Saturday, July 27, 2024
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राम-सीता की आपत्तिजनक तस्वीर दिखाने वाले पेरियार की मूर्ति को पहनाई जूतों की माला, सिर को रंग दिया भगवा: 15 अगस्त को मनाया था शोक

पेरियार के अनुयायियों ने 15 अगस्त, 1947 को काले झंडे लेकर ‘शोक दिवस’ मनाया था। उन्होंने 1971 में एक सम्मेलन के दौरान भगवान राम और सीता की आपत्तिजनक तस्वीरें भी दिखाई थीं।

तमिलनाडु के कोयम्बटूर में लोगों ने एनवी रामासामी पेरियार की मूर्ति के साथ छेड़छाड़ की है। रविवार (9 जनवरी, 2022) को सुबह मूर्ति क्षतिग्रस्त मिली। ये मूर्ति वेल्लालर स्थित ‘पेरियार स्टडी सेंटर’ के सामने स्थित है। मूर्ति को जूतों की माला भी पहनाई गई थी। साथ ही मूर्ति के सिर पर भगवा पाउडर छींट दिया गया था। इसके बाद स्थानीय लोगों ने राजनीतिक दल द्रविड़ार कझगम (DK) के कार्यकर्ताओं और नेताओं को इसकी सूचना दी। उन्होंने पोदानुर पुलिस थाने को इस सम्बन्ध में सूचित किया।

इसके बाद पुलिसकर्मियों की एक टीम मौके पर पहुँची। DK के कार्यकर्ताओं ने भगवा पाउडर को पेरियार की मूर्ति के सिर पर से हटाया और गले में से जूतों की माला भी हटाई। इसके बाद कार्यकर्ताओं ने मूर्ति के सामने ही विरोधस्वरूप धरना प्रदर्शन का आयोजन किया। उनकी माँग है कि पुलिस पेरियार की मूर्ति के साथ छेड़छाड़ करने वालों को जल्द से जल्द गिरफ्तार करे। पुलिस के आश्वासन के बाद DK के कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन को रोक दिया।

पुलिस ने आसपास लगे कुछ सर्विलांस कैमरों को खँगाला है। आरोपितों को चिह्नित कर के ट्रैक करने की कोशिश की जा रही है। इस मामले में और जाँच की जा रही है। बता दें कि हिन्दू देवी-देवताओं और ब्राह्मणों के खिलाफ घृणा फैलाने वाले पेरियार को तमिलनाडु में ‘दलित चिंतक’ के रूप में जाना जाता है। जबकि सच्चाई ये है कि पेरियार ने हिन्दुओं के खिलाफ घृणा फैला कर दक्षिण भारत को तोड़ने की कोशिश की और अंग्रेजों का समर्थन कर के गद्दारी की।

अपने से 40 वर्ष छोटी लड़की से शादी करने वाले और हिन्दू देवी-देवताओं की तस्वीरें जलाने वाले तमिलनाडु के पेरियार को ‘द्रविड़ आंदोलन’ का जनक माना जाता है। पेरियार के अनुयायियों ने 15 अगस्त, 1947 को काले झंडे लेकर ‘शोक दिवस’ मनाया था। चेन्नई में भी पेरियार की पार्टी के लोग काले कपड़े पहन कर निकले थे। उनका कहना था कि ये आज़ादी ‘सच्ची’ नहीं है। पेरियार द्वारा स्थापित ‘द्रविड़ कझगम’ के मौजूदा अध्यक्ष के वीरामणि तो अभी भी अपनी पार्टी के उस स्टैंड का बचाव करते हैं।

तुगलक मैगजीन की 50वीं वर्षगांठ पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने के दौरान पेरियार ईवी रामासामी को लेकर सुपरस्टार रजनीकांत ने कहा था कि पेरियार हिंदू देवी-देवताओं के कट्टर आलोचक थे और उन्‍होंने 1971 में सलेम में अंधविश्वास उन्मूलन सम्मेलन के दौरान भगवान राम और सीता की आपत्तिजनक तस्वीरें भी दिखाई थीं। लेकिन इसके बाद भी किसी ने पेरियार की आलोचना नहीं की। FIR हुई और मामला अदालत तक पहुँचा, लेकिन सुपरस्टार ने माफ़ी माँगने से साफ़ इनकार कर दिया था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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