Saturday, July 27, 2024
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‘मस्जिद में राष्ट्रगान हराम, तिरंगा फहराना अल्लाह के कहर को दावत’: आगरा के मुफ़्ती ने जारी किया फतवा

मुफ़्ती मौलाना उमैर ने कहा, "हर काम के लिए उसकी एक खास जगह होती है। जामा मस्जिद में केवल अल्लाह की इबादत हो सकती है और किसी की नहीं।"

आगरा के एक मौलवी ने मस्जिद में तिरंगा फहराए जाने और राष्ट्रगान को लेकर फतवा जारी कर दिया है। आगरा में स्वतंत्रता दिवस पर राज्य अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष अशफाक सैफी द्वारा आगरा के जामा मस्जिद में झंडोत्तोलन किए जाने के बाद मौलवी ने ये बयान दिया। मुफ़्ती मौलाना उमैर ने कहा कि जामा मस्जिद का माहौल खराब न किया जाए, क्योंकि मस्जिद में राष्ट्रगान गाना हराम है।

मुफ़्ती उमैर शहर के इमाम-ए-ईदगाह के मौलाना हैं। वहीं ‘राज्य अल्पसंख्यक आयोग’ ने उनके बयान की निंदा करते हुए माफ़ी माँगने को कहा है। वहीं चैयरमैन असलम कुरैशी ने माँग की है कि न सिर्फ मुफ़्ती को पदच्युत किया जाए, बल्कि उनके खिलाफ ‘राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA)’ के तहत मामला चलाया जाए। जामा मस्जिद के भीतर स्थित मदरसा-ए-औलिया में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर रविवार (15 अगस्त, 2021) को तिरंगा फहराया गया था।

अशफाक सैफी को इस अवसर पर मुख्य अतिथि बनाया गया था। उन्होंने झंडारोहण के बाद न सिर्फ जन-गण-मन का गायन किया, बल्कि ‘हिंदुस्तान ज़िंदाबाद’ के नारे भी लगाए गए। इसके बाद मुफ़्ती ने चेयरमैन को फोन कर के जन-गण-मन को हराम बताते हुए ‘मस्जिद का माहौल खराब’ न करने की हिदायत दी। उन्होंने कहा, “आप इस तरह से अल्लाह के कहर को दावत नहीं दीजिए। डरिए अल्लाह से, अल्लाह की पकड़ बहुत मजबूत है।”

‘दैनिक भास्कर’ की खबर के अनुसार, राज्य अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष अशफाक सैफी ने कहा कि मुफ्ती का बयान निंदनीय है और उन्हें सार्वजनिक रूप से अपनी बात वापस लेते हुए माफी माँगनी चाहिए। वहीं जामा मस्जिद इंतजामिया कमेटी के चेयरमैन असलम कुरैशी ने पूछा कि भारत का नहीं तो क्या पाकिस्तान का झंडा फहराया जाएगा? फ़िलहाल मुफ़्ती को इस पद से हटा दिया गया है।

मुफ्ती मौलाना उमैर ने कहा, “जब कोई मुझे वीडियो या फोटो दिखाकर किसी बात के जायज या हराम होने के बारे में पूछता है तो मैं उन्हें जवाब देता हूँ। पहले जामा मस्जिद के नीचे मैदान में हाई स्कूल में यह परेड वगैरह हुआ करती थी। अब इसे मस्जिद में कराया जा रहा है। हर काम के लिए उसकी एक खास जगह होती है। जामा मस्जिद में केवल अल्लाह की इबादत हो सकती है और किसी की नहीं।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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