Friday, July 4, 2025
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घाटी में रह रहे हिंदुओं को ट्रेनिंग के साथ हथियार देने की जरूरत: जम्मू कश्मीर के पूर्व DGP का बड़ा बयान

इसकी आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जम्मू संभाग के चिनाब घाटी में हिंदुओं को पहले हथियार दिए गए थे। नब्बे के दशक में इससे हिंदुओं के पलायन को रोकने में बहुत सहायता हुई थी। उन्होंने यह भी कहा कि विलेज डिफेंस कमेटी फॉर्मूला को योजना बनाकर लागू किया जाए तो किसी तरह का कोई नुकसान नहीं है।

दक्षिण कश्मीर के जिला अनंतनाग में कश्मीरी पंडित सरपंच अजय पंडिता (भारती) की हत्या के बाद पूर्व डीजीपी (पुलिस महानिदेशक) डॉ शीश पाल वैद ने कश्मीर घाटी में अल्पसंख्यक हो चुके हिंदुओं को हथियार मुहैया कराने के साथ ही ट्रेनिंग देने का समर्थन किया है। ताकि आतंकी हमलों से वो खुद की रक्षा कर सकें।

उन्होंने इसकी आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जम्मू संभाग के चिनाब घाटी में हिंदुओं को पहले हथियार दिए गए थे। नब्बे के दशक में इससे हिंदुओं के पलायन को रोकने में बहुत सहायता हुई थी। उन्होंने यह भी कहा कि विलेज डिफेंस कमेटी फॉर्मूला को योजना बनाकर लागू किया जाए तो किसी तरह का कोई नुकसान नहीं है।

यही नहीं उन्होंने इंडिया टुडे से बात करते हुए आतंकियों का सामना करने के लिए मुस्लिम समुदाय के कमजोर वर्ग को भी हथियार देने की पैरवी की है। पुलिस महानिदेशक ने कहा कि घाटी में हिंदू अल्पसंख्यक हैं और आतंकियों के निशाने पर रहता है। इसीलिए आतंकी हमलों से बचाव के लिए उन्हें भी ट्रेनिंग दी जानी चाहिए।

वैद ने कहा कि कश्मीरी घाटी में अल्पसंख्यक हिंदुओं व आतंकियों के निशाने पर रहने वाले मुस्लिम समाज के सदस्यों को हथियार उपलब्ध करवाने का कोई भी नुकसान नहीं है।

आगे उन्होंने कहा कि ग्रामीण स्तर पर ग्रामीण सुरक्षा समितियों का भी घाटी में गठन किया जाना चाहिए। हालाँकि, इसे उन्होंने जल्दबाजी में न उठाकर पूरी योजना के साथ काम करने को कहा। उन्होंने कहा कि कश्मीर घाटी में ग्रामीण सुरक्षा समितियाँ बनाना बेशक मुश्किल काम है परंतु असंभव भी नहीं है। उन्होंने वर्ष 1995 में खुद के एसएसपी ऊधमपुर के पद पर रहते हुए जिले के बाघनकोट क्षेत्र में पहली ग्रामीण सुरक्षा समिति बनाने का भी जिक्र किया। अब ये गाँव रियासी जिले में आता है।

पूर्व पुलिस महानिदेशक ने कहा कि गाँव में सुरक्षा समिति बनाना आसान नहीं था लेकिन योजनाबद्ध तरीके से कोई भी चीज की जा सकती है। उन्होंने बताया, “कश्मीर घाटी से कश्मीरी पंडितों के सामूहिक पलायन के बाद, आतंकवादियों ने जम्मू संभाग के चिनाब घाटी क्षेत्र में अल्पसंख्यक हिंदुओं को निशाना बनाना शुरू कर दिया। चिनाब घाटी में आतंकवादियों द्वारा अल्पसंख्यक हिंदुओं का नरसंहार किया गया। लेकिन जल्द ही ग्रामीण सुरक्षा समितियों का गठन किया गया और लोगों को हथियारों की ट्रेनिंग दी गई। कई इलाकों में तो मुस्लिम भी इन समितियों के सदस्य हैं, क्योंकि उन्हें भी आतंकी हमलों का सामना करना पड़ा। सरकार का यह प्रयास रंग लाया और इससे नब्बे के दशक में हिंदुओं के पलायन को रोकने में मदद मिली थी।”

कश्मीरी हिंदू सरपंच अजय पंडिता की निर्मम हत्या के बाद विस्थापित कश्मीरी पंडितों ने माँग की है कि सरकार को घाटी में हिंदुओं को हथियार देना चाहिए क्योंकि वे आतंकवादियों के सॉफ्ट टारगेट हैं। अजय अनंतनाग जिले के लरकीपोरा इलाके में आने वाला लुकबावन पंचायत हल्का के सरपंच थे। 40 वर्षीय पंचायत सदस्य की हत्या पर इलाके में रोष व्याप्त है। 8 जून को अजय की हत्या की गई। पंडिता की हत्या के बाद कश्मीरी पंडितों के समूह ने घाटी में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की माँग उठाई है। 

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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