Friday, April 26, 2024
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व्हाट्सऐप ग्रुप में शेयर की सूअर के चेहरे वाली PM मोदी की तस्वीर: एडमिन इमरान मालिक के खिलाफ केस रद्द करने से इलाहाबाद HC का इनकार

आरोपित इमरान मलिक के वकील ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में अपने क्लाइंट का बचाव करते हुए दलील दी कि PM मोदी की वह तस्वीर उसके द्वारा नहीं बल्कि किसी और द्वारा भेजा गया था, और वह केवल ग्रुप 'एडमिन' थे।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने हाल ही में एक व्हाट्सएप ग्रुप के एडमिन के खिलाफ दर्ज आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने से इनकार कर दिया, जिसमें एक सुअर के चेहरे के साथ फोटोशॉप्ड प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दर्शाते हुए एक तस्वीर साझा की गई थी। यह मामले पर अदालत में मोहम्मद इमरान मलिक बनाम उत्तर प्रदेश राज्य के बीच सुनवाई हुई।

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, PM मोदी की छवि को धूमिल करने वाले इस मामले में इमरान मलिक की केस रद्द करने वाली याचिका खारिज करते हुए न्यायमूर्ति मोहम्मद असलम ने कहा, “रिकॉर्ड देखने से ऐसा प्रतीत होता है कि आवेदक एक ‘ग्रुप एडमिन’ था और वह ग्रुप का सदस्य भी है। उपरोक्त को देखते हुए, मुझे हस्तक्षेप करने का कोई ठोस कारण नहीं मिलता है। आवेदन के तहत धारा 482 सीआरपीसी तदनुसार खारिज की जाती है।”

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, इलाहाबाद HC इमरान मलिक द्वारा आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 482 के तहत दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उनके खिलाफ की जा रही कार्यवाही को रद्द करने के लिए कहा गया था। उन पर सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66 (कंप्यूटर से संबंधित अपराध) के तहत आरोप लगाए गए थे।

गौरतलब है कि आरोपित इमरान मलिक के वकील ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में अपने क्लाइंट का बचाव करते हुए दलील दी कि PM मोदी की वह तस्वीर उसके द्वारा नहीं बल्कि किसी और द्वारा भेजा गया था, और वह केवल ग्रुप ‘एडमिन’ थे। ऐसे में उनके मुवक्किल के खिलाफ कोई मामला नहीं बनता है, इसलिए कार्यवाही रद्द की जा सकती थी। इसी आधार पर हमने अपील की है।

वहीं, कोर्ट में इस याचिका का विरोध कर रहे अतिरिक्त सरकारी अधिवक्ता ने कहा कि मैसेज भेजने वाले और ‘ग्रुप एडमिन’ की जिम्मेदारी सह-व्यापक है और यह नहीं कहा जा सकता है कि आईटी अधिनियम की धारा 66 के तहत आरोपित के खिलाफ कोई अपराध नहीं बनाया गया था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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