तमिलनाडु में इस्लामिक कट्टरपंथियों की शिकायत पर तेनस्कासी नगर (Tenskasi town) के सम्मेनकुलम गाँव (Sammenkulam village) स्थित कट्टुप्पासथी मदसामी (Kattuppasathy Madasamy) मंदिर तोड़े जाने की खबर है।
इस मंदिर का निर्माण निजी स्वामित्व वाली पट्टा भूमि पर हुआ था, जिसके प्रति नादर (Nadar) समुदाय में बहुत श्रद्धा थी। लेकिन, फिर भी कट्टरपंथियों के कहने पर प्रशासन ने इसे तुड़वा दिया और बाद में यह सफाई दे दी कि जमीन अवैध थी, जिसपर मंदिर बनाने की अनुमति नहीं थी।
द ऑर्गनाइजर की रिपोर्ट के अनुसार, स्थानीय लोगों ने बताया कि इससे पहले पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया (PFI), सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ़ इंडिया (SDPI) और अन्य कट्टरपंथी संगठनों ने मंदिर के नवीनीकरण के काम पर आपत्ति जताते हुए दावा किया था कि इससे समुदाय विशेष महिलाओं की निजता का हनन होगा।
इन समूहों की शिकायत के बाद जिला प्रशासन ने इस मामले पर संज्ञान लिया और हिंदुओं के प्रदर्शनों को दरकिनार करते हुए मंदिर पर बुलडोजर चलवा दिया गया।
Police in Tenkasi, Tamil Nadu demolished newly constructed Temple on private land bcz Mslims, the majority in particular area didn’t want it there
— Scar (@Ra_c7r) June 12, 2020
Sad state of secularism in India, Churches & Mosques can be made on govt land but they can’t even tolerate Temple on private land pic.twitter.com/C11UKbKNd4
जानकारी के मुताबिक, गाँव में 160 हिंदू नादर हैं, लेकिन दूसरे समुदाय के लोग उन्हें अपने आगे कुछ नहीं समझते। रिपोर्ट बताती है कि इस मामले के तूल पकड़ने के बाद ग्राम प्रधान के बेटे ने जिलाधिकारी से शिकायत की थी।
उसने कहा था कि उनके समुदाय के सदस्य अशिक्षित है और किसानी करके जीवन का गुजर-बसर करते हैं। पच्चईमाल ने जिला प्रशासन के सामने अपनी बात रखते हुए कहा था कि पट्ठा संख्या 1598 और 1376 में, उनके पास एक वन देवता मंदिर है, हर साल चैत्र के महीने के दौरान, वह वहाँ मिट्टी के आधार को बदलते हैं और त्योहार मनाते हैं।
हालाँकि, लॉकडाउन के कारण इस साल नादर समुदाय के लोग वहाँ अपना यह त्योहार नहीं मना पाए। लेकिन, बारिश के मौसम में पहले की मूर्ति को सुरक्षित रखने के लिए उन्हें उसकी मिट्टी बदलनी थी। इसलिए उन्होंने वहाँ मंदिर के पास सीमेंट रख दिया। लेकिन कट्टरपंथियों ने इस दौरान इसपर आपत्ति जता दी और यह कह दिया कि इससे श्रद्धालुओं को समुदाय विशेष की महिलाओं को नहाते देखने का मौका मिलेगा।
इसके बाद उन्होंने अपनी शिकायत पुलिस में दर्ज करवाई और पुलिस ने हिंदुओं की भावनाओं की कद्र किए बिना मंदिर को गिरा दिया। ग्राम प्रधान के बेटे बताते हैं कि वह मंदिर उनकी जमीन पर थी। लेकिन फिर भी प्रशासन ने उनकी नहीं सुनी और न ही इस तथ्य पर गौर किया कि नादर समुदाय के लोग वहाँ कई पीढ़ियों से पूजा करते आ रहे हैं। बाद में जब प्रश्न उठाया गया तो पुलिस ने उस जमीन को अपने रिकॉर्ड से बाहर बताया और कहा कि यहाँ मंदिर बनाने की अनुमति नही थी।
तुष्टिकरण का आरोप
कथित तौर पर नादर समुदाय के लोगों का मानना है कि जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन ने यह हरकत समुदाय विशेष को खुश करने के लिए की। इस घटना के बाद यह भी आरोप लगे कि तमिलनाडु के सीएम ने समुदाय के वोट बैंक के लिए यह सब किया, क्योंकि चुनाव आने वाले हैं।
दूसरी ओर, हिंदू महासभा के नेता बालसुब्रमण्यम ने पहले से भी विशाल मंदिर बनाने का आश्वासन ग्रामीणों को दिया है। इसके अलावा कई अन्य हिंदू संस्थान भी उनकी मदद में आगे आए हैं।
ग्राम प्रधान के बेटे ने यह बताया उन्होने कभी भी सरकारी जमीन पर अतिक्रमण नहीं किया और न ही सरकारी जमीन पर कोई नया निर्माण शुरू किया। साथ ही चेतावनी दी कि बहुसंख्यक समुदाय विशेष द्वारा मंदिर विध्वंस के बाद उन्हें हिंदू समुदाय का विरोध झेलना पड़ सकता है।
बता दें, तमिलनाडु में हिंदू समुदाय की भावनाओं पर ऐसा हमला पहली बार नहीं हुआ है। इससे पहले एक ईसाई संगठन के कहने पर भारत माता की मूर्ति ढके जाने का विवाद भी सामने आया था। बाद में भाजपा, आरएसएस समेत कई ग्रामीणों के प्रदर्शन से भारत माता की मूर्ति से कवर हटाया गया था।