Saturday, April 27, 2024
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JNU में धरना-प्रदर्शन/राष्ट्र-विरोधी हरकत मतलब ‘लटकले त गेले बेटा’: ₹20000 तक का जुर्माना, यूनिवर्सिटी से निष्कासन भी

जेएनयू ने परिसर के अंदर सभी तरह के विरोध-प्रदर्शनों पर प्रतिबंध लगा दिया है। परिसर में शैक्षणिक भवनों के 100 मीटर के दायरे में धरना देने या पोस्टर लगाने वाले छात्रों पर 20,000 रुपए तक का जुर्माना या उन्हें यूनिवर्सिटी से निकाला भी जा सकता है।

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) ने परिसर के अंदर सभी तरह के विरोध-प्रदर्शनों पर प्रतिबंध लगा दिया है। जेएनयू परिसर में शैक्षणिक भवनों के 100 मीटर के दायरे में धरना देने या पोस्टर लगाने पर छात्रों पर 20,000 रुपए तक का जुर्माना लगेगा या उनको यूनिवर्सिटी से निकाला जा सकता है।

जेएनयू की ओर से यह आदेश चीफ प्रॉक्टर ऑफिस (सीपीओ) के नए मैनुअल के तहत जारी किए गए हैं। मैनुअल के मुताबिक, किसी भी तरह के राष्ट्र-विरोधी काम पर 10,000 रुपए तक का जुर्माना लगाया जाएगा।

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय का ये नया मैनुअल अक्टूबर 2023 में जेएनयू के स्कूल ऑफ लैंग्वेजेज की इमारत पर राष्ट्र-विरोधी नारे लिखे जाने के बाद आया है। दरअसल इस घटना के बाद जेएनयू प्रशासन ने परिसर में ऐसी घटनाओं के दोहराव होने से रोकने के लिए एक समिति बनाने का ऐलान किया था।

जेएनयू में जो नए नियम लागू किए गए हैं, इसके तहत विश्वविद्यालय परिसर में किसी भी तरह के अपमानजनक धार्मिक, सांप्रदायिक, जातिवादी या राष्ट्र-विरोधी टिप्पणियों वाले पोस्टर या पैम्फलेट को छापने, प्रसारित करने या चिपकाने पर रोक लगा दी गई है।

पोस्टर या पैम्फलेट के अलावा यदि कोई छात्र किसी शैक्षणिक और प्रशासनिक परिसर के 100 मीटर के दायरे में भूख हड़ताल, धरना या किसी अन्य तरह के विरोध-प्रदर्शन में शामिल पाया जाता है या इनमें से किसी भी परिसर के प्रवेश या निकास को बाधित करते हुए पाया जाता है, तो उस पर या तो जुर्माना लगाया जाएगा, या उसे 2 महीने के लिए छात्रावास से बाहर कर दिया जाएगा या उसे दो महीने तक परिसर से बाहर कर दिया जाएगा।

नए नियमों के तहत हर तरह की जबरदस्ती जैसे कि घेराव, धरना या परिसर में कोई भी बदलाव (दीवारों को गंदा करना, परिसर की संपत्ति को नुकसान पहुँचाना) अब प्रतिबंधित सूची में आ गए हैं। मैनुअल में कहा गया है कि जिस छात्र को यूनिवर्सिटी में अपने अध्ययन के दौरान पाँच या उससे अधिक बार सज़ा मिलेगी, उसे हमेशा के लिए निष्कासित कर दिया जाएगा।

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय प्रशासन दोषी विद्यार्थी से संबंधित सजा की एक प्रति आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड करेगी। साथ ही उस छात्र/छात्रा के माता-पिता या अभिभावकों को भी इसकी एक प्रति भेजी जाएगी।

जेएनयू छात्र संघ (जेएनयूएसयू) इन नए नियमों के विरोध में उतर आया है। उसने इसे असहमति वाले विचारों को दबाने की कोशिश करार दिया है। छात्र संघ जेएनयूएसयू ने इस नए मैनुअल को वापस लेने की माँग की है।

इससे पहले भी मार्च में जेएनयू ने इस तरह का नियम लागू किया गया था। तब परिसर में धरना देने पर 20,000 रुपए का जुर्माना और हिंसा पर उतारू होने पर दाखिला रद्द और 30,000 रुपए के जुर्माने का प्रावधान किया गया था। तब इसको लेकर छात्र संघ बिफर उठे तो, फिर इसे वापस ले लिया गया था।

दरअसल वामपंथ का गढ़ कहे जाने वाले जेएनयू में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का मुद्दा हो या फिर अफजल गुरु की फाँसी का मसला हो, यहाँ ‘अभिव्यक्ति की आजादी’ के नाम पर छात्र विरोध-प्रदर्शन पर उतरते रहते हैं। अफजल की फाँसी तो एक तरह से जेएनयू के लिए गले की फाँस बन गई थी। तब जेएनयू के खिलाफ सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा इस कदर भड़का था कि #ShutDownJNU ट्रेंड करने लगा था।

इससे पहले, हाईकोर्ट के आदेश के मुताबिक, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रशासनिक ब्लॉकों के 100 मीटर के अदंर विरोध-प्रदर्शन करना मना था। इसके दायरे में कुलपति, रजिस्ट्रार और प्रॉक्टर सहित अन्य के कार्यालय आते थे।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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