Tuesday, March 11, 2025
Homeदेश-समाजअराधना में थे लीन, गोलियों से भूना, शव को कुल्हाड़ी से काटा: स्वामी लक्ष्मणानंद...

अराधना में थे लीन, गोलियों से भूना, शव को कुल्हाड़ी से काटा: स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती की हत्या पर हाई कोर्ट ने ओडिशा सरकार से माँगा जवाब

1970 से दिसंबर 2007 के बीच स्वामी लक्ष्मणानंद पर 8 बार जानलेवा हमले हुए। आखिरकार 23 अगस्त 2008 जब वे जन्माष्टमी समारोह में भगवान् श्रीकृष्ण की आराधना में लीन थे माओवादियों ने निर्मम तरीके से हत्या कर दी थी।

23 अगस्त 2008 को ओडिशा के कंधमाल में स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती और उनके शिष्यों की हत्या कर दी गई थी। ओडिशा हाई कोर्ट ने अब इस मामले में राज्य सरकार से जवाब माँगा है। 5 मार्च 2024 तक यह बताने को कहा है कि क्यों नहीं इस मामले की जाँच सीबीआई को सौंप दी जाए।

देवाशीष होता की याचिका पर हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है। याचिका में कहा गया है कि क्राइम ब्रांच ने मामले की जाँच में कई पहलुओं की अनदेखी की है। हाई कोर्ट के निर्देश के बाद विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष जयनारायण मिश्रा ने भी जाँच पर सवाल उठाए हैं। बीजेपी नेता ने कहा है कि स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती ने फुलबनी इलाके में जनजातीय समाज के कल्याण के लिए बड़े पैमाने पर काम किया था। इसके कारण वह कई लोगों के निशाने पर थे।

मिश्रा ने कहा कि हैरानी की बात है स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती के साथ सीआरपीएफ और ओडिशा पुलिस के जिस दल को होना चाहिए था वह घटना के वक्त मौजूद नहीं था। हत्या की जाँच के लिए तीन आयोग बनाए गए। उन्होंने जो रिपोर्ट दी वो कभी भी सार्वजनिक नहीं की गई। उन्होंने कहा कि इस मामले की सीबीआई जाँच के लिए उनकी पार्टी ओडिशा सरकार पर दबाव बनाएगी।

कौन थे स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती

स्वामी लक्ष्मणानंद ओडिशा के वनवासी बहुल फुलबनी (कन्धमाल) जिले के गाँव गुरुजंग के रहने वाले थे। बचपन में ही उन्होंने दुखी-पीड़ितों की सेवा में जीवन समर्पित कर देने का संकल्प ले लिया। हिमालय से साधना साधना कर लौटने के बाद वे गोरक्षा आंदोलन से जुड़ गए। प्रारंभ में उन्होंने वनवासी बहुल फुलबनी के चकापाद गाँव को अपनी कर्मस्थली बनाया था।

धर्मांतरण कर ईसाई बनाए गए लोगों की हिंदू धर्म में वापस लाने के लिए उन्होंने अभियान शुरू किया। उनकी प्रेरणा से 1984 में चकापाद से करीब 50 किलोमीटर दूर जलेसपट्टा नामक वनवासी क्षेत्र में कन्या आश्रम, छात्रावास तथा विद्यालय की स्थापना हुई। आज भी उस कन्या आश्रम छात्रावास में सैकड़ों बालिकाएँ शिक्षा ग्रहण करती हैं।

1970 से दिसंबर 2007 के बीच स्वामी लक्ष्मणानंद पर 8 बार जानलेवा हमले हुए। आखिरकार 23 अगस्त 2008 जब वे जन्माष्टमी समारोह में भगवान् श्रीकृष्ण की आराधना में लीन थे माओवादियों ने निर्मम तरीके से हत्या कर दी थी। जलेसपट्टा स्थित उनके आश्रम में हत्यारे घुसे और उन्हें गोलियों से भून डाला। उनके मृत शरीर को कुल्हाड़ी से काट डाला। चार अन्य साधुओं की भी हत्या कर दी गई थी।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

शेख हसीना सरकार के बाद बांग्लादेश की फौज में तख्तापलट की थी तैयारी: ISI ने रची थी साजिश, ‘जमाती जनरल’ दे रहा था साथ

बांग्लादेश फ़ौज के मुखिया वाकर उज जमान का तख्तापलट पाकिस्तान करवाना चाहता था। इसके लिए लेफ्टिनेंट फैजुर रहमान को लगाया गया था।

‘केरल के एक शहर से 400+ ईसाई लड़की गायब, बेटियों की जल्दी कर दें शादी’: केरल के नेता ने ‘लव जिहाद’ के जिस खतरे...

केरल के ईसाई समुदाय में लव जिहाद को लेकर चिंता बढ़ती जा रही है। ये कोई नई बात नहीं है, बल्कि सालों से इस मुद्दे पर चर्चा होती रही है।
- विज्ञापन -