Sunday, September 8, 2024
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पूजा पाठ के साथ शुरू होगा नए संसद भवन का उद्घाटन, पंडित-संत सब मौजूद होंगे: जानिए कार्यक्रम का पूरा शेड्यूल

इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका भी दायर की गई है। याचिका में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा नए संसद भवन के उद्घाटन के लिए लोकसभा सचिवालय को निर्देश देने की माँग की गई है। दलील में कहा गया कि राष्ट्रपति एकमात्र व्यक्ति हैं जो नए संसद भवन का उद्घाटन कर सकती हैं। लोकसभा सचिवालय और लोकसभा महासचिव के पास ऐसा करने का अधिकार नहीं है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई 2023 को संसद के नए भवन का उद्घाटन दोपहर 12 बजे करेंगे। हालाँकि, उससे पहले सुबह 7 बजे से ही हवन-पूजन आदि का कार्यक्रम शुरू हो जाएगा। निश्चित किए गए कार्यक्रम के अनुसार, सुबह 7:30 से 8:30 बजे तक हवन और पूजा किया जाएगा।

इस पूजा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिरला और राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह उपस्थित रहेंगे। पूजा का पंडाल महात्मा गाँधी की प्रतिमा के पास लगाया जाएगा। इस दौरान अन्य गणमान्य लोग भी शामिल होंगे।

पूजा के बाद सुबह 8.30 से 9.00 बजे के बीच लोकसभा के अंदर राजदंड या सेंगोल (Sengol) को स्थापित किया जाएगा। यह राजदंड लोकसभा अध्यक्ष की कुर्सी के पास स्थापित की जाएगी। उसके बाद सुबह सुबह 9 बजे से 9:30 बजे प्रार्थना सभा आयोजित की जाएगी। इसमें कई विद्वान और संत मौजूद रहेंगे।

सुबह पूजा और हवन के बाद दोपहर 12 बजे से दूसरे चरण का कार्यक्रम शुरू हो जाएगा। दूसरे चरण का कार्यक्रम राष्ट्रगान के साथ शुरू होगा। इस दौरान दो लघु फिल्में भी दिखाई जाएँगी। इसके बाद राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह उपराष्ट्रपति और राष्ट्रपति का संदेश पढ़ेंगे।

इस दौरान लोकसभा अध्यक्ष सभी को संबोधित करेंगे। राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे का भी संबोधन होगा। इस ऐतिहासिक मौके पर एक सिक्के और स्टाम्प को भी रिलीज किया जाएगा। सबसे अंत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संबोधन होगा। संबोधन के साथ ही पीएम मोदी नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे।

तय कार्यक्रम के अनुसार, दोपहर लगभग 3 बजे कार्यक्रम का समापन होगा। कार्यक्रम में गणमान्य लोगों को आमंत्रण पत्र भेज दिया गया है। जिन लोगों को बुलाया गया है, उनमें तिरुवदुथुराई, पेरूर और मदुरै सहित तमिलनाडु के 20 ‘आदीनम’ भी शामिल हैं।

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन में तमिलनाडु की भूमिका को देखते हुए आदिनामों को आमंत्रित किया गया था। ‘आदीनम’ शब्द शैव संप्रदाय के मठों और उससे जुड़े इसके प्रमुखों- दोनों को कहा जाता है।

बता दें कि कॉन्ग्रेस सहित लगभग 21 विपक्षी दलों ने इस कार्यक्रम का विरोध किया है। विपक्षी दलों का आरोप है कि नए संसद भवन का राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से उद्घाटन नहीं कराकर उनके पद एवं गरिमा को ठेस पहुँचाने के साथ-साथ एक दलित महिला का अपमान भी किया जा रहा है।

इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका भी दायर की गई है। याचिका में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा नए संसद भवन के उद्घाटन के लिए लोकसभा सचिवालय को निर्देश देने की माँग की गई है। दलील में कहा गया कि राष्ट्रपति एकमात्र व्यक्ति हैं जो नए संसद भवन का उद्घाटन कर सकती हैं। लोकसभा सचिवालय और लोकसभा महासचिव के पास ऐसा करने का अधिकार नहीं है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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