Thursday, April 25, 2024
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‘मैं मुस्लिम हूँ और तुम्हारे मकान की दोगुनी कीमत दूँगा’: भरूच में हिंदुओं को विदेशी नंबरों से आ रहे कॉल-मैसेज, बेचने का बनाया जा रहा दबाव

स्थानीय निवासियों ने बताया कि शुरुआत में 1 या 2 मुस्लिम ऊँचे दामों पर हिंदुओं के मकान खरीदे। इसके बाद इस क्षेत्र में अन्य हिन्दुओं ने भी अपने मकानों को बेचना शुरू कर दिया। इसके चलते धीरे-धीरे यहाँ जनसंख्या असंतुलित हो गई। बाद में बचे-खुचे हिन्दुओं को अपने घर कम दामों पर बेचने पड़े।

गुजरात के भरूच जिले के सोनी फलिया के निवासियों को आजकल विदेशों से कॉल और मैसेज आ रहे हैं, जिनमें उन्हें अपना मकान बेचने का दबाव बनाया जा रहा है। मैसेज करने वाला उन्हें मकान के लिए मुँह-माँगी कीमत देने का भी लालच दे रहा है। मैसेज करने वाला अपना परिचय सिर्फ ‘मुस्लिम’ के रूप में देता है। एक स्थानीय निवासी ने बताया कि विदेशी नंबर से मैसेज करने वाले शख्स ने उससे अपना मकान बेचने के लिए बोला और कहा कि वह मकान की वास्तविक से अधिक कीमत देने को तैयार है।

भरूच के हाथीखानी इलाके के एक स्थानीय निवासी को TV9 गुजराती के पत्रकार से यह कहते सुना जा सकता है कि एक अज्ञात व्यक्ति फोन पर उसके मकान का दाम पूछ रहा है। उसने अपनी पहचान बताने से भी मना कर दिया और उसके 75 लाख के मकान के लिए 1 करोड़ रुपये का ऑफर दिया। स्थानीय व्यक्ति के अनुसार, “हमें लगता है कि यह हिन्दुओं को यहाँ से भगाने की एक साजिश है। अपने घर पर ‘मकान बिकाऊ है’ का पोस्टर लगाने वाले लगभग चार लोगों को ऐसे मैसेज आए हैं।”

अक्टूबर 2021 में ऑपइंडिया ने बताया था कि सोनी फलिया के निवासियों ने इलाके में जनसांख्यिकीय बदलाव और डिस्टर्ब एरिया ऐक्ट ठीक से लागू नहीं करने के विरोध में अपने घरों पर ‘मकान बिकाऊ है’ का पोस्टर लगाया था। स्थानीय निवासी का कहना है कि अगर बिना मकान देखे ही कोई उसकी इतनी कीमत लगा रहा है तो यह कोई साजिश ही है। संदेश भेजने वाले ने तो यहाँ तक कहा कि अगर लोग बेचना चाहें तो वह पूरी चॉल को ही खरीदने को तैयार है।

वहीं के एक अन्य निवासी का कहना है कि “मकान बिकाऊ हैं” के पोस्टर उस क्षेत्र में डिस्टर्ब एरिया एक्ट (Disturbed Areas Act) को लागू करने की तरफ ध्यान दिलाने के लिए है। उनका कहना है कि वो इस तरफ सरकार का कई बार ध्यान खींच चुके हैं। अब तो हमें विदेशों से फोन भी आने शुरू हो गए हैं। यह कॉल व्हाट्सएप पर आ रही हैं, जिसे वे रिकॉर्ड भी नहीं कर पा रहे हैं।

स्थानीय निवासियों ने शक जताया कि यह सब हिन्दुओं को वहाँ से हटाने की साजिश हो सकती है। उन्होंने भरूच के कांकरिया गाँव का जिक्र किया, जहाँ बड़े स्तर पर धर्मान्तरण कराने वाला रैकेट सक्रिय है। पिछले हफ्ते 9 आरोपितों पर वसावा आदिवासी समुदाय के 100 लोगों का धर्मान्तरण कर इस्लाम कबूल करवाने का केस दर्ज हुआ था। इन सभी को पैसा, रोजगार और शादियाँ कराने का लालच दिया गया था।

एक अन्य निवासी ने बताया कि यहाँ पूरा क्षेत्र ही धर्मान्तरित हो रहा है। उनका कहना है कि संभवतः यह परखने के लिए हो रहा है कि हम कब तक नहीं टूटने वाले। इसकी शिकायत उन्होंने पुलिस में करने की कही गई है। इलाके के एक अन्य निवासी का कहना है कि इससे पहले जो भी मकान मुस्लिमों को बेचे गए हैं, उनमें डिस्टर्ब एरिया एक्ट लागू होने के बावजूद कानून का ठीक से पालन नहीं किया गया है। इसकी शिकायत प्रशासन से करने का भी कोई फर्क नहीं पड़ा। इसी अनदेखी के चलते आज उन्हें विदेशों से फोन आने लगे हैं। यहाँ असंतुलन फैलाने के लिए विदेशी फंडिंग भी की रही है। उन्होंने बताया कि व्हाट्सएप पर मकान मुँह-माँगे दाम पर खरीदने वाला खुद को केवल ‘मुस्लिम’ बताता है।

एक अन्य स्थानीय निवासी गुरंग राणा ने व्हाट्सएप पर आए मैसेज को दिखाया। उन्हें भी 1 करोड़ रुपये का ऑफर किया गया था। उनका कहना है कि मैसेज भेजने वाले ने पहचान पूछे जाने पर कहा, “इससे तुमको क्या मतलब? तुम्हें सिर्फ पैसे से मतलब होना चाहिए। अगर तुम्हें मैं जरूरत से ज्यादा देने को तैयार हूँ तो तुम्हें दिक्कत क्या है?”

