Friday, September 20, 2024
Homeदेश-समाजप्रशांत भूषण ने माना वे हैं अवमानना ​​के दोषी, खोखले आदर्शों का हवाला देने...

प्रशांत भूषण ने माना वे हैं अवमानना ​​के दोषी, खोखले आदर्शों का हवाला देने के बाद बेशर्मी से जुर्माना देने के लिए हुए सहमत

तीन न्यायाधीशों वाली पीठ ने कहा कि अगर भूषण 15 सितंबर तक राशि जमा करने में विफल रहते हैं, तो उन्हें तीन महीने के लिए कारावास में रहना होगा और तीन साल के लिए वकालत से रोक दिया जाएगा।

सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार (अगस्त 31, 2020) को आपराधिक अवमानना ​​के मामले में वकील प्रशांत भूषण पर 1 रुपए का जुर्माना लगाया। फैसले के कुछ ही देर बाद प्रशांत भूषण ने बेशर्मी से एक ट्वीट में कहा कि इस फैसले के फ़ौरन बाद उनके सहयोगी और वकील राजीव धवन ने उन्हें 1 रुपया दिया, जो कि उन्होंने स्वीकार कर लिया है।

अभी तक प्रशांत भूषण द्वारा की जा रही बड़ी-बड़ी बातों और दलीलों के आधार पर उन्हें आदर्श और सिद्धांतों वाला व्यक्ति बता रहे लोगों के लिए यह देखना मुश्किल होता जा रहा है कि अपने बयान के लिए माफ़ी माँगने की बात पर मुकरने वाले प्रशांत भूषण माफ़ी के तौर पर महज 1 रुपया दंड लगाने की बात सुनकर फ़ौरन खुद को बेशर्मी से अपराधी मानने को तैयार हो गए हैं।

गौरतलब है कि तीन न्यायाधीशों वाली पीठ ने कहा कि अगर भूषण 15 सितंबर तक राशि जमा करने में विफल रहते हैं, तो उन्हें तीन महीने के लिए कारावास में रहना होगा और तीन साल के लिए वकालत से रोक दिया जाएगा।

अदालत ने 14 अगस्त को भूषण को अदालत की आपराधिक अवमानना ​​का दोषी ठहराया था और कहा था कि अदालत और सीजेआई के खिलाफ ट्वीट्स में लगाए गए आरोप दुर्भावनापूर्ण हैं।

सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और अवमानना के बीच एक पतली रेखा है। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा था, “पहली नज़र में हमारी राय यह है कि ट्विटर पर इन बयानों से न्यायपालिका की बदनामी हुई है और सुप्रीम कोर्ट, और ख़ास तौर पर भारत के चीफ़ जस्टिस के ऑफ़िस के लिए जनता के मन में जो मान-सम्मान है, यह बयान उसे नुक़सान पहुँचा सकते हैं।”

मीडिया के एक बड़े वर्ग द्वारा लगातार प्रशांत भूषण का समर्थन कर के उनके लिए माहौल बनाया जा रहा था। कई वकीलों ने उनके समर्थन में मोर्चा खोला था, जिसके बाद कई वकीलों ने पत्र लिख कर उन पर कार्रवाई की भी माँग की थी। प्रशांत भूषण ने सीजेआई जस्टिस बोबडे पर भी टिप्पणी की थी।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

भले फाइनल हार गई टीम इंडिया, पर भारत की अर्थव्यवस्था में ₹11637 करोड़ जोड़ गया क्रिकेट वर्ल्ड कप: 48 हजार नई नौकरियाँ भी पैदा...

ICC द्वारा जारी की रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 45 दिन चले इस विश्व कप के कारण भारत की अर्थव्यवस्था को ₹11,637 करोड़ का फायदा मिला है।

नंदू पासवान और गौतम पासवान के विवाद में जली नवादा की महादलित बस्ती, ‘बहुजनों पर हमला’ बता जाति की आग लगाने निकल पड़े राहुल...

बिहार को एक बार फिर से जातीय हिंसा की आग में झोंकने की कोशिश की जा रही है। नवादा में महादलित समुदाय के दर्जनों घरों में आग लगा दी गई।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -