उत्तर प्रदेश के कानपुर (Kanpur, Uttar Pradesh) में शुक्रवार (3 जून 2022) को नमाज के बाद की गई हिंसा के मामले में प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) के तेवर सख्त हो गए हैं। उन्होंने सार्वजनिक जगहों पर बनाए गए अवैध धार्मिक ढाँचों की पहचान कर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है।
बता दें कि भाजपा नेता नुपुर शर्मा द्वारा इस्लाम के पैगंबर मुहम्मद के कथित अपमान को लेकर फैलाई गई इस हिंसा में कट्टरपंथी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) की भूमिका पर संदेह जताया जा रहा है। इस मामले में इस एंगल से भी जाँच की जा रही है। कानपुर की हिंसा में अब तक 3 एफआईआर दर्ज की गई हैं और 36 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। वहीं, बाकी लोगों की पहचान की प्रक्रिया जारी है।
रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने यूपी के पुलिस महानिदेशक (DGP) और राज्य के मुख्य सचिव (CS) के साथ-साथ अतिरिक्त मुख्य सचिव को सड़कों पर अवैध रूप से बनाए गए धार्मिक स्थलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का विशेष निर्देश दिया गया है। सीएम योगी ने 15 दिनों के भीतर ऐसी सभी धार्मिक स्थलों की पहचान करने के लिए सभी जिलों में अभियान चलाने को कहा।
UP:In a virtual meeting,from Gorakhpur,CM ordered the police to identify and report all illegal religious structures at public places in the state within 15 days. He said, it must be ensured that no religious activity should be held on roads.#Kanpur
— All India Radio News (@airnewsalerts) June 4, 2022
बता दें कि अवैध रूप से बने धार्मिक ढाँचे भी विवाद के महत्वपूर्ण कारण हैं। इसको लेकर उत्तर प्रदेश में समय-समय पर शिकायतें की जाती रही हैं। शिकायतकर्ताओं का कहना है कि इसके जरिए जमीन कब्जा करने की कोशिश की जाती हैं और कई मामलों इन ढाँचों के कारण सड़कों पर दुर्घटनाएँ होती रहती हैं।
कानपुर मामले में 40 नामजद 1,000 अज्ञात पर 3 FIR
कानपुर हिंसा मामले में 3 FIR दर्ज हो चुकी हैं। दो FIR पुलिस ने दर्ज कराई है, जबकि एक FIR यतीमखाना के पास चंदेश्वर हाते में रहने वाले लोगों ने दर्ज करवाई है। इनमें 40 लोगों को नामजद अभियुक्त बनाया गया है और 1,000 अज्ञात लोगों पर केस दर्ज किया गया है। पुलिस कमिश्नर विजय मीणा के अनुसार, मामले में अब तक 36 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
शहर की तनावपूर्ण स्थिति को देखते हुए 2 बजे यतीमखाना में पुलिस कमिश्नर और डीएम ने फ्लैग मार्च किया। इस दौरान घरों में दबिश देकर संदिग्ध दंगाइयों को हिरासत में लिया गया। अभी तक मिले फोटो और वीडियो के आधार पर पुलिस दंगाइयों की पहचान कर रही है।
संगठन ने किया था बंद का आह्वान
दरअसल, 26 मई को एक न्यूज चैनल पर ज्ञानवापी मामले को लेकर डिबेट के दौरान मुस्लिम नेताओं के आपत्तिजनक बयान पर भाजपा नेता नुपुर शर्मा ने विरोध जताया था। उन्होंने कहा था कि अगर मुस्लिमों के पैगंबर मोहम्मद को लेकर वह भी कुछ कहेंगी तो बुरा लगेगा। नूपुर शर्मा के बयान पर कई मुस्लिम संगठनों ने आपत्ति जताई।
इसके बाद 27 मई को मौलाना मोहम्मद अली जौहर फैंस एसोसिएशन के अध्यक्ष हयात जफर हाशमी ने इसके विरोध में कानपुर बाजार बंद करने का ऐलान किया। नूपुर के बयान पर कानपुर में पोस्टर लगाए गए। वहीं, 28 मई को हयात ने जेल भरो आंदोलन का आह्वान किया।
मुस्लिम इलाकों के हजारों लोगों ने हयात को समर्थन देते हुए एक बैठक की। इसके बाद हयात ने 5 जून तक बंदी और जेल भरो आंदोलन टाल दिया, लेकिन बाजार में लगे 3 जून के बंदी के पोस्टर नहीं हटाए गए। 2 जून को बेकनगंज इलाके में फिर दुकानों को बंद करने की अपील की गई।
