Saturday, October 12, 2024
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‘कल के कायर आज के मुस्लिम’: यति नरसिंहानंद को गाली देती भीड़ को हिन्दुओं ने ऐसे दिया जवाब

"जहाँ 'अहिंसा परमो धर्मः' पढ़ाया जाता है, वहीं 'धर्म हिंसा तथैव च' को क्यों छिपा लिया जाता है? जैसे अहिंसा धर्म है, वैसे ही धर्म के लिए हिंसा भी धर्म है। अगर हम घर में बैठे रहेंगे तो वही 800 वर्ष पुराना इतिहास खुद को दोहराएगा।"

गाजियाबाद के डासना में स्थित शिव-शक्ति पीठ के महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती के खिलाफ इस्लामी कट्टरवादियों में इतना गुस्सा है कि अमानतुल्लाह खान जैसे विधायक से लेकर गाली-मोहल्लों में मुस्लिम बच्चों तक, उनके खिलाफ आपत्तिजनक बातें कर रहे हैं। हरियाणा के पानीपत स्थित यमुनानगर में भी इसी मुद्दे पर सोमवार (अप्रैल 12, 2021) हिन्दू और मुस्लिम समाज के लोग आमने-सामने आ गए थे।

यमुनानगर आमने-सामने आ गए हिन्दू और मुस्लिम

ऑपइंडिया ने कुछ स्थानीय लोगों से बात कर जाना कि असल में हुआ क्या था। असल में मुस्लिमों का जिस तरह से भड़काऊ विरोध प्रदर्शन पूरे देश में चल रहा है, उसकी एक झलक वहाँ भी देखने को मिली। लेकिन, वहाँ के हिन्दू संगठनों ने भी महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती के समर्थन की योजना बनाई। उनका प्लान था कि शांति से धरना दिया जाएगा और प्रशासनिक अधिकारियों को ज्ञापन सौंपा जाएगा।

इस विरोध-प्रदर्शन के आयोजकों का कहना है कि इस कार्यक्रम पर चर्चा के दौरान ही उनके पास ख़ुफ़िया विभाग के लोगों के फोन आने लगे, जो प्रशासन की तरफ से इसे टाल देने का निवेदन कर रहे थे। बाद में उन्होंने चेताया कि प्रदर्शन में कोरोना के दिशा-निर्देशों का पालन किया जाना चाहिए। हिन्दू कार्यकर्ताओं ने आश्वासन दिया कि वे माइक का प्रयोग नहीं करेंगे। यहाँ अचानक से एंट्री होती है मुस्लिम भीड़ की।

असल में न्यायालय के पास स्थित अनाज मंडी के जिस गेट पर हिन्दुओं ने महंत नरसिंहानंद के समर्थन की योजना बनाई थी, ठीक वहीं पर मुस्लिमों ने भी विरोध-प्रदर्शन की योजना बनाई – ठीक 1 दिन पहले। हिन्दू कार्यकर्ता कहते हैं कि ये शरारत जान-बूझकर की गई थी। अगर वे थोड़ी और देर से पहुँचते तो दरी बिछाने की जगह भी नहीं मिलती। अधिकारियों ने कहा कि दूसरा पक्ष अगर आता है तो वे उनका प्रदर्शन बाद में करा लेंगे, पहले हिन्दू कार्यकर्ता ज्ञापन देंगे।

हमने इस पूरे मामले को समझने के लिए स्थानीय हिन्दू नेता उदयवीर शास्त्री से बात की, जिन्होंने बताया कि ठीक उसी समय पर मुस्लिम भीड़ इकट्ठी हो गई और वो हिन्दुओं के टेंट तक पहुँचने लगी। जब आपत्ति जताई गई तो प्रशासन मुस्लिम भीड़ को थोड़ी दूर ले गया। उदयवीर शास्त्री ने कहा, “हमने हिन्दुओं को स्पष्ट कह दिया था कि यमुनानगर की पवित्र भूमि पर महंत नरसिंहानंद की तस्वीर पर न तो जूते पहनाए जाएँगे, न ही उनका पुतला फूँकने दिया जाएगा।”

