छत्तीसगढ़ में हिन्दू संगठनों ने दो अलग-अलग शहरों में चल रहे ईसाई धर्मांतरण रैकेट पकड़े। हिन्दू संगठनों ने राजधानी रायपुर और बलरामपुर में प्रार्थना के नाम पर ईसाई धर्मांतरण के रैकेट का भंडाफोड़ किया। मामले में हिन्दू संगठनों ने प्रदर्शन भी किया। दोनों घटनाओं में 2 पादरियों समेत 7 लोग गिरफ्तार हुए हैं।
रायपुर में पंडरी थाना क्षेत्र के मितान विहार कॉलोनी में जबरन धर्मांतरण की जानकारी बजरंग दल समेत हिंदू संगठनों को मिली थी। इसके बाद वह उस घर में पहुँच गए जहाँ धर्मांतरण गतिविधियाँ करवाए जाने का आरोप लगाया गया था। यहाँ हिन्दू संगठनों ने जय श्री राम के नारे लगाए। इसके बाद मौके पर कुछ पुलिसकर्मी भी पहुँचे।
रायपुर ACP लखन पटेल इसके बाद कई थानों की फ़ोर्स के साथ मौके पहुँचे। यहाँ उस घर से दस लोगों को निकाला गया, इनमें पुरुष, महिलाएँ, बच्चे और एक नाबालिग शामिल थे। पुलिस ने कीर्ति कुमार केशवानी, महारथी बंजारे और जीवन लाल साहू नाम के तीन लोगों को हिरासत में लिया और बाद में जेल भेज दिया।
इस मामले में पुलिस ने छत्तीसगढ़ धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम की धारा 4 के तहत FIR दर्ज की है। हिंदू संगठनों का आरोप है कि इलाके में लंबे समय से धर्मांतरण हो रहा है। उन्होंने पादरी पर प्रार्थना की आड़ में कमजोर लोगों को प्रभावित करने का आरोप भी लगाया है।
वहीं धर्मांतरण की दूसरी ऐसी ही घटना बलरामपुर जिले के वड्रफनगर ब्लॉक के सरुआत गाँव में हुई। स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि एक पादरी और उसके साथी ग्रामीणों को बीमारियों के इलाज और पैसे का वादा करके लालच दे रहे थे। इस मामले में उन्होंने पुलिस को भी सूचना दी।
पुलिस ने इसके बाद छापा मारकर धर्मांतरण वाले घर से एक पादरी सहित 4 लोगों को गिरफ्तार किया। पुलिस ने इन के पास से बड़ी संख्या में बाइबिल, प्रचार सामग्री और राष्ट्रीय ईसाई संघ का एक पहचान पत्र भी जब्त किया। स्थानीय लोगों के अनुसार, पादरी ने लोगों को इकट्ठा करने के लिए “हीलिंग मीटिंग” आयोजित की थी। और
पुलिस ने कहा है कि दोनों मामलों में जाँच चल रही है। इन दो घटनाओं के साथ छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण का मुद्दा फिर से चर्चा में आ गया है। पिछले कुछ सालों में, राज्य में धर्मांतरण के बड़े पैमाने पर मामले देखे गए हैं, इनमें मिशनरियों ने आदिवासियों सहित पिछड़े लोगों को लालच देकर धर्मान्तरित करवाया है।