कर्नाटक वक्फ बोर्ड ने राज्य में अपने खर्चे पर स्कूल और कॉलेज खोलने का ऐलान किया है। मामला कर्नाटक हिजाब विवाद से जुड़ा हुआ है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, राज्य में ऐसे स्कूल और कॉलेज खोले जाएँगे जहाँ मुस्लिम छात्राओं को हिजाब पहनने की इजाजत होगी।
कर्नाटक वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शफी सादी ने जानकारी दी है कि वक्फ बोर्ड सेल्फ फंडेड स्कूल-कॉलेज खोलने की योजना बना रहा है। उन्होंने बताया कि इन स्कूल-कॉलेजों में हिजाब पहनने की पूरी आजादी होगी। जानकारी यह भी है कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई दिसंबर महीने के अंत तक हिजाब वाले शिक्षण संस्थानों को खोले जाने की आधिकारिक घोषणा कर सकते हैं।
वक्फ बोर्ड ने ऐलान किया है कि मुस्लिमों की बढ़ती माँगों को देखते हुए शिक्षण संस्थान खोले जाएँगे। महिलाओं के लिए 10 कॉलेज खोलने की घोषणा की गई है। वक्फ के शिक्षण संस्थान मंगलुरु, शिवमोग्गा, हासन, कोडागू, बीजापुर, हुबली और अन्य इलाकों में खोले जाएँगे। शफी सादी ने कहा कि शिक्षण संस्थान बोर्ड या यूनिवर्सिटी के शिक्षा संबंधी नियमों का ही पालन करेंगे। लेकिन, वक्फ बोर्ड के शिक्षण संस्थान पूरी तरह से सेल्फ फंडेड होने की वजह से अपने नियम लागू करने के लिए स्वतंत्र होंगे।
कर्नाटक वक्फ बोर्ड के चेयरमैन ने कहा, “5 से 6 महीने पहले इसकी घोषणा की गई थी। वक्फ बोर्ड में इसके लिए 25 करोड़ रुपए आवंटित हैं। हमारे पास अपनी जमीनें हैं।” शफी सादी ने सफाई दी कि इस फैसले का हिजाब विवाद से कोई लेना-देना नहीं है। उनके मुताबिक, ये फैसला पहले ही ले लिया गया था।
उधर दक्षिणपंथी संगठनों ने वक्फ बोर्ड के इस फैसले का विरोध शुरू कर दिया है। हिन्दू नेताओं का कहना है कि सरकार को इस तरह के फैसले का समर्थन नहीं करना चाहिए। उनका कहना है कि समुदाय विशेष के लिए अलग से शिक्षण संस्थान खोले जाने की कोई आवश्यकता नहीं है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, संगठनों के नेताओं ने खोले जा रहे इन संस्थानों को ‘शरिया स्कूल’ का नाम दिया है और कहा है कि यह देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा बन सकते हैं।
आपको बता दें कि कर्नाटक में स्कूल-कॉलेजों में हिजाब पहनने को लेकर काफी विवाद हुआ था। इसी साल की शुरुआत में उडुपी के एक कॉलेज में कुछ मुस्लिम छात्राएँ जबरन हिजाब पहनकर क्लास में दाखिल होने की कोशिश करने लगीं। जिन्हें इसकी अनुमति नहीं दी गई थी। दरअसल, हिजाब कॉलेज ड्रेस कोड का हिस्सा नहीं है। इसके बाद भी मुस्लिम समुदाय की तरफ से इसका विरोध किया गया। देखते ही देखते यह राष्ट्रीय बहस का मुद्दा बन गया कि शिक्षा संस्थानों में हिजाब पहनना सही है या नहीं – ये मामला हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट के बड़े बेंच तक पहुँच चुका है।