मीडिया को हिन्दू प्रतीक चिह्नों से इतनी नफरत है कि ‘जय श्री राम’ जैसे पवित्र शब्द को बदनाम करने के लिए कई सालों से कोशिश की जा रही है, खासकर भाजपा के सत्ता में आने के बाद से। 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के साथ ही ‘जबरन जय श्री राम बुलवाने’ वाला नैरेटिव गढ़ा गया और इसके लिए कितनी ही घटनाओं में इसे जबरदस्ती घुसेड़ा गया। यहाँ हम ऐसी ही कुछ घटनाओं के बारे में बता रहे हैं।
‘मुस्लिम बुजुर्ग को पीटा-दाढ़ी काटी, बुलवाया जय श्री राम’ – पुलिस ने नकारा
आरोप लगाया गया कि उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में एक मुस्लिम बुजुर्ग से जबरदस्ती ‘जय श्री राम’ बुलवाया गया। मुस्लिम बुजुर्ग ने 4 अज्ञात लोगों पर पिटाई और जबरन दाढ़ी शेव कराने का आरोप लगाया। AIMIM के असदुद्दीन ओवैसी और AltNews के जुबैर ने ‘जय श्री राम’ को बदनाम करने का बीड़ा उठाया। इन दोनों ने आरोपितों में आरिफ और मुशाहिद का नाम छिपा लिया। ये मामला ताबीज को लेकर मारपीट का निकला।
मुस्लिमों ने ही मस्जिद की दीवार पर दंगा भड़काने के लिए लिखे थे ‘जय श्री राम’
भैंसा के एएसपी किरण खरे ने कहा कि मस्जिद की दीवारों पर ‘जय श्री राम’ लिखने वाले लोगों की सीसीटीवी फुटेज से पहचान कर ली गई। आरोपितों में से एक की पहचान मोहम्मद अब्दुल कैफ के रूप में हुई और दूसरा नाबालिग निकला। घटना तेलंगाना के भैंसा की थी। कुछ महीनों पहले ही भैंसा में हिंदू समुदाय के खिलाफ दंगा भड़का था, जिसकी वजह से वहाँ पर सांप्रदायिक तनाव उत्पन्न हो गया था।
तनिष्क स्टोर में ‘जय श्री राम’ के नारों का खौफ? फैक्ट चेकर मो. जुबैर ने किया हिन्दुओं को बदनाम करने का प्रयास
मोहम्मद जुबैर ट्विटर पर तनिष्क विज्ञापन विवाद का फायदा उठाते हुए यह साबित करने का प्रयास करते देखा गया कि लोग ‘जय श्री राम’ का नारा लगाकर तनिष्क के शोरूम पर हमला करने की प्लानिंग कर रहे हैं या फिर तनिष्क स्टोर में मौजूद लोगों को डराने का प्रयास कर रहे हैं और हिंदू तनिष्क स्टोर के बाहर आक्रामक प्रदर्शन कर रहे हैं और शोरूम में मौजूद सभी लोगों पर हावी हो रहे हैं। ये बात भ्रामक निकली।
दरअसल, वीडियो से पता चला कि दरअसल लोग प्रदर्शन तो कर रहे थे, लेकिन जिस तरह हिन्दुओं को निशाना बनाते हुए मोहम्मद जुबैर ने अपने वीडियो के जरिए दर्शाया, वैसे नहीं। जुबैर के ही पोस्ट पर ‘बेफिटिंग फैक्ट’ नाम से एक ट्विटर यूजर ने तनिष्क शोरूम के बाहर हो रहे प्रदर्शन का वीडियो पोस्ट किया। कुछ लोग शोरूम के बाहर जमीन पर बैठकर शांतिपूर्ण तरीके से सिर्फ जय श्री राम का नारा लगा रहे थे।
