Friday, April 19, 2024
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अवमानना मामले में प्रशांत भूषण को प्रैक्टिस से किया जा सकता है निलंबित: BCI ने दिया कार्रवाई के निर्देश, BCD करेगा ट्वीट्स की जाँच

एडवोकेट्स एक्ट की धारा 24ए के तहत अगर कोई वकील नैतिक भ्रष्टता से जुड़े किसी अपराध में दोषी पाया जाता है, तो वह कानूनी प्रैक्टिस नहीं कर सकता या किसी राज्य की बार काउंसिल के रोल पर नहीं रह सकता है। अधिवक्ता अधिनियम की धारा 24 में कहा गया है कि पेशेवर कदाचार के दोषी पाए गए वकील को अदालतों में प्रैक्टिस करने से.......

भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण को अवमानना ​​का दोषी पाए जाने के कुछ दिनों बाद बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने बार काउंसिल ऑफ दिल्ली (BCD) को उनके ट्वीट्स की जाँच करने और कानून के अनुसार उचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।

बीसीआई ने शुक्रवार को जारी एक प्रेस रिलीज में कहा, “परिषद का मानना है कि अधिवक्ता अधिनियम, 1961 के तहत बार काउंसिल में निहित वैधानिक कर्तव्यों, शक्तियों एवं कार्यों के आलोक में तथा खासकर अधिवक्ता अधिनियम, 1961 की धारा 24ए एवं धारा 35 तथा बार काउंसिल ऑफ इंडिया रूल्स के अध्याय दो, खंड- छह के दायरे में वकील प्रशांत भूषण और सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में जो फैसला दिया, उसका व्यापक अध्ययन और जाँच जरूरी है।”

बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने आगे दोहराया कि बार काउंसिल ऑफ दिल्ली को ट्वीट की जाँच करनी चाहिए और उसके अनुसार आगे बढ़ना चाहिए। बैठक की अध्यक्षता वाईस प्रेसिडेंट सतीश ए. देशमुख ने द्वारा की गई थी।

एडवोकेट्स एक्ट की धारा 24ए के तहत अगर कोई वकील नैतिक भ्रष्टता से जुड़े किसी अपराध में दोषी पाया जाता है, तो वह कानूनी प्रैक्टिस नहीं कर सकता या किसी राज्य की बार काउंसिल के रोल पर नहीं रह सकता है। अधिवक्ता अधिनियम की धारा 24 में कहा गया है कि पेशेवर कदाचार के दोषी पाए गए वकील को अदालतों में प्रैक्टिस करने से निलंबित किया जा सकता है या उनके लाइसेंस पूरी तरह से रद्द कर दिया जा सकता है।

भूषण के बार लाइसेंस के निलंबन के फैसले में पैराग्राफ 89 की मिसाल रखी गई थी। पैराग्राफ 89 में यह कहा गया है, ”एक आपराधिक मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद, बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) अगर चाहे वह नामांकन को निलंबित कर सकती है।”

सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त को अवमानना के दोषी वकील प्रशांत भूषण को मात्र 1 रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई थी। अदालत ने यह भी कहा था कि जुर्माना अदा नहीं करने पर भूषण को तीन महीने की कैद भुगतनी होगी और वे 3 साल तक वकालत करने से प्रतिबंधित रहेंगे। यह मामला दो ट्वीट्स से जुड़ा है, जहाँ प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट और विशेष रूप से CJI बोबडे के खिलाफ टिप्पणी की थी।

गौरतलब है कि इसके बाद प्रशांत भूषण ने न्यायालय की अवमानना मामले में मिली 1 रुपए जुर्माने की सजा को स्वीकार करते हुए कहा था कि वो यह जुर्माना भरेंगे और इसके ख़िलाफ़ पुनर्विचार याचिका भी दायर करेंगे। एक प्रेस वार्ता में उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जिस चीज़ के लिए उन्हें दोषी ठहराया है वो हर नागरिक के लिए सबसे बड़ा कर्तव्य है।

प्रशांत ने कहा कि उनके ट्वीट्स का उद्देश्य सुप्रीम कोर्ट की अवमानना नहीं था, वे सुप्रीम कोर्ट के अपने शानदार रिकॉर्ड से भटकने को लेकर नाराजगी की वजह से किए गए थे। भूषण ने कहा था, “सुप्रीम कोर्ट के द्वारा लगाए गए जुर्माने की रिव्यू पिटिशन फाइल करने का मुझे अधिकार है। कोर्ट ने मुझ पर जो जुर्माना लगाया है, उसका मैं एक नागरिक को तौर पर कर्तव्य निभाते हुए भुगतान करूँगा।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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