सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार (अगस्त 31, 2020) को आपराधिक अवमानना के मामले में वकील प्रशांत भूषण पर 1 रुपए का जुर्माना लगाया। फैसले के कुछ ही देर बाद प्रशांत भूषण ने बेशर्मी से एक ट्वीट में कहा कि इस फैसले के फ़ौरन बाद उनके सहयोगी और वकील राजीव धवन ने उन्हें 1 रुपया दिया, जो कि उन्होंने स्वीकार कर लिया है।
My lawyer & senior colleague Rajiv Dhavan contributed 1 Re immediately after the contempt judgement today which I gratefully accepted pic.twitter.com/vVXmzPe4ss
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) August 31, 2020
अभी तक प्रशांत भूषण द्वारा की जा रही बड़ी-बड़ी बातों और दलीलों के आधार पर उन्हें आदर्श और सिद्धांतों वाला व्यक्ति बता रहे लोगों के लिए यह देखना मुश्किल होता जा रहा है कि अपने बयान के लिए माफ़ी माँगने की बात पर मुकरने वाले प्रशांत भूषण माफ़ी के तौर पर महज 1 रुपया दंड लगाने की बात सुनकर फ़ौरन खुद को बेशर्मी से अपराधी मानने को तैयार हो गए हैं।
गौरतलब है कि तीन न्यायाधीशों वाली पीठ ने कहा कि अगर भूषण 15 सितंबर तक राशि जमा करने में विफल रहते हैं, तो उन्हें तीन महीने के लिए कारावास में रहना होगा और तीन साल के लिए वकालत से रोक दिया जाएगा।
अदालत ने 14 अगस्त को भूषण को अदालत की आपराधिक अवमानना का दोषी ठहराया था और कहा था कि अदालत और सीजेआई के खिलाफ ट्वीट्स में लगाए गए आरोप दुर्भावनापूर्ण हैं।
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और अवमानना के बीच एक पतली रेखा है। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा था, “पहली नज़र में हमारी राय यह है कि ट्विटर पर इन बयानों से न्यायपालिका की बदनामी हुई है और सुप्रीम कोर्ट, और ख़ास तौर पर भारत के चीफ़ जस्टिस के ऑफ़िस के लिए जनता के मन में जो मान-सम्मान है, यह बयान उसे नुक़सान पहुँचा सकते हैं।”
मीडिया के एक बड़े वर्ग द्वारा लगातार प्रशांत भूषण का समर्थन कर के उनके लिए माहौल बनाया जा रहा था। कई वकीलों ने उनके समर्थन में मोर्चा खोला था, जिसके बाद कई वकीलों ने पत्र लिख कर उन पर कार्रवाई की भी माँग की थी। प्रशांत भूषण ने सीजेआई जस्टिस बोबडे पर भी टिप्पणी की थी।