इसी विरोध-प्रदर्शन में शामिल रहे आदित्य रोहिल्ला ने बताया कि मुस्लिम भीड़ पूरी साउंड सिस्टम लेकर आई थी, जिसके बाद उन्हें समझाने के लिए हिन्दू कार्यकर्ता गए। उन्होंने निवेदन किया कि माइक बंद कर दिया जाए, क्योंकि इधर भी माइक का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा था। इसके बाद साउंड बंद हो गया। लेकिन, कुछ देर बाद उन्होंने साउंड फिर चालू कर दिया और ‘अल्लाहु अकबर’ के नारे लगने लगे।

महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती पर आपत्तिजनक टिप्पणियाँ की गईं। जब हिन्दू कार्यकर्ता भी आक्रामक हुए, तब जाकर पुलिस ने माइक बंद करवाया। अधिकारियों को डाँट-डपट कर उनके दोहरे रवैये की याद दिलाई गई, तब जाकर मामला शांत हुआ। मुस्लिम भीड़ को वहाँ से हटाया गया, हिन्दुओं ने अपना ज्ञापन दिया। उनका कहना है कि प्रशासन ने उन्हें बताया कि भीड़ को भगा दिया गया है। उदयवीर शास्त्री ने इस पर चिंता जताई कि हिन्दू जहाँ सोशल मीडिया पर वीर बने रहते हैं, मुस्लिम समाज सड़क पर उतरता है। उन्होंने कहा:

“अगर कोई अधर्म को बर्दाश्त करता है तो वो अपराधी की श्रेणी में आता है, चाहे वो हिन्दू समाज से हो। भगवद्गीता में ‘स्वधर्मे निधनं श्रेयः’ कहा गया है, अर्थात अपने कर्तव्यों को करिए। लेकिन, मैं पूछता हूँ कि जहाँ ‘अहिंसा परमो धर्मः’ पढ़ाया जाता है, वहीं ‘धर्म हिंसा तथैव च’ को क्यों छिपा लिया जाता है? जैसे अहिंसा धर्म है, वैसे ही धर्म के लिए हिंसा भी धर्म है। अगर हम घर में बैठे रहेंगे तो वही 800 वर्ष पुराना इतिहास खुद को दोहराएगा। आज कुछ संत अपनी भूमिका निभाने लगे, तो हिन्दू जल्द जागेगा।”

उदयवीर शास्त्री ने कहा कि डासना वाली घटना के बारे में उन्हें और उनके साथियों को जो जानकारी प्राप्त हुई है, उससे पता चलता है कि उनकी स्थिति ठीक वैसी ही है जैसी लंका में विभीषण की थी। उन्होंने कहा कि हिन्दू एक शांत समुदाय है, लेकिन साथ ही चौपाई ‘अतिशय रगड़ करे जो कोई अनल प्रकट चन्दन से होई’ का जिक्र भी किया, जिसका अर्थ है कि ज्यादा रगड़ने से चन्दन से भी अग्नि प्रज्वलित हो जाती है।

उन्होंने ऑपइंडिया से बात करते हुए कहा कि महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती के साथ भी यही होता है, उन्हें परेशान किया जाता रहा और क्षेत्र में हिन्दू बहन-बेटियों के साथ छेड़छाड़ हुआ। उन्होंने उस घटना का भी जिक्र किया, जब वहाँ के विधायक असलम चौधरी के बेटे को छेड़छाड़ के आरोप में पीटा गया था। उन्होंने कहा कि इस तरह बार-बार हुई घटनाओं के कारण वो आहत हो गए और उन्होंने इस्लाम को सही से जानने का प्रयास किया।

महंत यति से प्रभावित उदयवीर शास्त्री ने कहा कि इस्लाम के अध्ययन से महंत यति ने जो भी पाया, वे वही बोल रहे हैं। अगर उससे किसी को तकलीफ है तो वह त्रुटि बताए और उसकी निंदा करे, लेकिन ये ‘सर तन से जुदा’ की बात क्यों? हलाल करने की बातें क्यों? उन्होंने पूछा कि ये देश संविधान से चलता है, न्यायालय है, ऐसे में ये चीजें कहाँ से लाई जा रही हैं? उदयवीर शास्त्री इसका दोष मुस्लिमों की बढ़ती जनसंख्या को भी देते हैं।

महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती के समर्थन में उतरे हिन्दू

हिन्दुओं को जगाने के लिए क्या कहते हैं उदयवीर शास्त्री?

