि एक दिन के अंदर न तो बम बनते हैं और न ही एक दिन के अंदर छतों पर इतने ईंट-पत्थर इकट्ठे होते हैं। करीब 30 से 40 गाड़ियों को मलवा को...

मस्जिदों से लोगों को सावधान और सतर्क रहने के लिए आह्वान कर दिया गया था। इसके बाद हर कोई अपने बेहतर इंतजाम में जुट गया। कोई अपनों को एक से दूसरी जगह पहुँचा रहा था, तो कोई अपने कीमती सामान को सुरक्षित स्थान पर ले जा रहा था तो कोई अपने को सुरक्षित रखने के लिए हथियारों को सहेजने में लगा हुआ था। यह सब इंतजाम किसी प्राकृतिक आपदा से निपटने, चोरी-डकैती या फिर किसी आतंकी हमले की पूर्व सूचना से बचने के लिए नहीं बल्कि दिल्ली के प्रमुख इलाकों में सीएए विरोध के नाम पर हिंदू विरोधी हिंसा फैलाने के लिए लिए कट्टरपंथियों द्वारा किए जा रहे थे।

दिल्ली हिंदू विरोधी दंगों के बीच से आई अब तक की तस्वीरों से एक बात तो साफ़ हो गई है कि दंगा फैलाने और हिंदुओं को निशाना बनाने के लिए महीनों से तैयारियाँ की जा रहीं थीं। कुछ ऐसी ही तैयारी की गई दंगा प्रभावित क्षेत्र चाँद बाग और जाफराबाद के बीच स्थित बृजपुरी क्षेत्र के एक बाईक शोरूम में। यहाँ स्थित हीरो के शोरूम से उसके मालिक ने दंगाइयों द्वारा हिंसा फैलाने से पहले ही अपनी बाइकों को निकालकर सुरक्षित स्थान पर पहुँचा दिया और इसके बाद खुद ही उसमें तोड़फोड़ करके स्वयं को पुलिस और मीडिया के सामने पीड़ित दिखाने की जुगत में लगा रहा।

सोमवार को शुरू हुई हिंसा के सातवें दिन हम बृजपुरी इलाके में दंगा पीड़ितों से मिलते हुए आगे बढ़ रहे थे। इसी बीच हमें एक बड़ी और चौंकाने वाली जानकारी मिली। यह जानकारी किसी चलते-फिरते व्यक्ति से नहीं बल्कि उस व्यक्ति से मिली, जो उस शोरूम के पास में दुकान चलाता है और दिन के 12 घंटे दुकान पर रहकर आस-पास की हर एक गतिविधि पर नजर भी रखता है। चश्मदीद के मुताबिक, “रविवार को मुस्लिम महिलाओं का सीएए विरोध के नाम पर धरना शुरू हो गया था। इसके बाद से सब अपनी आगे की तैयारी में लग गए थे। सोमवार को चाँद बाग से हिंसा शुरू हो गई। मुस्लिम पहले हिंदुओं की दुकानों को लूट रहे थे फिर उनमें आग लगा रहे थे।”

बृजपुरी में रहने वाले चश्मदीद आगे बताते हैं, “इतना ही नहीं इन सबको पता था कि आगे क्या होने वाले वाला है। हमारे बराबर में एक मात्र मुस्लिम व्यक्ति का बाइक का शोरूम है, जिसमें सैकड़ों बाइकें बेचने के लिए रहती थीं, लेकिन इलाके में हिंसा फैलने से पहले ही 26 फरवरी को सुबह 5 बजे ही सभी बाइकों को शोरूम से निकालकर सुरक्षित स्थान पर पहुँचा दिया गया। इसके बाद स्वयं ही दंगाइयों ने खुद को पीड़ित दिखाने के लिए पहले तो शोरूम में तोड़फोड़ की और फिर काउंटर को शोरूम से बाहर निकालकर उसमें आग लगा दी।”

वह कहते हैं कि शाहीन बाग तो केवल दिखावे के लिए था, असली तैयारी तो हिंदुओं के खिलाफ यहाँ (जाफराबाद-करावलनगर में) की गई, क्योंकि एक दिन के अंदर न तो बम बनते हैं और न ही एक दिन के अंदर छतों पर इतने ईंट-पत्थर इकट्ठे होते हैं। दंगा शात होने के बाद एमसीडी की करीब 30 से 40 गाड़ियों को मलवा लेकर जाते हुए मैंने खुद अपनी आँखों से देखा है। यह वही मलवा है, जो दंगाईयों द्वारा ईंट-पत्थर के पूर में सड़कों पर फेंका गया था। चश्मदीद ने यह भी पुख्ता किया कि हिंदू बाहुल्य क्षेत्र में दूसरे मजहब के किसी भी व्यक्ति को एक खरोंच तक नहीं आई, लेकिन दुखद कि मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में हमारा एक भी हिंदू भाई सुरक्षित नहीं रह सका।

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