‘जय श्रीराम बुलवा, जबरन शराब पिला कर मार डाला’: कैब ड्राइवर आफताब की हत्या पर मीडिया का झूठ, UP पुलिस ने खोला राज
मोहम्मद आसिफ खान नामक व्यक्ति ने एक खबर शेयर करते हुए दावा किया कि गौतम बुद्ध नगर में आफताब आलम नामक एक कैब ड्राइवर को मार डाला गया। साथ ही ये भी दावा किया कि हत्या से पहले कैब ड्राइवर को ‘जय श्री राम’ बोलने के लिए बाध्य किया गया और शराब भी पीने के लिए मजबूर किया गया। दरअसल, मामला सांप्रदायिक नहीं था। कैब ड्राइवर आफ़ताब जब बुलंदशहर में एक बुकिंग को छोड़ कर वापस लौट रहे थे, तभी कुछ असामाजिक तत्व टैक्सी में बिना बुकिंग कराए ही बैठ गए। तभी सारा विवाद हुआ।
‘गफ्फार के साथ दारू के नशे में लूट के लिए हुई मारपीट’: जबरन ‘जय श्री राम’ बुलवाने का लगाया था आरोप
राजस्थान के सीकर में एक ऑटो चालक ने आरोप लगाया कि उससे जबरदस्ती ‘जय श्री राम’ और ‘मोदी ज़िंदाबाद’ बुलवाया गया। जनसत्ता, आजतक और नवभारत टाइम्स सहित कई मीडिया संस्थानों ने इस घटना को जगह दी। सच्चाई ये थी कि आरोपितों ने उनसे जर्दा माँगा। इसके बाद हुई कहासुनी के बाद उन्होंने ऑटो ड्राइवर को खदेड़ कर उसके साथ मारपीट की। आरोपित शराब के नशे में थे और पहले भी लूटपाट की घटनाओं में संलिप्त रहे हैं।
जिस ‘नेपाली’ का सिर मूँड़ा लिखा ‘जय श्री राम’, वो निकला भारतीय: ₹1000 के लिए कराया वीडियो शूट, 6 गिरफ्तार
वाराणसी में जिस व्यक्ति का जबरन सिर मूँड़ कर उस पर ‘जय श्री राम’ लिख दिया गया था, वो भारतीय निकला। इससे पहले ख़बर आई थी कि वो व्यक्ति नेपाली था, जिसका सिर मूँड़ कर उससे नेपाल के प्रधानमंत्री ओली के खिलाफ नारे लगवाए गए और उसे गंजे सिर पर ‘जय श्री राम’ लिख दिया गया। वाराणसी पुलिस ने खुद इस बात की सूचना दी थी कि उक्त व्यक्ति 1000 रुपए लेकर भाड़े का नेपाली बना था।
शनिवार (जुलाई 18, 2020) को एसएसपी अमित पाठक ने खुलासा किया था कि वीडियो में नेपाली बता कर पेश किया जा रहा व्यक्ति मूल रूप से भारतीय है। उसका नाम धर्मेंद्र भारतीय है। पुलिस ने बताया था कि साड़ी की दुकान में काम करने वाले धर्मेंद्र की आर्थिक तंगी का फायदा उठाते हुए कुछ लोगों ने उसे लालच दिया और वीडियो शूट करवाने के लिए ये सब ड्रामा रचा।
गोधरा में ‘जय श्री राम’ न बोलने पर मुस्लिम युवकों की पिटाई की खबर निकली झूठी
दिल्ली निवासी मो. कामिल ने आरोप लगाया कि उसके भाई से सिर्फ इस बात के लिए मारपीट की गई क्योंकि आरोपित उससे ‘जय श्रीराम’ बोलने के लिए दवाब बना रहे थे। इसके बाद हरकत में आई दिल्ली पुलिस ने पीड़ित से पूछताछ की और कहा कि यह मामला दो समुदाय के लड़कों के बीच महज झगड़े का है। यह आपसी झगड़ा था, लेकिन इसे सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की जा रही थी।