उन्होंने ध्यान दिलाया कि किस तरह मुस्लिमों को ज्यादा से ज्यादा बच्चे पैदा करने के लिए उकसाया जाता है और बच्चों की शिक्षा मदरसों में होती है, जहाँ वो कट्टरवादी बनते हैं। उन्होंने आतंक का गढ़ माने जाने वाले इस्लामी मुल्कों का जिक्र किया, जहाँ बच्चों को बंदूकें थमा दी जाती हैं। वो वसीम रिजवी से भी सहमत हैं, जिन्होंने कुरान की कुछ आयतें हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। वे चीन का उदाहरण देते हैं, जहाँ आधी दाढ़ी रखने, छोटा पजामा पहनने और बच्चों का नाम मोहम्मद रखने पर पाबंदी है।

उदयवीर कहते हैं कि वो ये सब इस्लाम के भले के लिए कर रहे हैं, सामाजिक सुधार के लिए ये आवश्यक है। ऑपइंडिया से बातचीत में उन्होंने इतिहास की भी याद दिलाई। भारत को हिन्दुओं का देश बताते हुए उन्होंने कहा कि जिन्होंने भी इस्लाम अपनाया, उन्होंने गर्दन कटने के डर से ही ऐसा किया, क्योंकि इस्लाम की उत्पत्ति ही हिंसा से हुई थी।

उदयवीर शास्त्री स्पष्ट कहते हैं कि जो कल के कायर थे, वो आज के मुस्लिम हैं। साथ ही वो कहते हैं कि जो आज के कायर हैं, वो भी भविष्य के मुस्लिम होंगे। ‘वीर भोग्य वसुंधरा’ की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि ये धरती बलिदान माँगती है और महाराणा प्रताप व छत्रपति शिवाजी से लेकर भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव तक, लाला लाजपत राय व सरदार पटेल से लेकर लाल बहादुर शास्त्री तक – सभी ने इस धरती के लिए बलिदान दिया।

वहीं वहाँ जमे मुस्लिमों ने अपने बचाव में कहा कि उन्होंने स्वामी नरसिंहानंद को लेकर कोई टिप्पणी नहीं की है और उन्हें यूँ ही बदनाम किया जा रहा है। उच्चाधिकारियों ने मौके पर पहुँच कर दोनों तरफ से ज्ञापन स्वीकार किया। हिन्दू संगठनों ने कहा कि समाज में द्वेष भावना भड़काने के खिलाफ इन पर मुकदमा किया जाए। हिन्दू संगठन के कुछ युवाओं और पुलिस के बीच माइक बंद कराने को लेकर बहस भी हुई।

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अनुपम कुमार सिंह
अनुपम कुमार सिंहhttp://anupamkrsin.wordpress.com
भारत की सनातन परंपरा के पुनर्जागरण के अभियान में 'गिलहरी योगदान' दे रहा एक छोटा सा सिपाही, जिसे भारतीय इतिहास, संस्कृति, राजनीति और सिनेमा की समझ है। पढ़ाई कम्प्यूटर साइंस से हुई, लेकिन यात्रा मीडिया की चल रही है। अपने लेखों के जरिए समसामयिक विषयों के विश्लेषण के साथ-साथ वो चीजें आपके समक्ष लाने का प्रयास करता हूँ, जिन पर मुख्यधारा की मीडिया का एक बड़ा वर्ग पर्दा डालने की कोशिश में लगा रहता है।

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