मध्य प्रदेश के जबलपुर में 19 अक्टूबर 2021 को ईद-मिलाद-उन-नबी पर निकली जुलूस हिंसक हो गई थी। जुलूस में शामिल लोगों ने तय रूट तोड़ने की कोशिश की थी। पुलिस पर पथराव किया गया था। जलते पटाखे फेंके गए थे। शहर के कई हिस्सों में हिंसा फैल गई थी। गोहलपुरी, हनुमानताल क्षेत्रों में हिंसा हुई थी। इस सिलसिले में अब तक 37 गिरफ्तारियाँ हुई है। गिरफ्तार आरोपितों में 4 नाबालिग भी हैं।
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार हिंसा अचानक नहीं हुई थी। बताया गया है कि पुलिस के हाथ कुछ फुटेज लगे हैं जिनसे साफ है कि इसकी प्लानिंग की गई थी। इसकी लंबे समय से तैयारी चल रही थी। हिंसा से 2 दिन पहले जबलपुर के आनंदनगर में हुई एक गुप्त मीटिंग भी चर्चा में है।
जबलपुर में भी धार्मिक आयोजन के जुलूस के दौरान हंगामा और आँसू गैस के गोले छूटे, हालात तनावपूर्ण मगर नियंत्रण में @ABPNews @DGP_MP @drnarottammisra @ChouhanShivraj pic.twitter.com/zGbaX0ebjz
— Brajesh Rajput (@brajeshabpnews) October 19, 2021
बताया जा रहा है कि इस हिंसा के सूत्रधार CAA-NRC विरोध के समय में हुए बवाल के साजिशकर्ताओं में से थे। पुलिस को मिली फुटेज से शहर में हिंसा भड़काते चेहरों की हुई पहचान से ये बात निकल कर सामने आ रही है। गोहलपुर पुलिस ने इस संबंध में अन्य प्रमाण भी जुटाए हैं। अकेले गोहलपुर पुलिस ने अब तक 18 दंगाइयों को गिरफ्तार किया है।
घटना से 6 दिन पहले 13 अक्टूबर को एक मीटिंग पुलिस कंट्रोल रूम में हुई थी। इस दौरान मुस्लिम समुदाय के लोग हर हाल में जुलूस निकालने पर अमादा थे। उन्होंने कहा था कि वो लाठी गोली खाने से भी पीछे नहीं हटने वाले। इस बैठक में जबलपुर के ADM के साथ ASP भी मौजूद थे जिन्होंने शासन की गाइडलाइन का हवाला दिया था। अधिकारियों की अपील उन पर कोई असर नहीं पड़ा था। मुस्लिम समुदाय के लोगों ने किसी भी तरह का बवाल होने पर प्रशासन को जवाबदेह बताया था।
प्रशासन ने उग्रता से बात कर रहे मुस्लिम समुदाय के लोगों को समझाने के लिए मुफ़्ती-ए-आज़म हजरत मोहम्मद अहमद सिद्दीकी का सहयोग माँगा था। इसके बाद मुफ़्ती ने आवाम के लोगों से शांतिपूर्ण त्योहार मनाने की अपील की थी। उन्होंने प्रशासन की गाइडलाइन को मानने के साथ पटाखे आदि न फोड़ने के लिए भी कहा था। उन्होंने त्योहार अपने घरों और मोहल्लों में मनाने की गुजारिश की थी।
इसके बाद 17 अक्टूबर को आनंदपुर में एक गुप्त मीटिंग हुई। इस मीटिंग को एक मौलाना के घर पर किया गया था। इसमें जबलपुर के तीन पूर्व पार्षद के साथ एक कबाड़ी का बेटा कई अन्य लोगों के साथ मुख्य रूप से शामिल था। मीटिंग में 50 हजार पटाखों के लिए पैसे भी जुटाए गए। पटाखों फोड़ने की जिम्मेदारी जबलपुर के सुब्बाशाह मैदान के पास स्थित एक मदरसे के 4 लड़कों को सौंपी गई। 18 अक्टूबर को इन सभी को आनंद नगर पानी टंकी के पास बुला कर पटाखे दिए गए। उन्हें सुबह से लेकर देर रात तक पटाखे फोड़ने थे। जुलूस में सबसे आगे वही थे जो CAA-NRC दंगों में हिंसक भीड़ का नेतृत्व कर रहे थे।
जबलपुर CAA.NRC के ख़िलाफ़ ज़ोरदार विरोध pic.twitter.com/HExwdWXAuv
— shadab khan (@shadabk11393538) January 17, 2020
साजिश भी बड़ी सफाई से रची गई। एक दिन पहले मछली मार्किट में बैरियर लगाने की माँग उनके द्वारा ही की गई जो अगले दिन हिंसा में शामिल थे। उन्होंने पुलिस को खुद बताया कि उस क्षेत्र में बवाल हो सकता है। उनका मकसद ऐसा कर पुलिस की नजर में न आना था।
एडिशनल एसपी रोहित काशवानी के अनुसार आरोपितों पर साजिश रचने की धारा बढ़ाई जाएगी। CCTV फुटेज में कई लोग भीड़ को उकसाते दिख रहे हैं। घटना से जुड़े तमाम फुटेज की जाँच की जा रही है। गोहलपुर थाना में 24 नामजदों के साथ लगभग 60 अज्ञात के विरुद्ध बलवा, हत्या के प्रयास, सरकारी काम में बाधा पहुँचाने, धारा 144 को तोड़ने, विस्फोटक अधिनियम के तहत केस दर्ज किया गया है।
मुफ़्ती-ए-आज़म बनने की लड़ाई
बताया जाता है कि जबलपुर में मुस्लिमों के मुखिया बनने की होड़ में 3 गुट सक्रिय हैं। पहले गुट के मुखिया मुफ़्ती-ए-आज़म के बेटे मुसाहिद मियाँ हैं। दूसरे समूह का नेतृत्व रईस वली कर रहे हैं। इन्हें नईम अख्तर का खास माना जाता है और ये नईम अख्तर को मुफ़्ती-ए-आज़म बनाना चाहते हैं। तीसरा गुट शहर क़ाज़ी मौलाना इम्तियाज और उनके बेटे भूरे पहलवान का है। शमीम कबाड़ी का नाम इसमें से एक समूह को गुपचुप पैसे देने के लिए सामने आ रहा है।
तीसरे समूह भूरे पहलवान में ज्यादा से ज्यादा मुस्लिमों को अपनी तरफ जोड़ने की कोशिश हो रही है। कुल मिला कर यह मुफ़्ती-ए-आज़म बनने की नूराकुश्ती है। इसी नूराकुश्ती के चलते शहर में हिंसक गतिविधियाँ हो रही हैं। हालाँकि एक समूह के मुखिया मौलाना इम्तियाज़ ने ऐसी किसी भी होड़ से खुद को अलग बताया है।