झारखण्ड के लोहरदगा में सीएए के समर्थन में रैली क्या निकली, अमला टोली के मुस्लिमों ने ऐसा कहर बरपाया कि 15,000 लोगों की भीड़ भी असहाय नज़र आई। इलाक़े के कॉन्ग्रेस विधायक व कैबिनेट मंत्री रामेश्वर उराँव भी लीपापोती के उसी मोड में हैं, जो उनका प्रशासन व पुलिस कर रही है। बता दें कि गुरुवार (जनवरी 23, 2020) को हुई इस रैली में लोहरदगा निवासी नीरज राम प्रजापति ने भी हिस्सा लिया था। उनके सिर पर लोहे की रॉड से प्रहार किया गया था, उन पर पत्थर चलाए गए और उन्हें अपनी दुकान में छिप कर जान बचानी पड़ी। इसके बाद वो घर पहुँचे और बेहोश हो गए।
बेहोश होते ही घर में कोहराम मच गया और उन्हें किसी तरह सदर अस्पताल ले जाया गया। स्थिति बिगड़ने के बाद वहाँ से उन्हें राँची के ऑर्किड हॉस्पिटल ले जाया गया। प्रशासनिक अक्षमता का आलम देखिए कि उन्हें ले जाने के लिए एक एम्बुलेंस तक मुहैया कराने से बार-बार इनकार किया जाता रहा। उनके परिजनों को कहा जाता रहा कि स्थिति खराब है और इसीलिए एम्बुलेंस नहीं जा सकती। खैर, परिजन उन्हें ऑर्किड हॉस्पिटल लेकर गए। वहाँ से उन्हें रिम्स रेफेर कर दिया गया क्योंकि ऑर्किड हॉस्पिटल में डॉक्टरों ने हाथ खड़े कर दिए थे।
परिजनों को उम्मीद थी कि रिम्स के नए ट्रॉमा सेंटर में उनका इलाज हो पाएगा लेकिन ये संभव न हो सका। उनकी मृत्यु हो गई। नीरज की मृत्यु के बाद प्रशासन ने रिम्स के हवाले से एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की। इस विज्ञप्ति में बताया गया है कि नीरज की मृत्यु कार्डियक अरेस्ट से हुई है। रिम्स के चिकित्सकों के हवाले से बताया गया कि उनके शरीर पर किसी भी प्रकार के चोट के निशान नहीं हैं। उनकी मौत का कारण ‘सेप्टिक शौक फ्रॉम ब्रेन स्टेम ब्लीड’ को बताया जा रहा है। स्पष्ट कहा गया है प्रशासन द्वारा कि उनकी मौत का कारण सीएए के ख़िलाफ़ हुई हिंसा नहीं है। लेकिन, क्या सरकार की नज़र में स्थानीय लोग और पीड़ित परिजन झूठे हैं?
ऑपइंडिया ने मृतक नीरज के परिजनों से संपर्क साधा। उनकी पत्नी का स्पष्ट कहना है कि वो सीएए के समर्थन में हुई रैली में गए थे, जहाँ पत्थरबाजी का उन्हें सामना करना पड़ा। भागते-भागते वो दुकान में जाकर छिप गए। परिजनों ने बताया कि उन पर पुलिस और प्रशासन लगातार दबाव बना रहा है कि वो मीडिया के सामने बोलें कि नीरज की मृत्यु बाथरूम में गिर जाने के कारण हुई है। नीचे हम नीरज की पत्नी के भाई संतोष कुमार का वीडियो संलग्न कर रहे हैं, जिसमें उन्होंने बताया है कि सीएए की रैली के ख़िलाफ़ की गई हिंसा में चोट लगने से नीरज के माथे का नस फट गया था, इससे उनकी मौत हो गई। संतोष ने पुलिस के बयान को नकार दिया और कहा कि हार्ट अटैक से मौत होने की बात झूठी है और पुलिस भी झूठ बोल रही है।
संतोष ने आरोप लगाया कि प्रशासन अफवाह फैला रहा है। उन्होंने कहा कि किसके दबाव में ये सब किया जा रहा है, उन्हें नहीं मालूम। वैसे सरकार परिजनों पर अपना बयान बदलने के लिए दबाव क्यों बना रही है, ये समझा जा सकता है। पुलिस को दर्ज कराए गए बयान में परिजनों ने स्पष्ट कहा है कि नीरज के माथे पर पीछे से लोहे की रॉड से वार किया गया। फिर पुलिस बाथरूम में गिर कर मरने की बात कहने को क्यों कह रही है? आख़िर इस हिंसा के साज़िशकर्ताओं को क्यों बचाया जा रहा है? नीचे हम परिजनों के प्रारंभिक बयान को लगा रहे हैं, जो उन्होंने पुलिस के समक्ष दिया:
ऑपइंडिया से बात करते हुए एक अन्य रिश्तेदार ने बताया कि लोहरदगा में मृतक के मोहल्ले में पुलिस बल भारी मात्रा में तैनात कर दिया गया है। मीडिया को परिजनों से बात करने से रोका जा रहा है। जहाँ पर नीरज के साथ ये घटना हुई, उसे ‘अंजुमन मोहल्ला’ के नाम से जाना जाता है। जब उन पर हमला हुआ, तब वो रैली में मुस्लिमों द्वारा की गई हिंसा से भाग कर घर आ रहे थे। परिजनों ने बताया कि जब वो राँची हॉस्पिटल में लाए गए थे, तब उनका बॉडी मूवमेंट भी लगभग ख़त्म हो गया था। हालाँकि, रिम्स लाते समय कुछ मूवमेंट दिखी थी। डॉक्टरों का कहना था कि इंटरनल ब्लीडिंग के कारण उनकी हालत ऐसी हुई थी। अब पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का इन्तजार है।
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