कोरोना संकट के बीच कहीं ऑक्सीजन सिलिंडर की ब्लैक मार्केंटिंग पकड़ी जा रही है तो कहीं जरूरी दवाइयाँ मनमानी कीमतों पर बिक रही हैं। इसी क्रम में एक नया मामला मध्य प्रदेश के इंदौर से उजागर हुआ। यहाँ रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी में 3 आरोपित गिरफ्तार किए गए हैं। इनके पास से 4 इंजेक्शन बरामद हुए, जिसे यह 30 हजार रुपए में बेच रहे थे।
आरोपितों की पहचान डॉ. राकेश मालवीय, मेडिकल स्टोर चलाने वाले अमन ताज और वेल्डिंग का काम करने वाले शाहरुख खान के तौर पर हुई। बाणगंगा टीआई राजेंद्र सोनी ने बताया कि उन्हें सूचना मिली थी कि कुछ लोग कार में रेमडेसिविर इंजेक्शन रखे हुए हैं और ग्राहक ढूँढ रहे हैं। इस सूचना के आधार पर क्राइम ब्रांच की टीम बनाई गई और आरोपितों की घेराबंदी कर उन्हें पकड़ा गया।
न्यूज 18 की खबर के अनुसार, टीआई ने बताया कि अमन का सांवेर में मेडिकल स्टोर है। अमन और डॉ. राकेश मालवीय की पुरानी पहचान है। वहीं आरोपित शाहरुख वेल्डिंग का काम करता है। अब तक क्राइम ब्रांच 18 आरोपितों को गिरफ्तार कर चुकी है। इनके पास से 417 रेमडेसिविर इंजेक्शन भी जब्त हुए हैं।
बता दें कि मध्यप्रदेश में कोरोना की रफ्तार बढ़ने से धोखाधड़ी करने वाले खुलेआम लोगों को लूटने का काम करने लगे हैं। पिछले दिनों इंदौर में ही ऑक्सी फ्लोमीटर की ब्लैक मार्केंटिंग करते हुए कॉन्ग्रेस के मंडल अध्यक्ष यतींद्र वर्मा को राजेंद्र नगर टीआई ने एक फोन कॉल से पकड़ा था।
राजेंद्र नगर टीआई अमृता सोलंकी ने वर्मा को पकड़ने के लिए एक मरीज की परिजन बनकर उससे संपर्क किया और उसे मनगढ़ंत कहानी में फँसाकर सबूतों के साथ धर दबोचा। इसके बाद सख्ती से पूछताछ में यतींद्र ने सारी सच्चाई उगल दी। उसने बताया कि अरबिंदो अस्पताल के पास उसका किराए का मकान है। उसने वहीं ऑक्सी फ्लोमीटर रखे हुए हैं। जब पुलिस टीम बताई जगह पर पहुँची तो ऑक्सी फ्लोमीटर बरामद हो गए।
इसके अलावा इंदौर के विजय नगर में रेमडेसिविर की कालाबाजरी में 11 अन्य लोग गिरफ्तार हुए हैं। ये सारे लोग कोरोना संक्रमण में उपयोगी जीवनरक्षक दवा टोसी और रेमडेसिविर इंजेक्शन की ब्लैक मार्केटिंग कर रहे थे। पुलिस ने सबको 4 अलग-अलग जगह से पकड़ा। इनके पास से 14 इंजेक्शन और 5 डिब्बे फेबी फ्लू के जब्त हुए। इस गैंग के सरगना सुनील मिश्रा को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया है। पुलिस को संदेह है कि सुनील मिश्रा गुजरात की नकली रेमडेसिविर फैक्ट्री से जुड़ा हो सकता है। ये लोग सोशल मीडिया के जरिए जरूरतमंदों से संपर्क करके उन्हें महंगे दामों में इन्जेक्शन बेचते थे।