कुछ मीडिया संस्थानों ने क्रॉप्ड वीडियो के जरिए यह साबित करने की कोशिश की थी कि झारखंड की भाजपा सरकार में मंत्री सीपी सिंह ने कॉन्ग्रेस विधायक इरफान अंसारी को जय श्री राम बोलने के लिए मजबूर किया। यह आधा सच था। भाजपा नेता को विलेन की तरह से पेश करने के लिए मीडिया संस्थानों ने जान-बूझकर पूरे वीडियो का एक ही हिस्सा दिखाया। वीडियो के शुरुआती हिस्से को देखने से पता चलता है कि सीपी सिंह जय श्री राम पर कॉन्ग्रेस विधायक के कॉमेंट का जवाब दे रहे थे।
चंदौली: खालीद ने किया आत्मदाह, मीडिया ने फैलाया झूठ
आज तक और इंडिया टुडे ने खबर चलाई कि उत्तर प्रदेश के चंदौली गाँव में खालीद ने जय श्री राम नहीं बोला, तो उसे आग में झोंक दिया गया। मगर चंदौली के एसपी संतोष कुमार सिंह ने इस बारे में बयान जारी करते हुए कहा कि पुलिस ने खालीद के बयानों में विरोधाभास पाया है। उन्होंने बताया कि एक चश्मदीद के बयान के मुताबिक, खालीद को किसी समूह ने आग में नहीं झोंका, बल्कि उसने खुद ही आग लगाई थी।
उन्होंने कहा कि बच्चा जिस तरह से अलग-अलग लोगों को अलग-अलग बयान दे रहा है, उसे देखकर ऐसा लग रहा है कि जैसे उसे किसी ने ये सारी बातें सिखाई हैं। एसपी ने बताया कि बच्चा जिस दो गाँवों के बारे में बात कर रहा है, वो दोनों गाँव अलग- अलग दिशाओं में स्थित है और जिस जगह के बारे में वो बता रहा है वहाँ की सीसीटीवी फुटेज में वो कहीं भी नहीं है। इससे साफ जाहिर हो रहा है कि खालीद किसी के सिखाने पर ये बयान दे रहा है।
औरंगाबाद: शेख आमेर ने समुदाय में नाम करने के लिए बोला झूठ
शेख आमेर ने आजाद चौक से बजरंग चौक की तरफ जाते वक्त एक कार वाले से मामूली सा विवाद हो गया। आमेर ने उन लोगों को सबक सिखाने का सोचा और एक ही दिन पहले शहर के हुडको कॉर्नर पर घटी घटना को याद करते हुए उसने जय श्री राम न बोलने पर पिटाई की झूठी कहानी बनाई और पुलिस में शिकायत कर दी।
शिकायत दर्ज कराने के एक दिन बाद ही आमेर अपने बयान से पलट गया। उसने अपना बयान वापस लेते हुए कहा कि उसने अपने समुदाय के सदस्यों के बीच अपना कद बढ़ाने और उससे झगड़ा करने वाले लोगों को सबक सिखाने के लिए मनगढ़ंत कहानी के आधार पर पुलिस से शिकायत की।
औरंगाबाद: नहीं किया भीड़ ने मजबूर
इमरान इस्माइल पटेल ने दावा किया कि रात को भीड़ ने घर लौटते समय पकड़ कर मारपीट की और जय श्री राम बोलने के लिए मजबूर किया। वहीं न केवल पुलिस बल्कि इमरान को बचाने वाले चश्मदीद ने भी उसके दावे की तस्दीक करने से साफ़ मना कर दिया है। पुलिस के अनुसार यह एक निजी रंजिश के चलते हुई हाथापाई थी।
ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है कि न केवल ‘हमसे जय श्री राम बुलवाया जा रहा है’ के दावों की बाढ़ आ रही है, बल्कि अधिकाँश दावे गलत भी साबित हो रहे हैं? अगर दावे सही साबित होते तो माना जा सकता था कि चाहे किसी के बहकावे में, चाहे हिन्दूफ़ोबिक राज्य-व्यवस्था से ऊबकर हिन्दू भड़क उठे हैं। लेकिन चूँकि लगभग सारे दावे भी गलत साबित हो रहे हैं, तो ऐसा भी नहीं है।
मुज़फ़्फ़रनगर: न दाढ़ी नोंची, न राम-नाम बुलवाया
इमाम इमलाकुर रहमान जब अपने साथ मारपीट की बात पर मुज़फ़्फ़रनगर में FIR करने पहुँचे तो न ही मामले में कोई जय श्री राम था, और न ही उन्होंने दाढ़ी नोंचे जाने की बात अपनी FIR में कही। लेकिन जब तक वह मामले की पूरी FIR करने बागपत पहुँचे (जहाँ का मामला था), यह सब चीज़ें बागपत FIR में अतिरिक्त आ गईं थीं। न केवल इन्हें एसपी ने ख़ारिज किया, बल्कि अंदेशा भी जताया कि साम्प्रदायिक एंगल जानबूझकर जोड़ा गया ताकि मामले में त्वरित कार्रवाई हो।
उन्नाव: जुमे तक अगर काज़ी साहब की बात न मानी तो…
क्रिकेट खेलने में स्थानीय लड़कों से हुए हुए विवाद और झगड़े को लेकर मदरसे के बच्चे जब काज़ी निसार मिस्बाही के पास पहुँचे तो क़ाज़ी साहब खुद ही ‘स्पिनर’ निकले। न केवल मदरसे के बच्चों से जबरन जय श्री राम बुलवाए जाने का ‘स्पिन’ उन्होंने मामले में लगा दिया, बल्कि धमकी भी दी कि अगर जुमे तक उनके बताए चार ‘दोषियों’ को उसी जुमे तक न पकड़ा गया तो ‘जो एक्शन कहीं भी नहीं हुआ, वो होगा‘।
वह बात और है कि न केवल पुलिस की जाँच में यह मामला भी साम्प्रदायिक रूप से खोखला निकला, बल्कि फिर भी प्रदेश के प्रमुख सचिव (सूचना) तक को मामले पर प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलानी पड़ गई।
कानपुर: नशे में हुई लड़ाई पर झूठ
ऑटो-ड्राइवर आतिब पर हमला बेशक हुआ, ईंट-पत्थर से मारकर उसे मरणासन्न भी बिलकुल किया गया, लेकिन यहाँ भी जय श्री राम बोलने के लिए मजबूर करने की बात झूठ निकली। पुलिस जाँच के अनुसार यह एक नशे में हुई हाथापाई थी, जिसकी परिणति आतिब को शौचालय में बाँधकर पीटने के रूप में हुई।
कूच बिहार: आप्सी मियाँ की करनी हिन्दुओं के सर
आप्सी मियाँ ने अपने हममज़हब असगर को कान पकड़ कर उठक-बैठक लगाने और जय श्री राम बोलने के लिए मजबूर किया। और लिबरल गिरोह ने हिन्दुओं को जिम्मेदार ठहराने में समय नहीं लगाया। यह भी ध्यान नहीं दिया कि कुछ बिहार पश्चिम बंगाल में है- जहाँ हिन्दू खुद भी अगर जय श्री राम बोलें तो हो सकता है उन्हें गोली मारी जा सकती है। ऐसे में एक हिन्दू भला दुसरे मजहब वाले से जय श्री राम बुलवाएगा?
