जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद विरोध प्रदर्शन के हिंसक प्रदर्शन में तब्दील होने से अमेरिका जलने लगा है। ऐसे समय में भारत में जामिया के छात्र मिनियापोलिस जैसा प्रदर्शन करने की इच्छा जाहिर करते हुए यहाँ दोबारा से हिंसा भड़काने की कोशिशों में जुट गए हैं। कैसे? आइए जानें।
दरअसल, अभी हाल में जामिया यूनिवर्सिटी ने आपत्तिजनक टिप्पणी करने के मामले में जामियाटाइम्स1 नामक इंस्टाग्राम अकॉउंट को शो कॉज नोटिस भेजा। जिसके बाद इसी नोटिस को लेकर विश्वविद्यालय में इतिहास से स्नातकोत्तर की पढ़ाई करने वाले एक छात्र नौशाद अहमद रजा ने वीसी से लेकर चीफ प्रॉक्टर की आलोचना की।
साथ ही पोस्ट में लिखा कि संघ के दलालों शुक्र मनाओ कैंपस बंद है। इसके बाद नदीम इकबाल खान व जामिया के एक अन्य छात्र ने इस मुद्दे पर लिखा कि एक बार प्रॉक्टर ऑफिस फूँकना पड़ेगा।
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इसके बाद एक फेसबुक पोस्ट में जामिया की छात्रा व AISA की कार्यकर्ता गोहर आइशा ने अपने फेसबुक पर इसे शेयर करते हुए शो कॉज नोटिस की निंदा की। जिस पर नौशाद ने खुलेआम ये कमेंट किया कि कैंपस अगर खुला रहता तो इनकी औकात नहीं थी शो कॉज नोटिस देने की।
इस रिप्लाई पर कमेंट करते हुए गोहर जामिया की वीसी नज्मा अख्तर पर उंगली उठाती हैं और तंज कसते हुए कहती हैं कि लॉकडाउन का फायदा कैसे उठाना है, ये नज्मा आपा ने दिल्ली पुलिस से सीखा है। जिस पर नौशाद कमेंट करते हुए कहता है कि नज्मा आपा तो गवर्नर बनकर मानेगी। यहाँ तक बातें आते ही गौहर कहती हैं कि यदि ऐसा हुआ तो फिर हम भी मिनियापोलिस के नागरिकों से कम नहीं होंगे।
यहाँ बता दें कि कुछ समय पहले जामियाटाइम्स1 ने जामिया प्रशासन के ख़िलाफ़ आपत्तिजनक शब्द बोले थे। जब इस पूरे मामले में ऑपइंडिया ने एक जामिया के छात्र से बात की तो उसने बताया कि दरअसल ये छात्र चाहते हैं कि जो परीक्षाएँ ऑनलाइन होने वाली हैं, उन्हें कैंपस में करवाया जाए, ताकि ये लोग यहाँ वापस लौट सकें और अपना प्रोटेस्ट शुरू कर सकें।
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अमेरिका में जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद प्रदर्शन के नाम पर वामपंथियों का उत्पात जारी है। वहाँ इस समय चीजों की तोड़फोड, लूटपाट, सार्वजनिक सम्पत्ति को नुकसान और आगजनी जैसी घटनाएँ हो रही हैं। इसलिए गौरतलब रहे कि गौहर जो कमेंट की प्रतिक्रिया में प्रदर्शन की ओर इशारा कर रही है, उससे उनका मतलब क्या है?
याद दिला दें कि पिछले साल 15 दिसंबर के बाद से देश के कोने-कोने में हुआ एंटी सीएए प्रोटेस्ट लगभग हर जगह हिंसक होते दिखा था। ऐसे में जामिया के छात्रों ने भी इस प्रदर्शन के नाम पर काफी हिंसा फैलाई थी, जिसके कारण दिल्ली पुलिस ने अभी हाल में यूएपीए के तहत वहाँ के कुछ छात्रों को गिरफ्तार किया।
इसी प्रकार दिल्ली में गत फरवरी में हुए हिंदू विरोधी दंगों का आलम भी यही था। ध्यान हो अगर तो उस समय डोनॉल्ड ट्रंप भारत आए थे। ऐसे में एक ओर जहाँ आधा देश ट्रंप के सामने देश की छवि बनाने का प्रयास कर रहा था। वहीं, कट्टरपंथी समूह व सेकुलरवादी विरोध प्रदर्शनों को दंगों का रूप दे रहे थे। इस दौरान जाफराबाद, मौजपुर, चांदबाग जैसे कई इलाकों में हिंदुओं पर जानवरों की तरह हमला किया जा रहा था।