लॉकडाउन के बीच कुछ ऐसे लोग भी हैं, जिनका काम सरकार और प्रशासन को परेशान करना है। वो ऐसा कर के न सिर्फ़ ज़रूरतमंदों का हक़ मार रहे हैं बल्कि संवेदनहीनता का परिचय भी दे रहे हैं। हम बात कर रहे हैं ऐसे लोगों की, जो अपने घर में पर्याप्त राशन होते हुए भी प्रशासन के सामने झूठ बोल कर फायदा उठाना चाहते हैं। जब कोरोना आपदा के बीच ऐसे लोगों को उनकी मदद करनी चाहिए जो सही में ज़रूरतमंद हैं, ये लोग ख़ुद ही सरकारी माल हजम करने की फ़िराक़ में हैं।
राजस्थान के अजमेर स्थित खानपुरा क्षेत्र में चाँद मोहम्मद नाम के शख्स ने प्रशासन से फोन करके भूख से मरने की बात कही। फिर उसने दोबारा फोन करके कहा कि वो भूख से मर रहा है। प्रशासन ने उसकी बातों को गंभीरता से लिया और आनन-फानन में अधिकारी राशन सामग्री एवं तैयार भोजन के पैकेट लेकर गए। मगर वहाँ का नजारा देखकर अधिकारी सन्न रह गए। चाँद मोहम्मद के घर में ना सिर्फ पर्याप्त मात्रा में आटा-चावल और अन्य सामग्रियाँ भरी हुई थी, बल्कि उसका फ्रिज भी चिकन से भरा हुआ था। इसके बावजूद उसने भूख से मरने का झूठ बोला। इसके बाद जिला प्रशासन ने चाँद के खिलाफ कानूनी कर्रवाई की बात करते हुए उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया। राजस्थान के ही खाजूवाला में भी एक युवक ने फोन कर के गुमराह किया।
#Bikaner: #खाजूवाला #Corona आपदा में युवक को झूठ बोलना पड़ा भारी
— First India News Rajasthan (@1stIndiaNews) April 13, 2020
CMO जयपुर में फोन कर बोला झूठ, राशन नहीं होने पर भूखा और रुपये नहीं होने की कही थी बात, खाजूवाला तहसीलदार विनोद गोदारा ने किया भौतिक सत्यापन, आलीशान मकान और पर्याप्त मात्रा…#Covid19India #CoronaOutbreak pic.twitter.com/6qegDgHoI7
इसी तरह देहरादून स्थित केशवपुरी बस्ती डोईवाला में झूठ बोलकर राशन माँगने वाले व्यक्ति को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। बता दें कि अजरुन पांडे ने 112 नंबर पर फोन करके बताया कि उसके यहाँ राशन नहीं है। उसने ख़ुद के भूखे होने की बात कही। सूचना मिलने के बाद पुलिस उक्त व्यक्ति के घर राशन लेकर पहुँची। जब उससे पूछताछ की तो वह घबरा गया। उसके बाद उसके कमरे की जाँच की गई तो वहाँ पर छोटे ड्रमों में काफी राशन भरा था। ऐसा उसने पहली बार नहीं किया था बल्कि वो बार-बार ऐसे ही झूठ बोल कर अपने घर में लगातार बड़ी मात्रा में सरकारी राशन भरे जा रहे था।
राजस्थान के हनुमानगढ़ में ओम प्रकाश नेहरू की पुत्री नीतू ने राजस्थान संपर्क पोर्टल 181 पर शिकायत दर्ज करवाई कि उनके घर राशन खत्म हो गया है। साथ ही उसने दावा किया कि उसके घर में कमाने वाला भी कोई नहीं है। प्रशासन ने जब कर्मचारियों के साथ मौके पर जाकर जाँच की तो पाया कि घर में पर्याप्त मात्रा में खाद्य सामग्री उपलब्ध थी। शिकायतकर्ता बीपीएल परिवार पाया गया। यानी, परिवार को पहले से ही राज्य सरकार द्वारा सारी सुविधाएँ निःशुल्क उपलब्ध करवाई जाती है। इसके बाद इस घटना की पूरी रिपोर्ट बना कर डीएम को भेजी गई।
