Saturday, November 2, 2024
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600 परिवारों की जमीन पर Waqf का दावा… केरल कोर्ट ने सरकारों से जवाब माँगा, याचिकाकर्ता बोले-गैर इस्लामी लोगों की संपत्ति पर क्यो हो इनका अधिकार

जोसेफ और अन्य निवासियों ने फरूक कॉलेज, कोझिकोड के प्रबंध समिति से यह जमीन खरीदी थी, लेकिन अब राजस्व अधिकारियों ने वक्फ बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के अनुरोध पर जमीन के दस्तावेजों का म्युटेशन करने से इनकार कर दिया है।

केरल के मुनम्बम में 600 परिवारों की जिन जमीनों पर वक्फ बोर्ड ने अपना फर्जी दावा किया है, उस जमीन विवाद को लेकर राज्य और केंद्र सरकार को केरल हाई कोर्ट ने जवाबी हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है। यह मामला मुनम्बम के निवासी जोसेफ बेनी और अन्य सात लोगों द्वारा दायर की गई याचिका के आधार पर सामने आया है।

याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि वक्फ बोर्ड उन्हें और लगभग 600 अन्य परिवारों को जमीन से बेदखल करने की तैयारी में है, यह दावा करते हुए कि यह जमीन वक्फ की संपत्ति है। जोसेफ और अन्य निवासियों ने फारूक कॉलेज, कोझिकोड के प्रबंध समिति से यह जमीन खरीदी थी, लेकिन अब राजस्व अधिकारियों ने वक्फ बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के अनुरोध पर जमीन के दस्तावेजों का म्युटेशन करने से इनकार कर दिया है।

याचिकाकर्ताओं ने वक्फ अधिनियम की धारा 14 को असंवैधानिक बताया है, जिसमें वक्फ बोर्ड को किसी भी ट्रस्ट या सोसायटी की संपत्ति को अपनी संपत्ति घोषित करने का अधिकार दिया गया है। उनका कहना है कि यह प्रावधान प्राकृतिक न्याय और निष्पक्षता के सिद्धांतों के खिलाफ है और गैर-इस्लामिक धर्म के लोगों की संपत्ति को लेकर वक्फ बोर्ड को इस प्रकार के अधिकार नहीं दिए जाने चाहिए। इसके अलावा, याचिका में कहा गया है कि वक्फ बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को कब्जाधारियों को बेदखल करने का अधिकार देना संविधान के अनुच्छेद 300 ए का उल्लंघन है।

इस बीच, विपक्ष के नेता वी.डी. सतीसन ने विवादित जमीन को वक्फ संपत्ति न मानते हुए सरकार से इस मुद्दे को जल्द सुलझाने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि यदि सरकार चाहे तो इस विवाद को दस मिनट में हल कर सकती है। सतीसन ने मुनम्बम में एक बैठक में हिस्सा लिया और आंदोलनरत लोगों के साथ एकजुटता व्यक्त की। उन्होंने यह भी कहा कि लोग इस क्षेत्र में पहले से बसे हुए थे, और ऐसी भूमि को वक्फ संपत्ति घोषित नहीं किया जा सकता।

सतीसन के अनुसार, नासर आयोग जिसे आच्युतानंदन सरकार ने नियुक्त किया था, ने इस जमीन को वक्फ संपत्ति के रूप में पहचाना था। उन्होंने कहा कि वक्फ संपत्ति बिना किसी शर्त के होती है, जबकि इस जमीन के दस्तावेजों में शर्तें दर्ज हैं। इसके अलावा, उन्होंने यह भी बताया कि फरूक कॉलेज प्रबंधन ने इस जमीन का कुछ हिस्सा बेच दिया था, जबकि वक्फ संपत्ति का वित्तीय लेन-देन संभव नहीं होता।

सतीसन ने यह स्पष्ट किया कि यह विवाद नए वक्फ अधिनियम से जुड़ा नहीं है, और पूर्व की यूडीएफ सरकार ने भी इस जमीन को वक्फ संपत्ति न मानने का रुख अपनाया था।

बता दें कि करीब पाँच साल पहले साल 2019 वक्फ बोर्ड ने दावा किया कि केरल में मुनम्बम, चेराई और पल्लिकाल के इलाके उसकी संपत्ति हैं। यह इलाका न केवल केरल के 600 से अधिक परिवारों का घर है, बल्कि यहाँ विभिन्न धर्मों के लोग रहते हैं, जिनके पास 1989 से जमीन के वैध कागजात हैं। इसके बावजूद, वक्फ बोर्ड ने इस इलाके पर अपना दावा ठोक दिया। इन परिवारों ने अपनी जमीन को वैध रूप से खरीदा था, लेकिन अब उन्हें जबरन खाली करने के आदेश दिए जा रहे हैं, जो उनके संवैधानिक अधिकारों का स्पष्ट उल्लंघन है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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