शुक्रवार को मस्जिदों की तकरीरों में मौलानाओं ने कहा कि वे पैगंबर मुहम्मद पर की गई किसी भी टिप्पणी को बर्दाश्त नहीं करेंगे। इसके बाद नमाज पढ़कर निकले लोगों ने जबरन दुकानें बंद करानी शुरू कर दीं। दूसरे पक्ष ने दुकानें बंद करने से मना किया तो उन पर पत्थरबाजी की जाने लगी। इस तरह यह मामले कानपुर के कई इलाकों में एक साथ हुआ। जाहिर सी बात है कि बिना साजिश के कई इलाकों में इस तरह की घटना एक साथ नहीं हो सकती।
कानपुर मामले में PFI की भूमिका और उसका इतिहास
कानपुर पुलिस कमिश्नर विजय मीणा का कहना है कि प्रशासन से बातचीत के लिए बंद के ऐलान को वापस ले लिया गया था, लेकिन शुक्रवार को नमाज के बाद अचानक हिंसा फैल गई। एमएमए जौहर फैन्स एसोसिएशन के अध्यक्ष हयात जफर हाशमी सहित कुछ स्थानीय नेताओं ने बंद का आह्वान किया था। उन्होंने कहा कि इस घटना में शामिल किसी भी साजिशकर्ता या संगठन को बख्शा नहीं जाएगा।
माना जा रहा है कि इस हिंसा में PFI की भी भूमिका हो सकती है, क्योंकि ऐसे मामलों को सांप्रदायिक रंग देने का उसका इतिहास रहा है। पुलिस कानपुर मामले में इस ऐंगल से भी जाँच कर रही है। पुलिस जाँच कर रही है कि बंद बुलाने वाले संगठनों का PFI या किसी अन्य कट्टरपंथी संगठनों से संपर्क तो नहीं है।
बता दें कि 21 मई 2022 को केरल के अलाप्पुझा में PFI ने एक रैली का आयोजन किया था, जिसमें एक छोटे बच्चे को हिंदुओं के खिलाफ जहर उगलते हुए सुना गया था। उसका वीडियो इंटरनेट पर खूब वायरल हुआ था। वीडियो में लड़के को एक आदमी ने अपने कंधों पर उठाया हुआ है।
इस दौरान वह लड़का कहता है, “चावल तैयार रखो। यम (मृत्यु के देवता) आपके घर आएँगे। यदि आप सम्मानपूर्वक रहते हैं, तो आप हमारे स्थान पर रह सकते हैं। अगर नहीं, तो हम नहीं जानते कि क्या होगा।”
पीएफआई का हिंसा करने का काफी पुराना इतिहास है। नागरिकता संशोधन अधिनियम के मद्देनजर हिंदू विरोधी दिल्ली दंगों और देश भर में हिंसा की जाँच के दौरान, पीएफआई की भूमिका संदिग्ध रही है और पीएफआई के कई सदस्यों को दंगों में शामिल होने के लिए गिरफ्तार किया गया था।
इसके अलावा, साल 2020 में कट्टरपंथी इस्लामी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया ने देश के विभिन्न हिस्सों में दंगों और हिंसा के लिए उकसाने के आरोपित किसानों के विरोध को अपना समर्थन दिया और प्रदर्शनकारियों को संविधान के संरक्षण के लिए संघर्ष करने के लिए कहा था।
पीएफआई और SIMI जैसे कट्टरपंथी इस्लामी संगठन विभिन्न राष्ट्र विरोधी गतिविधियों की फंडिंग के लिए कुख्यात हैं। दिसंबर 2019 में CAA के विरोध प्रदर्शनों के दौरान गृह मंत्रालय के साथ शेयर की गई एक खुफिया रिपोर्ट ने कुछ ‘राजनीतिक दलों’ की तरफ इशारा किया था और SIMI जैसे कट्टरपंथी इस्लामी संगठनों पर प्रतिबंध लगा दिया था।
इस तरह के आपत्तिजनक नारे को केरल में रहने वाले हिंदुओं और ईसाइयों को सीधे तौर पर धमकी के रूप में देखा गया। चरमपंथी संगठन PFI ने चेतावनी हिंदू-ईसाइयों को धमकाते हुए कहा था कि अगर वे रास्ते पर नहीं आते हैं तो उन्हें मौत की सजा दी जाएगी।
इसके अलावा, PFI के कई सदस्यों पर धनशोधन निरोधक अधिनियम (मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट) के तहत मामला दर्ज कर उनके ठिकानों पर छापेमारी हो चुकी है। आयकर विभाग ने 15 जून 2021 को पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) का 80जी पंजीकरण रद्द कर दिया था। आयकर विभाग ने कहा कि इस्लामी संगठन समुदायों के बीच ‘सद्भावना’ और ‘भाईचारे’ को खत्म कर रहा है।