ऐसी ही एक घटना हरियाणा के झज्जर में हुई, जहाँ एक व्यक्ति ने कण्ट्रोल रूम फोन कर के बिलखते हुए बताया कि वह किला कॉलनी में रहता है और उसे राशन की सख्त ज़रूरत है। साथ ही उसने दावा किया कि उसके परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी ख़राब है कि वो ख़ुद जाकर राशन ख़रीद भी नहीं सकता है और घर में खाने को कुछ बचा ही नहीं है। एसडीएम ने एक अधिकारी को तुरंत राशन लेकर वहाँ भेजा। वहाँ उसके रसोई में काफ़ी मात्रा में राशन पाया गया और पता चला कि उसने प्रशासन को गुमराह किया था। बाद में उसने माफ़ी माँगी और अपनी ग़लती स्वीकार की। प्रशासन को ऐसे लोगों के कारण परेशानी हो रही है।
मध्य प्रदेश के ग्वालियर में भी एक महिला ने ऐसा ही किया। उसने बताया कि घर में उसके पति और तीन बच्चे हैं और खाने का कोई भी सामान नहीं है। राशन लेकर पहुँची प्रशासन की टीम ने पाया कि उक्त परिवार ग़रीब नहीं है और उनके किचेन में राशन का पर्याप्त सामान पाया गया। महिला को समझाया गया कि वो दोबारा ऐसा न करें, ताकि ज़रूरतमंदों को राशन मुहैया कराया जा सके। पुलिस ने महिला को समझाया कि वो उन गरीबों के पेट पर लात न मारें, जिनके पास आटा तक नहीं है। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जहाँ पुलिस महिला को समझाती हुई दिख रही है।
इसी तरह हिमाचल प्रदेश के नालागढ़ स्थित दत्तोवाल में एक व्यक्ति ने प्रशासन को कई बार फोन कर के मदद की गुहार लगाई और साथ ही कहा कि वो भूख से मर रहा है। जब अधिकारीगण वहाँ पर पहुँचे तो उसके घर में 30 किलो राशन पहले से ही था। उसकी रसोई राशन से भरी पड़ी थी। सामान इतना था कि वो दूसरों की मदद भी कर सकता था लेकिन उसने प्रशासन से ही धूर्तता करने की ठानी। उसके ख़िलाफ़ धारा-177 और 188 के तहत मामला दर्ज किया गया।
इसी तरह का मामला बिलासपुर में सामने आया, जहाँ कुछ प्रवासी मजदूरों ने ही जनसेवा में लगी संस्थाओं के साथ मजाक किया। दुर्गा मंदिर के पास रह रहे इन लोगों ने रेडक्रॉस सोसाइटी में बार-बार कॉल कर के राशन न होने की बात कही। जब सहायता देने वाली वैन वहाँ पर पहुँची तो पाया कि उनके पास राशन की कोई कमी नहीं थी और घर में मछली फ्राई हो रही थी। डब्बों में कच्चा राशन भरा पड़ा था। इसके बाद उनलोगों के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज कराई गई।
ऐसे लोग इस तरह की हरकतें करके उन स्वयंसेवी संस्थाओं के काम में भी बाधा डाल रहे हैं, जो निःस्वार्थ भाव से राहत-कार्य में लगी हुई हैं। अगर घर में महीने भर से भी ज्यादा का राशन पड़ा है तो दूसरों की मदद न करें तो न सही, कम से कम ऐसे लोगों को तो उन ग़रीबों का हक़ नहीं मारना चाहिए जिनके रोजगार पर ग्रहण लगने के कारण इस स्थिति में खाने के भी लाले पड़े हैं। जब किसी के पास चावल तक नहीं हो, ऐसे समय में चायपत्ती के लिए हंगामा करना उचित तो नहीं ही है।