उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के कानपुर (Kanpur ) में 3 जून को इस्लामिक कट्टरपंथियों द्वारा की गई हिंसा के दौरान पेट्रोल बमों का इस्तेमाल किया गया था। इसको लेकर अब खुलासा हुआ है कि घटना के 48 घंटे पहले ही चरमपंथियों ने सुनियोजित तरीके से बोतलों में पेट्रोल इकट्ठा किया था। हिंसा के दैरान कानपुर में दंगाइयों ने करीब 50 धमाके किए थे।
रिपोर्ट के मुताबिक, कट्टरपंथियों ने शहर के डिप्टी पड़ाव स्थित भारत पेट्रोलियम के पंप से बोतलों में पेट्रोल भरवाया था। सीसीटीवी फुटेज से इसका खुलासा होने के बाद कानपुर के जिलाधिकारी ने पेट्रोल पंप का लाइसेंस कैंसिल कर दिया है। इसके साथ ही सभी 37 पंपों की जाँच के लिए स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम गठित कर दिया है।
सीसीटीवी फुटेज में देखा गया कि 2 जून को 4 लड़के बोतलें लेकर पेट्रोल भरवाने के लिए आए। उन्होंने बाइक में पेट्रोल भरवाने की जगह बोतलों में पेट्रोल भरवाया। अब जब पुलिस इनके घरों में पहुँची तो ये वहाँ से गायब रहे। घरवालों ने कहा कि वो तो 3 जून से लौटे ही नहीं।
इस बीच डीसीपी रवीना त्यागी को फील्ड से हटाकर कमिश्नर के मुख्यालय भेज दिया गया है और उनकी जगह मुख्यालय से डीसीपी संजीव त्यागी को फील्ड पोस्टिंग मिली है।
कानपुर में दंगाइयों ने 3 जून को ही क्यों चुना
रिपोर्ट के मुताबिक, कानपुर हिंसा के मास्टर माइंड हयात जफर हाशमी के व्हाट्सएप चैट से ये चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। पता चला है कि हयात ने पुलिस को गुमराह करने के लिए बाजार बंदी को वापस लिया था। 3 जून को जुमा था और उसी दिन देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शहर में थे। इसी को ध्यान में रखते हुए उस दिन को हिंसा के लिए चुना गया।
हयात जफर हाशमी के व्हाट्सएप पर 141 ग्रुप बनाए गए थे। इसमें से 14 में बहुत ही अधिक एक्टिव था। इस हिंसा के जरिए दंगाई संदेश देना चाहते थे कि उनका मकसद पूरा हो गया है। दरअसल, वो देश के शीर्ष नेतृत्व तक पहुँचना चाहते थे।