Saturday, July 27, 2024
Homeदेश-समाजहिजाब के लिए जिन्होंने छोड़ी परीक्षा, उनको दोबारा मौका नहीं देगी कर्नाटक सरकार

हिजाब के लिए जिन्होंने छोड़ी परीक्षा, उनको दोबारा मौका नहीं देगी कर्नाटक सरकार

प्री यूनिवर्सिटी की परीक्षाओं में प्रैक्टिकल के 30 नंबर लगते हैं और थ्योरी 70 नंबर की होती है। पूरी परीक्षा 100 नंबर की होती है। ऐसे में अगर कोई प्रैक्टिकल छोड़े तो उसके पूरे 30 नंबर कट जाते हैं और उसे अपने फाइनल अंकों में खासा नुकसान झेलना पड़ता है।

कर्नाटक में पिछले दिनों हिजाब के लिए किए गए बखेड़े में कई मुस्लिम छात्राओं ने अपनी जिद्द में परीक्षाओं का बहिष्कार किया था। अब इन्हीं छात्राओं को लेकर कर्नाटक सरकार ने फैसला सुनाया है। सरकार ने कहा है कि जिन 12 वीं कक्षा की छात्राओं की प्रैक्टिकल एग्जाम में अनुपस्थिति थी उनके लिए पीयू कॉलेज अलग से एग्जाम नहीं करवाएगा।

प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा मंत्री बी सी नागेश ने कहा, “हम इसकी संभावना पर कैसे विचार करें। अगर हम उन छात्राओं के लिए दोबारा एग्जाम करवाते हैं जिन्होंने हाईकोर्ट के अंतरिम आदेशों के बावजूद हिजाब के लिए प्रदर्शन किया, तो बाकी बच्चे किसी और कारण को लेकर दूसरा चांस माँगने लगेंगे। ये असंभव है।”

बता दें कि प्री यूनिवर्सिटी की परीक्षाओं में प्रैक्टिकल के 30 नंबर लगते हैं और थ्योरी 70 नंबर की होती है। पूरी परीक्षा 100 नंबर की होती है। ऐसे में अगर कोई प्रैक्टिकल छोड़े तो उसके पूरे 30 नंबर कट जाते हैं और उसे अपने फाइनल अंकों में खासा नुकसान झेलना पड़ता है।

यही कारण है कि हिजाब विवाद पर फैसला आने के बाद उन छात्रों के री-एग्जाम की माँग उठी, लेकिन अब प्रशासन ने साफ कर दिया है कि उन लड़कियों के लिए अलग से कोई विकल्प नहीं रखा जाएगा जिन्होंने जिद्द के चलते परीक्षाओं का बहिष्कार किया।

कर्नाटक हाई कोर्ट का हिजाब विवाद पर फैसला

उल्लेखनीय है कि 2 जनवरी 2022 से शुरू हुए हिजाब विवाद पर पिछले दिनों हाई कोर्ट का फैसला आया था। कर्नाटक हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि हिजाब पहनना इस्लामी प्रथा या आस्था का जरूरी हिस्सा नहीं है। चीफ जस्टिस ऋतु राज अवस्थी, जस्टिस कृष्ण एस दीक्षित और जस्टिस जेएम खाजी की बेंच ने कहा था, “स्कूल यूनिफॉर्म अधिकारों का उल्लंघन नहीं है। यह संवैधानिक रूप से स्वीकार्य है जिस पर छात्र आपत्ति नहीं कर सकते हैं।”

पीठ ने आदेश में ये भी कहा था कि इस संबंध में सरकार ने 5 फरवरी 2022 को जो आदेश जारी किया था उसका उसे अधिकार है और इसे अवैध ठहराने का कोई मामला नहीं बनता है। इस आदेश में राज्य सरकार ने उन कपड़ों को पहनने पर रोक लगा दी थी, जिससे स्कूल और कॉलेज में समानता, अखंडता और सार्वजनिक व्यवस्था बाधित होती है।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

बांग्लादेशियों के खिलाफ प्रदर्शन करने पर झारखंड पुलिस ने हॉस्टल में घुसकर छात्रों को पीटा: BJP नेता बाबू लाल मरांडी का आरोप, साझा की...

भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ प्रदर्शन करने पर हेमंत सरकार की पुलिस ने उन्हें बुरी तरह पीटा।

प्राइवेट सेक्टर में भी दलितों एवं पिछड़ों को मिले आरक्षण: लोकसभा में MP चंद्रशेखर रावण ने उठाई माँग, जानिए आगे क्या होंगे इसके परिणाम

नगीना से निर्दलीय सांसद चंद्रशेखर आजाद ने निजी क्षेत्रों में दलितों एवं पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण लागू करने के लिए एक निजी बिल पेश किया।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -