झारखंड में पत्थलगढ़ी की भेंट चढ़े 7 लोगों का शव बरामद कर लिया गया है। इस मामले में 3 लोगों की गिरफ्तारी हुई है। घटना राज्य के पश्चिमी सिंहभूम जिले के गुदड़ी प्रखंड के बुरुगुलीकेरा गॉंव की है। मृतकों की उम्र 20 से 30 साल के बीच की है। सभी के सिर कटे हुए और पूरा शरीर क्षत-विक्षत है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने एसआईटी का गठन कर पॉंच दिनों की भीतर जॉंच रिपोर्ट मॉंगी है। गुदड़ी थाना प्रभारी अशोक कुमार को निलंबित कर दिया गया है।
घटना 19 जनवरी के शाम की ही है। पुलिस को इसकी भनक मंगलवार को लगी। शव बुधवार को बरामद किए गए थे। मीडिया रिपोर्टों के बाद पत्थलगड़ी समर्थकों ने सातों युवकों की ग्रामसभा में पहले जमकर पिटाई की। अधमरे हालत में उन्हें घसीटकर करीब दो किमी जंगल में ले गए। वहॉं सभी के हाथ-पैर बॉंध कर सिर कलम कर दिया गया। घटना के बाद से पूरे गॉंव में सन्नाटा पसरा है। गॉंव को छावनी में तब्दील कर दिया गया है। सीआरपीएफ, रैफ और जिला बल के 200 जवान कैंप कर रहे हैं।
Jharkhand: Three held for killing seven over Pathalgadi in West Singhbhumhttps://t.co/lSWCzqS70h
— The Indian Express (@IndianExpress) January 23, 2020
मृतकों में बुरुगुलीकेरा ग्राम पंचायत के उपमुखिया जेम्स बुढ़ भी हैं। बुढ़ और अन्य मृतक पत्थलगढ़ी का विरोध कर रहे थे। प्रभात खबर की रिपोर्ट के अनुसार दूसरे पक्ष ने मृतकों पर 16 जनवरी की रात उनके घर में घुसकर मारपीट करने और सामानों को क्षतिग्रस्त करने का आरोप लगाया है। बताया जाता है कि इसके विरोध में ही ग्रामसभा बुलाई गई थी। सभा में नौ लोगों को मौत की सजा सुनाई गई। इसी दौरान दो लोग गायब हो गए। इससे नाराज लोगों ने शेष सात लोगों को बंधक बना लिया और उनकी पिटाई शुरू कर दी। ग्रामीणों ने कहा कि सड़े हुए आलू को फेंक दिया जाना चाहिए। इसके बाद सातों को घसीटकर जंगल ले जाया गया। जब यह घटना हुई उस समय मृतकों के परिजन भी ग्रामसभा में मौजूद थे। हत्या का मामला उजागर होने के बाद सभी शव बरामद करने में पुलिस को 21 घंटे लगे।
इस घटना के बाद से हेमंत सोरेन की अगुवाई वाली झामुमो, कॉन्ग्रेस और राजद की सरकार निशाने पर है। असल में, शपथ लेने के बाद हेमंत सोरेन ने चार घंटे के भीतर ही पहली कैबिनेट बैठक में पत्थलगड़ी आंदोलन के दौरान दर्ज एफआईआर वापस लेने का फैसला किया था। पिछली बार भी इस आंदोलन के दौरान जमकर हिंसा हुई थी। अपहरण, गैंगरेप जैसी घटनाओं को अंजाम दिया गया था।
गौरतलब है कि पत्थलगड़ी आंदोलन की शुरुआत खूँटी से ही हुई थी। झारखंड में आदिवासी हितों के नाम पर राजनीति करने वाले हेमंत सोरेन ने चुनाव से पूर्व ही स्पष्ट कह दिया था कि उनकी सरकार बनते ही पत्थलगड़ी हिंसा के आरोपितों पर से सभी केस हटा लिए जाएँगे और उन्होंने किया भी। मसलन वो दोपहर 2:19 पर शपथ लेते हैं और 5: 45 शाम में कैबिनेट की पहली मीटिंग में ही FIR वापसी का फैसला लेते हैं।
जिस आंदोलन में रेप, हत्या, किडनैपिंग हुई, उसमें दर्ज केस वापस: हेमंत सोरेन का पहला काम
सरकार बनने के 4 घंटे के भीतर केस वापस लेने का फैसला, 21 दिन बाद हत्या कर 7 को जंगल में फेंका
3 महीने पुराने फेसबुक पोस्ट पर 5 घंटे उपद्रव, विहिप कार्यकर्ता के मोहल्ले में हरवे-हथियार ले घुसे