Wednesday, April 24, 2024
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233 की मौत, 900 घायल: ओडिशा के बालासोर में 3 ट्रेन टकराने से भीषण हादसा, मौके पर पहुँचे रेल मंत्री, रेस्क्यू जारी

इस हादसे में घायल हुए लोगों की मदद करने के लिए स्थानीय लोग सामने आए हैं। आमतौर पर ऐसी घटनाओं के समय रक्त की उपलब्धता सबसे बड़ी समस्या होती है। हालाँकि, स्थानीय लोग स्वेच्छा से रक्तदान करने के लिए अस्पतालों में पहुँचे हैं। अस्पतालों के बाहर लोगों की लंबे कतारें हैं।

ओडिशा के बालासोर में शुक्रवार (3 जून 2023) की शाम को तीन ट्रेनें भीषण दुर्घटना की हो गईं। इस हादसे में अब तक 233 लोगों के शव बरामद किए गए हैं। वहीं, चिपकी हुई बोगियों में अभी भी लाशें पड़ी हुई हैं, जिन्हें निकालने का काम जारी है। हालात को देखकर मृतकों की संख्या और बढ़ने की आशंका जाहिर की जा रही है। वहीं, हादसे में 1,000 यात्री घायल बताए जा रहे हैं। ट्रेन की बोगियाँ पटरी से बहुत दूर तक बिखरी हुई हैं।

इस घटना में फँसे हुए यात्रियों को बचाने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। ऑपरेशन में NDRF के अलावा सेना और एयरफोर्स को भी लगाया गया है। वहीं, रेल मंत्री घटनास्थल पर भी पहुँचे हुए हैं। रेल मंत्री ने इस घटना की जाँच के आदेश दे दिए हैं। वहीं, घायलों को नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। इस हादसे में मारे गए लोगों के परिजनों और घायल हुए लोगों के लिए मुआवजे का ऐलान किया गया है।

कैसे हुआ हादसा

यह दुर्घटना बालासोर जिले के बाहानगा स्टेशन से करीब दो किलोमीटर दूर पनपना के पास हुई है। वहाँ शालीमार से चेन्नई जा रही कोरोमंडल एक्सप्रेस (12841-अप) बेपटरी हो गई और यशवंतपुर (बंगलुरु) से हावड़ा जा रही एक्सप्रेस ट्रेन से साथ टकरा गईं। कोरमंडला एक्सप्रेस की रफ्तार इतनी ज्यादा थी कि वह पटरी से उतरने के बाद एक मालगाड़ी से जा टकराई।

हादसा इतना भीषण है कि ट्रेन की बोगियाँ दूर तक जा गिरीं। बोगियाँ एक दूसरे के ऊपर चढ़ गई। कहा जा रहा है कि हादसे के बाद ट्रेन की बोगियाँ चिपक गई हैं। उसमें फँसे हुए यात्रियों को निकालने के लिए बोगियों को काटा जा रहा है। लोगों के शरीर एक दूसरे से चिपके हुए हैं। यात्रियों के कटे हुए अंग इधर-उधर पड़े हुए हैं।

कहा जा रहा। है कि जिस वक्त ये हादसा हुआ, उस वक्त शाम का समय था और यात्री लंबे सफर के दौरान नाश्ता कर रहे थे। इस दौरान ये हादसा हो गया। दुर्घटना की शिकार दोनों यात्री ट्रेनें पूरी तरह भरी हुई थीं। दोनों में 3500-4500 यात्री रहे होंगे। यात्रियों की संख्या को देखते हुए मृतकों की संख्या बढ़ने की आशंका है। इस हादसे में सबसे अधिक प्रभावित कोरोमंडला एक्सप्रेस की यात्री हुए हैं।

हादसा का दृश्य ऐसा है कि देखने वालों की रूह काँप जाए। एक स्थिति तो ऐसी रही कि रेलवे लाइन की पटरी टूट कर नीचे से बोगी में घुस गई और उस पटरी में कई लोग धँस गए। हादसे के कारण लगभग 1 किलोमीटर तक में फैले मलबे में कई ऐसे दृश्य सामने आए हैं, जो सिर्फ फिल्मों में ही देखने को मिलता था।

बचाव कार्य जारी

इस भीषण दुर्घटना में स्थानीय प्रशासन और NDRF के अलावा थलसेना और वायुसेना को तैनात किया गया है। सेना के जवान बोगियों में फँसे लोगों को निकाल रहे हैं। घायलों को वायुसेना का हेलीकॉप्टर नजदीकी अस्पतालों में लेकर जा रहा है। इसके अलावा, घटना स्थल पर 100 से अधिक एंबुलेंस भी तैनात किए गए हैं।

घायलों को नजदीकी अस्पतालों के साथ-साथ कटक सहित अन्य नजदीकी शहरों के अस्पतालों में भर्ती कराया जा रहा है। रेलमंत्री वैष्णव ने कहा है कि घायलों को बेहतरीन से बेहतरीन चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। घायलों को मुफ्त चिकित्सा सुविधा दी जा रही है।

मृतकों को 10-10 लाख रुपए का मुआवजा

इस घटना में मारे गए लोगों के परिजनों को सरकार मुआवजा देने का ऐलान किया है। रेल मंत्रालय की ओर से हादसे में मारे गए लोगों के परिजनों को 10-10 लाख रुपए का मुआवजा दिया जाएगा। वहीं, हादसे में घायल लोगों को दो-दो लाख रुपए की आर्थिक सहायता दी जाएगी। वहीं, जिन लोगों को मामूली चोट लगी हैं, उन्हें 50 हजार रुपए दिए जाएँगे।

वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्रेन दुर्घटना के पीड़ितों को 2-2 लाख रुपए और घायलों को 50,000 रुपए की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की है। ये राशि पीएमएनआरएफ (PMNRF) फंड से दिए जाएँगे। इस तरह मृतकों को 12 लाख रुपए और गंभीर रूप से घायलों को 1 लाख रुपए देने की घोषणा की गई है।

घायलों को मदद करने वालों की लगी कतार

इस हादसे में घायल हुए लोगों की मदद करने के लिए स्थानीय लोग सामने आए हैं। आमतौर पर ऐसी घटनाओं के समय रक्त की उपलब्धता सबसे बड़ी समस्या होती है। हालाँकि, स्थानीय लोग स्वेच्छा से रक्तदान करने के लिए अस्पतालों में पहुँचे हैं। लोगों की लंबे कतारें लगी हैं।

इस दुर्घटना में घायल हुए कुछ लोगों का कहना है कि जब घटना हुई को स्थानीय लोग सबसे पहले वहाँ पहुँचे और उनकी मदद की। स्थानीय लोगों ने घायलों को बाहर निकाला और जो घायल थे, उन्हें अस्पतालों में भर्ती कराने की कोशिश की। स्थानीय लोगों ने घायलों को पानी आदि उपलब्ध कराया था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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