स्कूल-कॉलेजों में तरह-तरह के फेस्ट्स, कार्यक्रम और अभियान चलते रहते हैं, आयोजित किए जाते रहते हैं। लेकिन, मोदी सरकार के सत्ता संभालने के बाद से कई कॉलेजों में आयोजित होते रहे इन्हीं कार्यक्रमों को वामपंथी प्रोपेगंडा फैलाने का मंच बना कर रख दिया है, जिससे सबसे ज्यादा परेशानी पढ़ाई करने वाले उन छात्रों को होती है, जो राजनीति से दूर रहना चाहते हैं। ‘टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज’ (TISS) में कुछ इस तरह के ही नज़ारे देखने को मिल रहे हैं, जहाँ छात्रों व प्रोफेसरों का एक गुट मिल कर इसे दूसरा जेएनयू बनाने में जी-जान से मशगूल है।
दरअसल, टीआईएसएस में सोशल वर्क स्कूल का ‘समीक्षा’ कार्यक्रम चल रहा है। इस कार्यक्रम के तहत सामाजिक कार्यक्रम और सीएए व एनआरसी का विरोध ज्यादा किया जा रहा है। सबसे बड़ी ग़लती तो ये कि एक कॉलेज कार्यक्रम के बहाने देश के एक क़ानून का विरोध किया जा रहा है और दूसरी बड़ी ग़लती ये कि ऐसा आपत्तिजनक नारों और भड़काऊ पोस्टरों का इस्तेमाल करते हुए हो रहा है।
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आइए आपको बताते हैं कि टीआईएसएस में कॉलेज कार्यक्रम के नाम पर लगे पोस्टरों में क्या-क्या है:
- मुझे प्यार करती परजात लड़की, हमारे यहाँ तो मुर्दे भी एक जगह नहीं जलाए जाते; परजात- दूसरी जाति की
- जम्मू कश्मीर में तालाबंदी: हमें चाहिए आज़ादी
- सीएए, एनआरसी और एनपीआर को वापस लो। ट्रांस बिल और डेटा प्राइवेसी बिल वापस लो।
- कश्मीर को आज़ादी दो। फ्री कश्मीर।
- नागरिकता वो अधिकार है, जिसके तहत आपको सारे अधिकार मिलते हैं। सीएए और एनआरसी वापस लो।
- जम्मू कश्मीर पर तुमने कब्जा कर रखा है। 200 से भी ज्यादा दिनों की तालाबंदी ख़त्म करो। आज़ादी दो।
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कॉलेज में ‘आज़ादी’ से जुड़े कई पोस्टर चस्पे मिल जाएँगे। जम्मू कश्मीर की ‘आज़ादी’ से इनका क्या तात्पर्य है और जम्मू कश्मीर पर किसने कब्ज़ा कर रखा है, इस सम्बन्ध में इनके सवालों के जवाब हमें पता ही है। इसीलिए पता है क्योंकि इससे पहले जेएनयू से लेकर शाहीन बाग़ तक ऐसे ट्रेंड्स देखने की मिले हैं।
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इससे पहले मंगलवार (फरवरी 18, 2020) को टीआईएसएस छात्रों ने बिना पुलिस की अनुमति के सीएए और एनआरसी के विरोध में प्रदर्शन किया था और रैली निकाली थी। इसके बाद कई उपद्रवियों को हिरासत में भी लिया गया था। प्रदर्शनकारी दावा कर रहे थे कि उन्हें सीधा डीजीपी की अनुमति हासिल है। वामपंथी छात्र संगठनों ने इस मार्च का आयोजन किया था।
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इससे पहले टीआईएसएस छात्रों के एक व्हाट्सप्प ग्रुप में एक व्यक्ति ने मैसेज कर के लिखा था कि पुलवामा में वीरगति को प्राप्त जवानों ने राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर हज़ारों निर्दोष नागरिकों की हत्या की है और कइयों का बलात्कार किया है। उक्त व्यक्ति ने एक तरह से जवानों के बलिदान की खिल्ली उड़ाते हुए हँसने की बात कही थी। एक अन्य व्यक्ति ने सेना को हिंसक और शक्तिशाली संगठन बताया। इसके अलावा ‘एबीवीपी की कब्र खुदेगी’ जैसे भड़काऊ नारे भी लगाए थे।हॉस्टल के दरवाजों पर ‘MUCK FODI’ लिखा गया था। इसका इशारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर अश्लील और आपत्तिजनक टिप्पणी की ओर था।