दिल्ली: चश्मदीदों ने मोमिन के आरोप को बताया झूठा
रोहिणी, सेक्टर-20 के मदरसे में पढ़ाने वाले मोहम्मद मोमिन ने आरोप लगाया कि जय श्री राम बोलने से इंकार करने पर कुछ लोगों ने उनकी कार को टक्कर मार दी। पुलिस ने जाँच की लेकिन एक भी चश्मदीद गवाह ने मोमिन की बात का समर्थन नहीं किया। घटनास्थल के पास लगे सीसीटीवी फुटेज से भी आरोपों की पुष्टि नहीं हुई।
करीमनगर: ‘मजनूँ’ की पिटाई बनी ‘जय श्री राम’
किसी समय ’15 मिनट के लिए पुलिस हटा दो’ का दावा करने वाले अकबरुद्दीन ओवैसी की AIMIM के नेता रहे और आजकल ‘मजलिस बचाओ’ से जुड़े अमजद उल्लाह खान ने दावा किया कि भाजपा-संघ के लोगों ने एक दूसरे समुदाय के किशोर को पीटा क्योंकि उसने जय श्री राम कहने से मना कर दिया था। करीमनगर के कमिश्नर ने साफ किया कि उनकी जाँच में ऐसा कुछ नहीं निकला, और यह निजी कारणों से हुई हिंसा थी- यह लड़का किसी किशोरी को तंग करने को लेकर उस लड़की के पक्ष के लोगों के हाथों पिटा था। यही नहीं, पिटने वाले लड़के के भी अपने बेटे की गलती मानते हुए माफ़ी माँगी।
गुरुग्राम: बरकत का दावा निकला झूठा
मोहम्मद बरकत ने दावा किया कि गुरुग्राम में कुछ हिन्दुओं ने उसे घेर कर मारा, उसकी इस्लामी गोल टोपी फेंक दी और ‘जय श्री राम’ बोलने के लिए मजबूर किया। हरकत में आई गुरुग्राम पुलिस ने 15 लोगों को हिरासत में लिया, 50 के करीब सीसीटीवी फुटेज खंगालीं, और अंत में इस नतीजे पर पहुँची कि बरकत अली के साथ मार-पीट तो हुई, लेकिन न ही उसकी टोपी किसी ने ‘फेंकी’ और न ही जय श्री राम बोलने के लिए मजबूर किया गया। यही नहीं, स्वराज्य संवाददाता स्वाति चतुर्वेदी की जाँच में तो शक की सूई इस ओर भी घूमी कि बरकत को किसी ने सिखाया-पढ़ाया तो नहीं था इस घटना को साम्प्रदायिक रंग देने के लिए।
आपराधिक घटना को सांप्रदायिक मोड़
जून 2017 में राजस्थान के नागौर जिले में लोगों के एक समूह ने अपने चेहरे छुपाते हुए कुछ लोगों को कैमरे पर गाली-गलौज करते हुए और एक महिला को प्लास्टिक के पाइप से पीटते हुए, उसे जबरन धार्मिक नारे लगाने के लिए दबाव डालते हुए रिकॉर्ड किया। यह स्पष्ट नहीं था कि इस घटना को किसने रिकॉर्ड किया था, लेकिन वीडियो में साफ दिखाई दे रहा था कि लोग महिला को ‘अल्लाह’ और ‘जय श्री राम’ का नारा लगाने के लिए मजबूर कर रहे थे। इस घटना में भी, मीडिया गिरोह के लोगों ने ‘अल्लाह’ वाले हिस्से को आसानी से अनदेखा कर दिया और पूरी घटना को सांप्रदायिक स्पिन देने के लिए केवल ‘जय श्री राम’ भाग पर ध्यान केंद्रित किया। यह घटना पूरी तरह से आपराधिक थी और सांप्रदायिक स्पिन के बिना भी अपने आप में काफी भयावह थी।
दिल्ली: दो समुदाय के लड़कों के झगड़े में जबरन ‘जय श्रीराम’ ठूँसा
मई 2020 में दिल्ली निवासी मो. कामिल ने आरोप लगाया कि उसके भाई से सिर्फ इस बात के लिए मारपीट की गई क्योंकि आरोपित उससे ‘जय श्रीराम’ बोलने के लिए दवाब बना रहे थे। इसके बाद हरकत में आई दिल्ली पुलिस ने पीड़ित से पूछताछ की और बताया कि यह मामला दो समुदाय के लड़कों के बीच महज झगड़े का है।
(नोट: ये चुनिंदा घटनाएँ हैं जिनकी हकीकत खबरों में आ गईं। ऑपइंडिया समय-समय पर इस सूची को अपडेट करता रहेगा, क्योंकि यह कोई संयोग नहीं बल्कि एक सोचा-समझा पैटर्न है हिंदुओं को बदनाम करने का।)