महाराष्ट्र में कोरोन वायरस के बढ़ते मामले, विशेष रूप से समुदाय विशेष के बीच बढ़ते मामलों को देखते हुए राज्य की उद्धव सरकार ने चुनिंदा हॉटस्पॉट्स इलाकों में कोरोना वायरस के प्रति जागरुकता फैलाने के लिए उर्दू में संदेश जारी करने का फैसला किया है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक सरकार ने कोरोना महामारी की रोकथाम के लिए महामारी विभाग को इस्लामिक धर्मगुरू और स्थानीय मौलवियों के साथ योजना बनाने के लिए भी कहा है।
रिपोर्टों के अनुसार महाराष्ट्र में कोरोना संक्रमण से हुई तीन मई तक 548 मौतों में से 239 मौतें समुदाय विशेष के लोगों की हैं, जो कि राज्य की कुल मौतों में से 44 प्रतिशत हैं। दरअसल, राज्य की कथित अल्पसंख्यकों की आबादी 12 प्रतिशत से भी कम है, इसके हिसाब से यह आँकड़ा महाराष्ट्र सरकार के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकता है।
इस बात का अंदाजा इन आँकड़ों से लगाया जा सकता है कि 17 मार्च से 15 अप्रैल के बीच राज्य में कोरोना से कुल 187 लोगों की मौत हुई, लेकिन इनमें से 89 मजहब विशेष के लोगों की मौत हुई। इसी तरह 15 अप्रैल से 3 मई के बीच हुई 361 मौतों में से 150 समुदाय से थे।
इस बीच संयोग से राज्य में एक फिलीपींस के नागरिक की मौत हुई, जो कि दिल्ली तबलीगी जमात के से जुड़ा हुआ था। वहीं महाराष्ट्र में 69 कोरोन वायरस वायरस के मामले तबलीगी जमात से जुड़े हुए भी पाए गए हैं।
महाराष्ट्र ने धार्मिक सभाओं में प्रतिबंध लागू करने की दिशा में देर से काम किया: विशेषज्ञ
राज्य के अधिकारियों और विशेषज्ञों ने समुदाय विशेष के बीच फैलते कोरोना वायरस को लेकर कई कारण बताए हैं। अधिकारियों ने बताया कि खाड़ी से आने वाले यात्रियों पर देरी से प्रतिबंध लगाया गया। यहाँ तक कि कई मस्जिदों में 20 मार्च तक शुक्रवार की नमाज अदा की जाती रही।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक समुदाय विशेष का एक बड़ा हिस्सा आसपास रहता है, जहाँ सोशल डिस्टेंसिंग रखना मुश्किल है। वहीं बढ़ती जनसंख्या और गरीबों तक स्वास्थ्य सेवाओं का न पहुँचना कोरोना के मामले बढ़ने का एक प्रमुख कारण है।
राज्य महामारी विज्ञान विशेषज्ञ प्रदीप आप्टे ने बताया कि खाड़ी देशों में काम करने वाले बहुत से लोग घर लौट आए और इनमें से कुछ लोग हवाई अड्डों पर स्क्रीनिंग कराने से चूक गए। यह भी राज्य में कोरोना वायरस को तेजी से फैलने का एक बड़ा कारण रहा।
इसी तरह गाइड लाइन के मुताबिक सरकार ने 16 मार्च को पहली बार संयुक्त अरब अमीरात, कतर, ओमान और कुवैत से आने वाले यात्रियों को क्वारंटाइन करना शुरू किया था। इसी दिन, यूरोपीय संघ, तुर्की और यूके के यात्रियों को प्रतिबंधित कर दिया गया था साथ ही 22 मार्च से सभी अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को प्रतिबंधित कर दिया गया था।
मलिन बस्तियों डिस्टेंसिंग रखना बेहद मुश्किल है।
प्रदीप आप्टे ने कहा कि ये मामले एक विशेष मजहबी समूह की वजह से नहीं, बल्कि खराब जीवनशैली के कारण झुग्गियों में फैल रहे हैं। दरअसल, मलिन बस्तियों में मजहब के लोग बड़ी संख्या में हैं और एक छोटे से कमरे में कम से कम 8-10 लोग रहते हैं, जहाँ सोशल डिस्टेंसिंग रखना बेहद मुश्किल है। मुंबई में जी-साउथ वार्ड (वर्ली) के बाद दूसरा सबसे बड़ा अग्रीपाड़ा और नागपाड़ा कोरोना वायरस के वार्ड हैं, जहाँ 34 मौतें दर्ज की गईं।
बीएमसी के सहायक आयुक्त प्रशांत गायकवाड़ ने कहा कि इस वार्ड में कई लोग चॉल में रहते हैं और वहाँ कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। यहाँ की एक आवासीय भवन में समुदाय विशेष के लोगों के साथ 26 लोग थे, जिन्होंने विदेश यात्रा की थी, लेकिन इनमें से केवल एक को कोरोना पॉजिटिव पाया गया। पूरी इमारत में संक्रमण नहीं फैला। मगर चॉल में एक ही संक्रमित केस कई लोगों को भी संक्रमित कर सकता है।
सरकार ने लिया मौलाना और मस्जिदों का साथ
इसी क्रम में महाराष्ट्र के स्वास्थ्य विभाग ने समुदाय विशेष में कोरोना वायरस के प्रति जागरूकता संदेश देने के लिए मस्जिदों और स्थानीय मौलानाओं का सहारा लिया है। आप्टे ने कहा कि हम जाने-माने लोगों की तलाश कर रहे हैं, जो एक संदेश वाहक का काम कर सकते हैं और स्थानीय स्तर पर बीमारी के बारे में जानकारी का प्रसार कर सकें।
हम जल्द ही अल्पसंख्यक तक पहुँच बनाने लिए हॉटस्पॉट्स इलाकों जैसे मालेगाँव और मुंबई में उर्दू में जागरूकता संदेश जारी करेंगे। इस बीच महाराष्ट्र में अब तक कोरोना वायरस से संक्रमितों की संख्या 16758, जबकि इससे हुई मौतों का आँकड़ा 651 दर्ज किया गया है। राज्य के कुल केसों का 75 प्रतिशत मुंबई और पुणे शहर में है।