व्हाट्सएप चैट

2 सितंबर 2020 को गुजरात के मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में फलिया के स्थानीय निवासियों ने लिखा, उन्होंने प्रशासन को कई बार इन जनसंख्या में हो रहे बदलाव और मुस्लिमों को अवैध तरीके संपत्तियों के हस्तांतरण के बारे में बताया। यह क्षेत्र मुस्लिम बहुल बन चुका है। अगर ऐसे ही चलता रहा तो कुछ समय बाद सड़कों पर खुलेआम जानवर काटे जाएँगे। इससे हिन्दुओं को दिक्क़ते आएँगी, खासकर शाकाहारी महिलाओं और बच्चों को। इसी के साथ भविष्य में हिन्दुओं के त्योहारों में भी व्यवधान डाला जाएगा। पहले से ही मुस्लिम जालाराम बप्पा और शिव मंदिर में भजन-कीर्तन बंद करवा चुके हैं।

स्थानीय निवासियों ने पहले की घटनाओं के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि शुरुआत में 1 या 2 मुस्लिमों ने ही ऊँचे दामों पर मकान खरीदे। इसके बाद इस क्षेत्र में अन्य हिन्दुओं ने भी अपने मकानों को बेचना शुरू कर दिया। इसके चलते धीरे-धीरे यहाँ जनसंख्या असंतुलित हो गई। बाद में बचे-खुचे हिन्दुओं को अपने घर कम दामों पर बेचने पड़े। शिकायत पत्र में बताया गया है कि कई हिन्दू बहुल रहे क्षेत्र, अब मुस्लिम बहुल बन चुके हैं। इसी के साथ जमीन की खरीद और प्रॉपर्टी के ट्रांसफर की उच्चस्तरीय जाँच करवाने की माँग भी की गई है।

क्या है डिस्टर्बड एरिया एक्ट?

जिला प्रशासन को यह अधिकार दिए गए हैं कि वह उन स्थानों को चिन्हित करे जहाँ जनसंख्या का असंतुलन तेजी से बढ़ रहा है। इसी के साथ वहाँ साम्प्रदायिक सौहार्द्र बना रहे, इसके लिए जमीनों की खरीद आदि की प्रकिया को जटिल बनाया गया है। इसी के साथ जमीन बेचने वाले को यह लिखित रूप से देना पड़ता है कि उसके ऊपर जमीन बेचने के लिए कोई दबाव नहीं है।

डिस्टर्बड एरिया एक्ट के बारे में गलत अफवाह है कि इसमें जमीन बेचने या खरीदने वालों में से एक पक्ष का हिन्दू या मुस्लिम होना जरूरी है। असल में इस एक्ट के अंतर्गत आने वाली सभी जमीनों को किसी को भी खरीदने या बेचने से पहले लागू किए गए नियमों का पालन करना होता है। ऐसा उस क्षेत्र में धार्मिक और जातीय संतुलन बनाए रखने के लिए किया जाता है।

किसी भी प्रार्थना पत्र पर जिलाधिकारी जाँच बैठा सकता है। विशेष मामलों में अधिकारी स्वयं क्षेत्र का दौरा करते हैं और स्थानीय लोगों से जानकारी जुटाते हैं। यहाँ तक कि उस क्षेत्र के प्रभावित लोगों से लिखित एप्रूवल भी लिया जाता है। यह लिखित एप्रूवल उनसे भी लिया जाता है जो उस प्रॉपर्टी के आसपास भी रहते हैं। जब तक प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती है और जिलाधिकारी स्वयं संतुष्ट नहीं हो जाता तब तक जमीन को खरीदने और बेचने की प्रक्रिया रुकी रहती है। जिलाधिकारी ही जिले में शांति कायम रखने के लिए जिम्मेदार होता है। इस एक्ट से सरकार किसी क्षेत्र विशेष में होने वाले साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण पर भी नजर रख रही है।

भरूच में सक्रिय है धर्मांतरण का बड़ा गिरोह

जिस स्थान पर जमीन खरीदने के ये संदेश आ रहे हैं वहीं से थोड़ी ही दूर कुछ समय पहले 37 जनजातीय परिवारों को इस्लाम कबूल करवाया गया था। इसके लिए उन्हें नौकरी, पैसा और शादियों का लालच दिया गया था। इसी के साथ उन्हें “हिन्दू कोई धर्म नहीं है” और “इस्लाम ही सच्चा धर्म है” जैसे झूठ के सहारे उनका ब्रेनवॉश किया गया था।

धर्मांतरण का शिकार होने वाले आदिवासियों ने बताया कि उन्हें पता ही नहीं चला कि उनका आधार कार्ड और उनकी अन्य पहचान बदल दी जाएगी। ऑपइंडिया से बातचीत के दौरान प्रवीण वसावा ने बताया था कि उन्हें सूरत ले जाया गया था, जहाँ उनसे कागज़ों पर दस्तखत करवाए गए थे।

प्रवीण वसावा धर्मांतरण का शिकार होने वाले आदिवासियों में से एक थे। उन्होंने बताया, “मुझे पैसे का लालच दिया गया और मेरा नया नाम सलमान पटेल रख दिया गया था। मेरी जानकारी के बिना मेरा आधार कार्ड और अन्य पहचान पत्र बदल दिए गए।” FIR में मुख्य आरोपित के रूप में हाजी अब्दुल्ला दर्ज है, जो कुछ साल पहले लंदन भाग गया। उस पर हवाला के जरिए फंडिंग का भी आरोप है। हाजी अब्दुल्ला की तलाश उत्तर प्रदेश ATS को भी है। उस पर उत्तर प्रदेश में भी बड़े पैमाने पर धर्मान्तरण करवाने का आरोप है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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