Friday, March 14, 2025
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जुमे की नमाज़ के बाद कश्मीर में कई जगह प्रदर्शन, फिर से लगीं पाबंदियाँ

अलगाववादियों के समूह 'ज्वाइंट रेजिस्टेंस लीडरशिप' (जेआरएल) की ओर से पोस्टरों में लोगों से संयुक्त राष्ट्र के सैन्य पर्यवेक्षक समूह के स्थानीय कार्यालय तक मार्च करने का आह्वान किया गया है। यह आह्वान जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त किए जाने के विरोध में किया गया।

अनुच्छेद-370 हटाए जाने के बाद से जारी पाबंदियाँ कश्मीर के कुछ इलाकों में अभी भी जारी हैं। शुक्रवार (अगस्त 23, 2019) के दिन होने वाली जुमे की नमाज़ के मद्देनज़र ज्यादातर इलाकों में इन पाबंदियों में ढील दी गई थीं। जम्मू कश्मीर प्रशासन के अनुसार, जुमे की नमाज़ के बाद कश्मीर के कुछ इलाकों में प्रदर्शन हुए लेकिन घाटी के अधिकतर हिस्सों में शांति बनी रही। इन प्रदर्शनों को देखते हुए प्रशासन ने फिर से पाबदियाँ लगा दी हैं।

अधिकारियों ने बताया कि लोगों को लाल चौक और सोनावर जाने से रोकने के लिए शहर में कई जगह अवरोधक और कंटीले तार लगाए गए हैं। संयुक्त राष्ट्र का कार्यालय इसी इलाके में है। कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए जगह-जगह सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं।

रिपोर्ट्स के अनुसार, अधिकारियों ने बताया कि श्रीनगर के बाहरी हिस्से में स्थित सौरा इलाके में जुमे की नमाज़ के बाद करीब 300 लोगों ने प्रदर्शन किया। हालाँकि, सुरक्षा बलों ने बार-बार उद्घोषणा करके और हल्के लाठी चार्ज से भीड़ को तितर-बितर कर दिया। अधिकारियों ने बताया कि अलगाववादियों की ओर से पोस्टर जारी किए गए थे, जिनमें लोगों से संयुक्त राष्ट्र सैन्य पर्यवेक्षक समूह (UNMOGIP) के स्थानीय कार्यालय तक मार्च की अपील की गई थी। इसके बाद श्रीनगर के कई इलाकों और घाटी के अन्य हिस्सों में फिर से पाबंदियाँ लगा दी गई हैं।

इस हफ्ते के शुरू में, कश्मीर के अधिकतर इलाकों में पाबंदियों में ढील की गई थी और अवरोधकों को हटाया जा रहा था। लोगों और यातायात की आवाजाही अहिस्ता-अहिस्ता बढ़ रही थी।

अलगाववादियों के समूह ‘ज्वाइंट रेजिस्टेंस लीडरशिप’ (जेआरएल) की ओर से पोस्टरों में लोगों से संयुक्त राष्ट्र के सैन्य पर्यवेक्षक समूह के स्थानीय कार्यालय तक मार्च करने का आह्वान किया गया है। यह आह्वान जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त किए जाने के विरोध में किया गया। अलगाववादियों का दावा है कि अनुच्छेद 370 को खत्म करने का केंद्र का कदम राज्य की जनसांख्यिकी में बदलाव की कोशिश है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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