Thursday, March 28, 2024
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जहाँ गिरा था माता सती का हृदय, वहाँ हिन्दुओं ने निकाली विशाल रैली: कन्हैया लाल की हत्या की निंदा, डेमोग्रामी वाला कानून लागू करने की माँग

हाल के दिनों में गुजरात समेत देश के कई हिस्सों से डेमोग्राफिक चेंज की कई सारी खबरें सामने आई हैं। इसी तरह पिछले साल अक्टूबर 2021 में ऑपइंडिया ने भरूच की एक सोसायटी में रहने वाले हिन्दुओं पर एक विस्तृत रिपोर्ट की थी।

हिन्दू धर्म के पवित्र 51 शक्तिपीठों में से एक गुजरात के अंबाजी तीर्थ क्षेत्र में हिन्दुओं पर बढ़ते खतरे को देखते हुए 15 जुलाई, 2022 को ‘हिन्दू हित रक्षा समिति’ नाम के संगठन ने बंद का आह्वान किया। ‘देश गुजरात’ की रिपोर्ट के मुताबिक, संगठन ने अंबाजी में ‘अशांत क्षेत्र अधिनियम’ को लागू करने की माँग की। इसको लेकर संगठन के पदाधिकारियों ने अंचल अधिकारी को ज्ञापन सौंपा। दरअसल, जिस तरह से राजस्थान के उदयपुर में हिन्दू दर्जी कन्हैयालाल की बेरहमी से हत्या की गई है, इसी के आलोक में हिन्दू समुदाय पर बढ़ते खतरों पर चिंता व्यक्त करने के लिए इस बंद और रैली का आयोजन किया गया।

उल्लेखनीय है कि कन्हैया लाल की हत्या कोई अकेली घटना नहीं थी। महाराष्ट्र के अमरावती में एक अन्य व्यक्ति उमेश कोल्हे की हत्या कर दी गई थी। इसके साथ ही देशभर में कई जगह हिन्दुओं को ‘सिर तन से जुदा’ वाली धमकियाँ दी गई।

हिन्दू संगठनों की ये रैली अंबाजी में खोदवाडली सर्कल से शुरू हुई और शहर के विभिन्न इलाकों से होकर गुजरी। जिसमें बड़ी संख्या में हिन्दुओं हिस्सा लिया और नारेबाजी कर बढ़ते खतरे पर अपनी चिंता व्यक्त की। उन्होंने हनुमान चालीसा का पाठ भी किया। जुलूस के दौरान शहर में भारी पुलिस बल तैनात किया गया था। ये बंद और रैली शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुई। गौरतलब है कि अंबाजी 51 शक्तिपीठों में से एक है। मान्यता है कि देवी सती का हृदय इसी स्थान पर गिरा था।

मान्यता है कि राजा दक्ष यज्ञ में भगवान शिव का अपमान किए जाने के बाद माता सती ने आत्मदाह कर लिया। बाद में उनके शव को लेकर दुखी भगवान शिव घूमने लगे। जहाँ-जहाँ माता सती के शरीर का हिस्सा गिरा वो शक्तिपीठों के नाम से विख्यात हुआ।

गुजरात में अशांत क्षेत्र अधिनियम का उल्लंघन

हाल के दिनों में गुजरात समेत देश के कई हिस्सों से डेमोग्राफिक चेंज की कई सारी खबरें सामने आई हैं। इसी तरह पिछले साल अक्टूबर 2021 में ऑपइंडिया ने भरूच की एक सोसायटी में रहने वाले हिन्दुओं पर एक विस्तृत रिपोर्ट की थी। जिसमें ये पता चला था कि जिस सोसायटी में ये लोग रहते थे, वहाँ पर इस्लामवादियों ने 28 फ्लैट खरीदे थे, जिसके बाद हिन्दुओं को उनके फ्लैट्स को दूसरे मुस्लिमों को बेचने पर मजबूर कर दिया गया। इस दौरान अशांत क्षेत्र अधिनियम को पूरी तरह से दरकिनार कर दिया गया।

उस सोसायटी में इस्लामवादियों के कारण बड़े पैमाने पर डेमोग्राफिक बदलाव हुए। जनसांख्यिकी में बदलाव के बाद हिन्दुओं ने फ्लैट ‘बिकाऊ है’ के पोस्टर लगाए गए थे। ऐसी खबरें सामने आई थीं कि हिन्दुओं को स्थानीय मंदिर में आरती करने से भी रोक दिया गया था।

सूरत में भी इसी तरह का एक मामला सामने आया था। सूरत के अदजान इलाके में अशांत क्षेत्र अधिनियम लागू था, जिस कारण से इलाके में जमीन खरीदने के लिए मुस्लिम बिल्डर ने अस्थायी तौर पर एक हिन्दू मित्र का सहारा लिया और उसे वो जमीन मिल गई। उसे मंदिर के बगल में इमारत का निर्माण करने की इजाजत मिल गई। वहीं इस पर आपत्ति जताने वाले असित गाँधी नाम के कार्यकर्ता ने ऑपइंडिया को बताया था कि गुजरात में बड़े पैमाने पर इस तरह के सौदे होते हैं।

अहमदाबाद के पालड़ी इलाके में भी ऐसा ही हुआ था। वहाँ अशांत क्षेत्र अधिनियम लागू है। घटना जून 2019 की है, जब पालड़ी में जनकल्याण सहकारी हाउसिंग सोसाइटी स्थित वर्षा फ्लैट में बिक्री की अनिवार्य मंजूरी को वापस ले लिया, जिसके बाद विवाद गहरा गया। जब फ्लैट का रीडेवलपमेंट शुरू किया गया तो वहाँ पर कई मुस्लिम परिवारों ने संपत्तियाँ खरीदी। हालाँकि, यह क्षेत्र अशांत क्षेत्र अधिनियम के अंतर्गत आता था। ऐसे में वहाँ पर प्लैट लेने के लिए कलेक्टर की इजाजत समेत दूसरी प्रक्रियाओं का पालन करने की जरूरत थी।

बाद में कलेक्टर ने वर्षा फ्लैट्स के 13 लोगों को अपार्टमेंट खाली करने का आदेश दे दिया। वर्षा फ्लैट के बिल्डरों और मालिकों के खिलाफ अशांत क्षेत्र अधिनियम के उल्लंघन के आरोप में एफआईआर भी दर्ज की गई।

अशांत क्षेत्र अधिनियम

गौरतलब है कि जनसांख्यकी परिवर्तन की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र विशेष में शांति और सद्भाव बनाए रखने के उद्देश्य से जिला प्रशासन उसे ‘अशांत क्षेत्र’ घोषित कर सकता है। इन क्षेत्रों में अचल संपत्तियों के हस्तांतरण के लिए विस्तृत प्रक्रिया की आवश्यकता होगी। संपत्तियों को बेचने वालों को आवेदन में इस बात का उल्लेख करना होता है कि वो अपनी मर्जी से जमीन को बेच रहा है।

अक्सर अशांत क्षेत्र अधिनियम की गलत व्याख्या की जाती है, कि यह उस जगहों पर लागू होता है, जहाँ खरीददार और बेचने वाले में कम से कम एक पार्टी हिन्दू या मुस्लिम होती है। ऐसे क्षेत्रों में किसी भी लेन-देन के लिए उचित प्रक्रिया का पालन करना होगा। अशांत क्षेत्र अधिनियम उन क्षेत्रों की धार्मिक, सामुदायिक मूल्यों और पहचान को संरक्षित करने के लिए है जो जनसांख्यिकी परिवर्तन के लिहाज से अति संवेदनशील हैं।

कन्हैया लाल की हत्या

नूपुर शर्मा के कथित बयान का सोशल मीडिया पर समर्थन करने का आरोप लगाकर 28 जून 2022 को राजस्थान के उदयपुर में हिन्दू दर्जी कन्हैयालाल की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। इसके बाद महाराष्ट्र के अमरावती में उमेश कोल्हे की अभी इसी तरह से हत्या कर दी गई थी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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